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वह आज एक बार फिर पत्नी को
नाराज़ कर बैठा है।
उसकी भूल जाने की आदत अब परेशानी पैदा करने लगी है। बाहर वाले
तो कभी कभी ही परेशान होते हैं; किन्तु पत्नी के साथ तो पूरा
जीवन बिताना है। जब जब पत्नी से किया वादा भूलता है, घर में
परेशानी खड़ी हो जाती है। पत्नी को हैरानी होती है कि अभी तो
पचास का ही हुआ है, यह पैंसठ वाली समस्या का शिकार क्यों होता
जा रहा है।
आज भी यही हुआ है। पत्नी की
बात मान गया कि शाम पाँच तीस के शो में पत्नी को निःशब्द
दिखाने ले जाएगा। दो दिन पहले ही वादा किया था। उस समय कहाँ
मालूम था कि निःशब्द में से कितने शब्द निकल कर उसका मुंह
चिढ़ाने लगेंगे। भूल गया कि आज शाम चार बजे के लिये पहले ही
हाँ कह चुका था। पत्नी को भी बता दिया था। लेकिन अब की बार
उसके साथ साथ वह भी भूल गयी थी। उसका भूलना उसे याद नहीं आ
रहा; शब्द बाणों से घायल उसे ही होना पड़ रहा है।
सुबह दस बजे रवि का फ़ोन आया,
“हाँ जी बंधुवर, क्या हो रहा है?”
“होना क्या है भाई, बस डांट खा रहे हैं। आज शनिवार है और शनि
हमारे सिर पर बोल रहा है।” |