समकालीन कहानियों में
इस माह
प्रस्तुत है- भारत से
नीलेश शर्मा की
कहानी
मिले सुर मेरा तुम्हारा
पिछले
आठ नौ दिन से बारिश लगभग लगातार जारी थी। कभी धीमी, कभी तेज
और कभी बहुत तेज। पूरा मथुरा बादलों की चादर ओढ़े बूँदों की थाप
पर थिरक रहा था। कई जगह सड़कें गीली तो बहुत सी जगह जलमग्न थी
ऐसे कि ईंटों और पत्थरों के टुकड़े पानी से गर्दन बाहर निकालकर
झाँक रहे होते जैसे साँस लेने को बाहर आये हों।
ये अगस्त और
मानसून का महीना था तो बारिश होना जायज था। चारों तरफ हरियाली
और हरे तोतई पत्तों से ऊपर से नीचे तक लदे फँदे वृक्ष जिनकी
पानी से भीगी हुई भूरी छालें नाक को एक अलग ही महक का अनुभव
देती थी। मथुरा श्री कृष्ण का जन्मस्थान, दुनिया के लिए महान
तीर्थ स्थल और ये महीना अगस्त का जिसमें जन्माष्टमी पड़ती है।
लाखों की भीड़ कन्हैया का दर्शन करने मथुरा में एकत्रित हो जाती
है, हर साल के अनुभवों से सीख कर इस साल भी जिला प्रशासन पहले
ही सचेत हो गया था ...आगे-
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