|
रवीन्द्र कालिया का नवीनतम व अप्रकाशित लघु उपन्यास ए बी सी डी धारावाहिक (चौथी किस्त) नेहा ने मां के हाथ से
रिसीवर लिया और पुलिस में पिता की गुमशुदगी की रिपोर्ट दाखिल
कर दी। वह खुद भी मां को साथ लेकर गाडी में पिता की तलाश में
निकली, मगर सडक पर तेज हवाएं थीं और बर्फ। चिरई का पूत भी
नजर नहीं आ रहा था, जिससे कुछ दरियाफ्त किया जा सके। गाडी ने
एक किलोमीटर का सफर भी तय न किया होगा कि सडकें बर्फ में दफन
होने लगीं। "मॉम आगे बढना खतरनाक हो सकता है। हो सकता
है, लौटने का रास्ता न मिले।'' नेहा ने तेजी से गाडी वापिस
घुमा ली।
|
कहानियों में वह भी सर्दियों के दिन थे। भारत पाकिस्तान में जंग शुरू हो गई। जंग खत्म होने के बाद पूर्वी पाकिस्तान का अस्तित्व खत्म हो चुका था। अब नया देश बांगलादेश दुनिया के नक्शे पर उभर आया। भारत पाकिस्तान के बीच जंग भले खत्म हो गई थी, वहां बांगलादेश में आपस में लोगों में खून खराबा जारी था। खास कर बिहारी मुसलमानों की वहां खैर नहीं थी। तब वहां माना जाता था कि बिहारी मुसलमान पाकिस्तान परस्त है। बांगलादेश बनने के पहले भी बिहारी मुसलमानों और बंगाली मुसलमानों में भारी मतभेद थे। °
परिक्रमा
में ° °
संस्मरण में
° लघुकथाओं में
!°!
!सप्ताह का विचार! |
° पिछले अंकों से° कहानियों
में परिक्रमा
में |
आज सिरहाने।आभार।उपहार।कहानियां।कला दीर्घा।कविताएं।गौरवगाथा।घरपरिवार |
|
|
प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना
परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी
सहयोग :प्रबुद्ध कालिया
साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार
शुक्ला