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कहानियाँ  

आप्रवासी भारतीय लेखकों की कहानियों के संग्रह वतन से दूर में
कैनेडा से
सुमन कुमार घई की कहानी— 'स्मृतियाँ'।


आज अनुरोध का विवाह है। पण्डित जी के मन्त्रोच्चारण में एक याँत्रिक सहजता है और सेहराबन्दी की रीति आगे बढ़ रही है। सुषमा भाभी कितनी प्रसन्न हैं आज। इकलौते बेटे का विवाह और आने वाली बहू की सुंदरता और सुशील स्वभाव ने तो भाभी के हृदय में वात्सल्य की बाढ़ ही ला दी है।

मंडप में भीड़ दो समूहों में बँटी हुई है। एक तो निकट सम्बन्धी जो कि भाभी और अनुरोध के आस पास बैठे हैं और एक मित्र वर्ग जो कि चारों तरफ खड़ा है। अजीब सा सन्नाटा है मन्त्रोच्चारण के समय।

मित्रों की दृष्टि बार बार घूम कर एक चौकी पर अटक जाती है! जहाँ वीरेन का चित्र फूलों से लदा हुआ रखा है। परन्तु कोई भी अधिक देर तक देखता नहीं है उस दिशा में! मन भारी होने लगता है। मैं अनुभव कर रहा हूँ कि हम लोग एक दूसरे की तरफ देखने से भी थोड़ कतरा रहे हैं। भय है कि दृष्टि मिलते ही कहीं आँसू न छलक पड़ें।

अनुरोध छोटा सा था! लगभग चार पाँच वर्ष का रहा होगा जब वीरेन चल बसा था। पूनम का तो जन्म भी वीरेन की मृत्यु के बाद ही हुआ था। यह जो निकट सम्बन्धी भाभी और अनुरोध को घेर के बैठे हैं! इनमें से तो एक भी नहीं था तब कैनेडा में।

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