मुखपृष्ठ

पुरालेख-तिथि-अनुसार -पुरालेख-विषयानुसार -हिंदी-लिंक -हमारे-लेखक -लेखकों से


कहानियाँ

समकालीन हिंदी कहानियों के स्तंभ में इस सप्ताह प्रस्तुत है यू.एस.ए. से
सुषम बेदी की कहानी— 'गुरुमाई'


उस बड़े से हॉल के एक सिरे पर सिंहासन नुमा चौड़ी-सी आरामकुर्सी थी जिस पर लाल रंग का रेशमी कपड़ा बिछा था। कपड़े के किनारों पर सुनहरी धागों से कढ़ाई की हुई थी। सिंहासन के ठीक उपर छत्र था गुलाबी रंग का जहाँ दोनों ओर खड़े सफ़ेद कुरता पाजामा पहने दो युवक गुरुमाई पर पंखा झुला रहे थे। गुरुमाई बहुत शांत, निरुद्विग्न-सी बैठी थी अपने सिंहासन पर। आँखें ठीक सामने देख रही थी। कभी-कभी हाल में बैठे भक्तों की भीड़ पर नज़र दौड़ा लेती। फिर अपने आप में अवस्थित। जैसे कि ध्यान में ही हो!

हॉल में एकदम चुप्पी थी। सब इंतज़ार में थे गुरुमाई के आशीर्वाद के। उनके मुख से निकलनेवाला हर वाक्य आकाशवाणी की तरह पवित्र और पूज्य था। क्या गुरुमाई अपने वचन की इस ताकत से परिचित थी? शायद हाँ। शायद हाँ, शायद नहीं।

एक-एक करके लोग उसके पास जाते, कुछ चरणों को छू नमस्कार करते। कुछ साष्टांग प्रणाम की मुद्रा में चरणों पर शीश रख देते। गुरुमाई हाथ बढ़ाकर, कभी सिर या माथा छूकर आशीर्वाद देती और वे लौटकर अपनी जगह आ बैठ जाते। उनकी आँखे गुरुमाई के चेहरे को ताकती अघाती न थी। एक तेज़ था वहाँ। यों भी गुरुमाई का चेहरा खूबसूरत था।

पृष्ठ : . . .

आगे-

1

1
मुखपृष्ठ पुरालेख तिथि अनुसार । पुरालेख विषयानुसार । अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़े
1
1

© सर्वाधिका सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक
सोमवार को परिवर्धित होती है।