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कहानियाँ

समकालीन हिंदी कहानियों के स्तंभ में इस सप्ताह प्रस्तुत है यू.एस.ए. से
इला प्रसाद की कहानी— 'होली'


वेदिका की आँखें ''साइन्टिफ़िक अमेरिकन'' के उस पन्ने पर ठहर-सी गई हैं - ''सीज्रोफ़ेनिया'' की मूल वजह फ्लू के कीटाणु हैं, जो गर्भावस्था के दौरान माँ के शरीर से बच्चे के मस्तिष्क में प्रवेश कर जाते हैं और परिणामत: बच्चा जन्म से सिज्रोफ़ेनिया का रोगी हो सकता है।'' किसे बताए जाकर? वह तो उससे इतनी दूर चली गई है अब, कि चाह कर भी वह उस तक नहीं पहुँच सकती।

इतनी खूबसूरत, इतना जहीन दिमाग और सीज्रोफ़ेनिया! ''आम तौर पर इस रोग के रोगी असाधारण प्रतिभाशाली होते हैं। सिमी भी है। भाषा पर ग़ज़ब का अधिकार। अंग्रेज़ी में इसके दो कविता-संग्रह मैकमिलन वालों ने छापे हैं। खूब बिक रहे हैं। ''स्मिता ने जानकारी दी थी।
''तब भी, मुझे तो डर ही लगेगा इसके साथ होली खेलते हुए।'' वेदिका ने हिचकते हुए कहा था।
''कमाल करती हैं आप? हम इसे एक सहज वातावरण देने की कोशिश कर रहे हैं कि यह अपनी परेशानी भूल जाए और आप हैं कि....'' स्मिता ने वाक्य अधूरा ही छोड़ दिया था।
वेदिका चुप हो गई थी।
वह हॉस्टल में उसकी दूसरी होली थी। पहली तो यों गुज़री कि उसे लगा ही नहीं कि आज होली थी। नई-नई आई थी तब।

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