पिछले सप्ताह
हास्य
व्यंग्य में
रविशंकर श्रीवास्तव का
व्यंग्य
(उ)ई मेल
°
पर्व
परिचय में
महाशिवरात्रि के अवसर पर
कश्मीरी परंपराओं का छानबीन
शिवरात्रि
के अखरोट
° ललित
निबंध में
श्यामसुंदर दुबे के शब्दों में
रोको!
यह
वसंत
जाने
न
पाए
° फुलवारी
में
पाल
वाली नावों का आविष्कार
और होली के लिए मिल कर बनाएं
होलिका
और प्रहलाद
°
कहानियों
में
यू के से उषा वर्मा की कहानी
मंजूर
अली
मंजूर अली यहीं ब्राडवे के
मोड़ पर रहते थे। मकान बड़ा नहीं था पर अच्छा था।
वैसे अकेले आदमी के लिए दो कमरों का मकान भी बड़ा
ही होता है। कुछ ही दिनों पहले पाकिस्तान से आए थे। हर समय खुशी की एक लहर उनकी आंखों
में दौड़ती रहती थी। सुधाकर को भी लीडस में
रहते यही सात आठ साल हो रहे थे। सुधाकर भारत के
उड़ीसा प्रांत से आए थे। परिवार को अभी तक नहीं बुला
पाए थे, अकेले थे
अतः हर एक से मिलना जुलना भी खूब रखते थे। समय
पड़ने पर हर किसी की मदद करने को तैयार रहते थे।
स्वभाव की इस उदारता की वजह से वह सबके चहेते थे
लोग उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखते थे।
!°!
|
|
इस
सप्ताह
कहानियों
में
महिला दिवस के
अवसर पर
भारत से क्रांति त्रिवेदी की कहानी
एक
पढ़ीलिखी स्त्री
शैलजा ने कहा, "मैं नौकरी कर लूं तो मेरी
शैक्षिक योग्यता काम आएगी और अर्थाभाव का कांटा भी
निकल जाएगा।" प्रभात ने कठोर दृष्टि से उसकी ओर
देखते हुए कहा, "मैं नहीं चाहता कि मेरे बच्चे
नौकरों के सहारे रहकर बड़े हों और रही अर्थाभाव की
बात, तो अर्थाभाव का कांटा मुझे तो कहीं दिखता नहीं।
तुम्हारी शिक्षा नौकरी के लिए नहीं है, वह इसलिए है कि
बच्चों का सही पालनपोषण हो और अर्थार्जन के
लिए उसका तब उपयोग हो, जब वास्तविक अर्थार्जन
करनेवाला न रहे।" शैलजा समझ गई कि प्रभात के
विचार इस विषय में इतने दृढ़ हैं कि तर्क उसी तरह
लौट आएंगे जैसे दीवार से टकराकर गेंद।
°
बड़ी
सड़क की तेज़ गली में
अतुल अरोरा के साथ
वेलकम टु अमेरिका
°
मंच
मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में
शरद
जोशी और जीप पर सवार खिल्लियां
°
रसोईघर
में
होली पर मेहमानों के स्वागत के
लिए पकवानों की भरमार
°
आज
सिरहाने
अभिव्यक्ति की सुपरिचित
लेखिका
संतोष गोयल का उपन्यास
रेतग़ार
परिचयः इंदिरा गोस्वामी द्वारा
°
!सप्ताह का विचार!
स्वतंत्र
वही हो सकता है जो अपना काम अपने आप कर लेता है।
विनोबा
|
|
|
अनुभूति
में
|
|
महिला
दिवस,
त्सुनामी, प्रेम व अन्य विषयों पर
9 कवियों की
30 से अधिक
नई कविताएं
|
° पिछले अंकों
से °
कहानियों में
थपेड़ासंजय विद्रोही
उपहारश्रीनाथ
वेलेंटाइन
डेकमल कुमार
अपने
को संभालनागुरूदीप खुराना
ईमेलइला प्रसाद
कोना
झरी केतलीसंतोष गोयल
°
हास्य
व्यंग्य में
कुते
का गलामहेश
चंद्र द्विवेदी
खुदाईनरेन्द्र कोहली
नया साल कुछ ऐसा होसूरज प्रकाश
नव
वर्ष का अभिनंदननीरज त्रिपाठी
°
साहित्यिक
निबंध में
डा विद्यानिवास मिश्र का आलेख
हिंदी
मानसिकता
का निर्माण
°
हास्य
व्यंग्य में
डा निशांत कुमार का
व्यंग्य
दौरा
°
प्रौद्योगिकी
में
रविशंकर
श्रीवास्तव का आलेख
गांव
में बना हिन्दी ब्राउज़र
°
विज्ञान
वार्ता में
डा
गुरूदयाल प्रदीप की नज़र से
2004
की प्रमुख वैज्ञानिक
उपलब्धियां भाग2
°
रचना
प्रसंग में
दीपिका जोशी के बहुमूल्य सुझाव
टाइप
करते समय याद रखें
°
आज
सिरहाने
अमरीकी भारतीय लेखकों का संकलन
दिशांतर
°
साहित्यिक
निबंध
के अंतर्गत डा सत्यव्रत वर्मा का आलेख
केरल
का हिन्दी कविः
स्वाति तिरूनाल
|
|