|
दोपहर का एक बजा था। दरवाज़े की
घंटी बजी। मुस्कराता हुआ चार्ली खड़ा था। दोनो हाथों में चार
बियर की बोतलें थामे और एक वाइन की बोतल अपने सीने से टिकाये
हुए।
'वाव! ये तो सारा ट्रक साथ में ले आये हो चार्ली!'
'हैपी आवर के लिये हैपी सामान ज़रूरी है.., अमर!'
अमर ने चार्ली को लंच की दावत दी थी। अमर खुदको लेखक कवि चिंतक
और दार्शनिक समझता है। ग्रीष्म के महीने में छुट्टी मनाता है,
पर्यटन करता है, बाहर की दुनिया से मिलता जुलता है, और जब सोच
कुछ गहन हो जाती है तो शब्दों में ढाल देता है। अमर अपनी छोटी
सी कॉटेज में अकेला रहता है। पहाड़ की घाटी में, एक पार्क में
कोई पचास कॉटेज थोडे–थोडे अंतर से बने हुए है।
चार्ली जवान आदमी है। उम्र तीस साल के अंदर। बीवी के साथ रहता
है, और उसकी कॉटेज अमर की कॉटेज से थोड़े ही कदम दूर है।
चार्ली ने हाई स्कूल से आगे कोई पढ़ाई नहीं की। ट्रक चलाता है,
और किसी कंपनी का माल अलग–अलग जगह पहुँचाता है। यूनियन का
मेम्बर है, सुखी देश में रहता है, और अच्छी कमाई कर लेता है।
अमर कोई चार साल पहले इस पार्क मे रहने आया, और तब से चार्ली
को पहचानता है। |