मुखपृष्ठ

पुरालेख-तिथि-अनुसार -पुरालेख-विषयानुसार -हिंदी-लिंक -हमारे-लेखक -लेखकों से


माटी की गंध
भारतवासी लेखकों की कहानियों का संग्रह

'निवेश' शीर्षक से यह कहानी है
जमशेदपुर से
जयनंदन की
 


फुल्लू चाटवाला - माधुरी दीक्षित का घनघोर कद्रदान।
मकबूल फिदा हुसैन के अलावा भी माधुरी दीक्षित पर फिदा हज़ारों दीवाने हैं इस देश में, जिन्हें कोई नहीं जानता, खुद माधुरी भी नहीं, इसलिए कि वे मकबूल की तरह मकबूल नहीं हैं। ऐसे ही दीवानों में एक दीवाना है फुल्लू चाटवाला। उसके पास न तो इतने पैसे हैं, न वह इतना रसूखवाला है और नाही इतना इल्मदार कि अपनी दीवानगी को मूर्त रूप देने के लिए उससे बतौर हीरोइन काम करवाकर गजगामिनी फिल्म बना दे। यों वह जानता है कि दीवाना होने के लिए फिल्म बनाना, अमीर होना या मारूफ होना कोई शर्त नहीं हैं।

वह यह भी जानता है कि दीवाने तो अक्सर फक्कड़, फटेहाल और बेनाम लोग ही होते रहे हैं। तो माधुरी को लेकर उसके पागलपन से अब यह पूरा शहर अवगत हो गया है। अखबारवाले अब इसके समाचार को चुहलबाजी की मुद्रा में किसी चटनी या अचार परोसने की तरह छापते हैं जिसे लोग लुत्फ ले-लेकर पढ़ते हैं। कई लोगों को यह समाचार पढ़कर फुल्लू से रश्क हो उठता है कि यह आदमी एक बेवकूफी करके ही सही मगर धीरे-धीरे चर्चित हो रहा है।

दीवानगी का बीजारोपण वहाँ से हुआ था जब फुल्लू बनारसी चाट की अपनी पुश्तैनी दुकान पर बैठकर मक्खियाँ मारा करता था।

पृष्ठ : . . .

आगे-

 
1

1
मुखपृष्ठ पुरालेख तिथि अनुसार । पुरालेख विषयानुसार । अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़े
1
1

© सर्वाधिका सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक
सोमवार को परिवर्धित होती है।