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पिछले दो हफ्तों से कोहरे की
चादर ने डेनमार्क के शहर नोरेब्रो को अपनी जकड़ में ले रखा था,
लेकिन यह कोई अनोखी या नई बात नहीं थी। बर्फ़ीली सर्द हवायें
डेन्मार्क के लम्बे ठन्डे मौसम की शान होती हैं, लेकिन जब किसी
दिन कोहरे की घनी चादर को चीरकर सूरज अपनी चमक को धरती पर
बिखेरता है तो इन्सान ही नहीं, वनस्पतियाँ भी उसकी रोशनी के
स्वागत में पलक-पाँवड़े बिछा देती हैं। उजाले की किरणें अपनी
छठा बिखेरती हैं तो सार्वजनिक स्थल युवाओं की मदहोश साँसों और
बच्चों की किलकारियों से गुन्जायमान हो जाते हैं। वृद्ध भी इस
उन्मुक्त वातावरण में जोश से भर जाते हैं। यहाँ तक कि, चिकनी
साफ़ सड़कें भी बेकार और बेमकसद आवा-जाही की चहल पहल से भर
जाती हैं।
ऐसी ही सर्दी की एक सुबह सूरज
अपनी प्रकृति के विपरीत लाल दायरे के साथ निश्चित दिशा के
आसमान में आँखें मूँदे आगे बढ़ रहा था। 'जैन्सन
आपार्टमेंन्ट' की तीसरी मंज़िल के
एक फ्लैट में जब यश मखीजा ने खिड़की के परदे की डोरी को खींचा,
तो सूरज की आभा के प्रभाव से बच नहीं सका। एक पल के लिए चौंका,
फिर उसे लगा कि उसके अन्दर नई स्फूर्ति का संचार हो रहा है।
इधर कई दिनों से वह खुद को बेहद थका महसूस कर रहा था। अक्सर
नींद भी नहीं आती थी। फिर दूसरे दिन सारा शरीर टूटता रहता।
चूँकि उठना तो था ही, इस लिए उठ जाता। |