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कहानियाँ

समकालीन हिंदी कहानियों के स्तंभ में इस सप्ताह प्रस्तुत है यू.एस.ए. से
रचना श्रीवास्तव की कहानी— 'पार्किंग'


हवाओं में नया गीत था और चिड़ियों के कलरव में ताजगी। भास्कर देव भी अपनी मतवाली चाल में धीरे-धीरे ऊपर आ रहे थे। उनकी किरणें लाल से पीली होकर वातावरण को एक मोहक रूप प्रदान कर रही थी। नए देश में ये नई सुबह बहुत ही प्यारी लग रही थी। ओक्लाहोमा के अर्डमोर शहर में हमारी ये दूसरी सुबह थी। दीपक को यहाँ यूनिवर्सिटी में नौकरी क्या मिली हम सपनों के पंख लगा उड़ लिए और यहाँ आ गए। दो कमरों के इस अपार्टमेन्ट में सारी सुख सुविधाएँ थी। हरा भरा जीवन्त सा घर --माइक्रोवेव, ओवन, डिश वाशर, सब कुछ। सुंदर सी कार, क्या मजा था, जीवन में सुख की बूँदें मन के आँगन में बरस रही थी और मैं अपने भाग्य पर इतरा रही थी।

शाम को बच्चे घर के बाहर खेलते और मैं भी उनके साथ उनकी मासूम खुशियों में शामिल हो जाती। मुझ वयस्क मन में भी फिर से नन्हीं-नन्हीं खुशियाँ जागने लगी थीं। घर से बाहर निकल कर डूबते सूरज को महसूस करना मुझे बहुत ही अच्छा लगता। पेडों पर सिंदूरी रंग और हल्का पीला आकाश। झड़ने से पहले ये पत्ते अपनी चरम सीमा तक सुंदर लगते हैं इतने सुंदर रंग होते हैं मानो आनेवाले बेरंग दिनों को ढकने की कोशिश कर रहे हों। मैं अपनी ही दुनिया में खोई थी कि एक अमेरिकन महिला के बहुत गुस्से से चिल्लाने की आवाज कानों में पड़ी,

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