|  | हाथ में मैले वस्त्रों का थैला 
                    लिए, मार्गरेट लॉन्ड्रोमैट में प्रवेश कर रही हैं। मशीन में 
                    वस्त्र डालकर वह यहाँ आएगी। हम दोनों यहाँ बैठकर कॉफी पिएँगे। यह छोटा-सा ड्रग-स्टोर है। एक 
                    ओर दवाएँ तथा साबुन-मंजन आदि बिकते हैं। दूसरी ओर, खाने-पीने 
                    के लिए एक गोल काउंटर है। वहीं एक किनारे, छोटी-छोटी चार-पाँच 
                    लंबाकर मेजें भी पड़ी हैं। अधिकतर लोग काउंटर के पास लगे ऊँचे 
                    स्टूल पर बैठकर ही, कुछ खा-पीकर, झटपट अपनी राह लेते हैं, 
                    किंतु मुझे मार्गरेट की प्रतीक्षा करनी है, अतः मैं खाली 
                    मेज़ों 
                    पर निगाहें डालता, यहाँ एक कोने में बैठा हूँ। दवाओं की गंध से 
                    भरे इस ड्रग-स्टोर में कॉफी पीना मुझे अच्छा नहीं लगता, किंतु 
                    मार्गरेट को यह लॉन्ड्रोमैट बहुत पसंद हैं। समझ में नहीं आता 
                    क्यों। क्यों कि कोई ख़ास बात नहीं हैं इस लांड्रोमैट में। 
                    अमरीका के छोटे-बड़े सभी नगरों में, ऐसे अनेक लांड्रोमैट हैं। 
                    यहाँ इंसान बेकार खड़ा रहता हैं मशीनें काम करती हैं। एक ओर वस्त्र धोने की मशीनें 
                    हैं, दूसरी ओर सुखाने की। जेब से एक सिक्का निकालकर डालते ही 
                    मशीन चलने लगती हैं...घुर्र, घुर्र... पहली-पहली बार, जब विमल 
                    भैया के साथ यहाँ आया था, वह कुछ मुसकुराकर बोले, ''निर्मल, एक 
                    बार की चाय चाहे गोल कर जाना, किंतु जेब में, इस मशीन के भोजन 
                    के लिए पचीस सैंट अवश्य रखना।  |