विदेश
में रहने वाले हिंदी साहित्यकार
इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि उनकी रचनाओं में अलग-अलग देशों
की विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक परिस्थितियाँ हिन्दी की
साहित्यिक रचनाशीलता का अंग बनती हैं, विभिन्न देशों के
इतिहास और भूगोल का हिन्दी के पाठकों तक विस्तार होता है।
विभिन्न शैलियों का आदान प्रदान होता है और इस प्रकार हिंदी
साहित्य का अंतर्राष्ट्रीय विकास भी होता है।