गंगा की
बेटी स्पेन में —
‘ला
हिडेन डेल गेंगेस’ की रचियता एवं हालीवुड की चर्चित
अभिनेत्री आशा मिरो की मुलाकात २८ साल बाद अपनी बहन
से हुयी। आशा मिरो की बहन का नाम भी आशा ही है। समय का
बहाव एक बहन को स्पेन ले गया वही दूसरी बहन अभी
भी नासिक जिले के एक गाँव
में रहती है। एक दूसरे की
भाषा, देश और संस्कृति से अनजान इन दोनो बहनो का मिलन
हालीवुड के निदेशक के कारण सम्भव हो सका। मिलन की इस
बेला पर ऐसा लगा जैसे वक्त ही ठहर गया है।
१९७२–७३ में पडे अकाल से राधू घोडेराव की पत्नी का देहान्त हो
गया था। उनके दो बेटिया थी जिसमे से एक की उम्र ७ साल
और दूसरे की ६ माह थी। बिन मां की बच्चियों को पालने
में असमर्थ राधू ने एक अध्यापक की मदद से अपनी दूध
पीती बच्ची को अनाथ आश्रम में डाल दिया और बडी बेटी
आशा को अपने पास रख लिया। अनाथ आश्रम मे छोडी गयी आशा
को स्पेन के एक दम्पति मिरो ने गोद ले लिया और अपने
साथ वर्सीलोना ले गये। आशा मिरो संगीत का प्रशिक्षण
लेकर प्रशिक्षक बनी और हालीवुड की दुनिया मे प्रवेश
किया। इसी बीच आशा द्वारा अनाथ और गोद लिये जाने वाले
बच्चो पर लिखी हुयी किताब ’ला हिडेन डेल गेंगेस’
ने तहलका मचा दिया। इस पुस्तक पर फिल्म बनाने का
प्रस्ताव लेकर हालीवुड के कई निर्देशक आशा मिरो
से मिले। उन्ही में से एक निर्देशक के प्रयास के
फलस्वरूप दो बिछुडी हुयी बहनो का पुनर्मिलन हो सका।
वैज्ञानिक
से राष्ट्रपति बने कलाम की क्षमता एवं सक्रियता से
भारत के राजनीतिज्ञों को ईर्ष्या हो सकती है । इकहत्तर
वर्षीय कलाम पिछले दस महीनो में इक्कीस राज्यों का
दौरा कर डेढ़ लाख छात्रो से मिल चुके हैं । उम्र के इस
पडाव पर पहुँच कर भी कलाम की सक्रियता में कोई कमी नही
आयी है। वैष्णो देवी के दर्शन को गये कलाम ने सांझी छत
से दो किलोमीटर के यात्रा मार्ग को पैदल पार किया और
डल झील के रास्ते हजरत बल पहुँच कर देश की
शान्ति के लिये दुआ मांगी । कलाम अपनी यात्राओं के
जरिये लोगो को विकसित भारत के अपने सपने से अवगत कराना
चाहते हैं । कलाम अब तक इतने कम समय में सबसे अधिक
यात्रा करने वाले राष्ट्रपति हैं।
भारत
और चीन दुनिया के दो सबसे पुरानी सभ्यताओं वाले देश
हैं। प्रधानमंत्री वाजपेयी की छ: दिवसीय चीन यात्रा को
जनसंख्या की दृष्टि से समूचे विश्व मानचित्र पर अलग
दिखायी देने वाले इन दोनो देशो के बीच आपसी सम्बन्धो
पर दशको से जमी बर्फ को पिघलाने की एक सकारात्मक कोशिश
के रूप में माना जा रहा है। भारत और चीन ने पुरानी
कडुवाहट भुलाते हुये अपने द्विपक्षीय रिश्ते को नयी
दिशा देने की उत्कंठा के साथ ९ महत्वपूर्ण करारो पर
हस्ताक्षर किये। सिक्किम के नाथू ला दर्रे से
सीमा व्यापार खोलने पर हुयी सहमति का मतलब है कि
चीन ने अपरोक्ष रूप से सिक्किम को भारत का राज्य मान
लिया है। भारत ने भी स्वायत्तशासी क्षेत्र तिब्बत को
रिपब्लिक आफ चीन का हिस्सा मानकर सम्बन्धो की खटास में
मिठास भरने का प्रयास किया है। भारत और चीन ने सीमा
विवाद जैसे जटिल सवालो को गौण रखते हुये आपसी सहयोग
बढाने की ओर उत्सुकता दिखायी है। मधुर सम्बन्धो के
आवरण से ही सीमा विवाद को भी निपटाया जा सकता है। दोनो
देशो के सम्बन्धो में प्रगाढता लाने की दृष्टि से उचित
माहौल पैदा करने की कोशिशें उचित दिशा में बढती दिख
रही है। इसे एक शुभ संकेत के रूप में देखा जा रहा है
जो दो सभ्याताओं के मिलन का संयोग बनेगा।
अमेरिकी
राष्ट्रपति जार्ज बुश के विशेष आमन्त्रण पर अपनी भारी
भरकम फेहरिस्त के साथ कैप डेविड गये पाकिस्तानी
राष्ट्रपति जनरल मशर्रफ को मुँह की खानी पडी। उन्होने
बुश के सामने कई मांगे रखी जिनमें एफ १६ विमानो
की खरीद, चार अरब डालर का अनुदान, एक अरब ८० करोड
डालर की कर्ज माफी, पाकिस्तान अमेरिकी सैन्य सम्बन्धो
की बहाली प्रमुख थी। एफ १६ लडाकू विमान न देने का टका
सा जवाब, कर्ज माफी की दरख्वस्त का सिरे से खारिज कर
देने तथा ३अरब डालर के मिले अनुदान राशि पर बुश
ने तमाम शर्ते थोप कर जनरल मुसर्रफ के मंसूबे पर पानी
फेर दिया। शिखर वार्ता में अमेरिकी रूख से जनरल
मुसर्रफ की चौतरफा किरकरी हो रही है। पाकिस्तान को एफ
१६ विमान न देने के अमेरिकी फैसले से साफ है कि
अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को खुश करते रहने के पुराने
रवैये में बदलाव आया है।
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भारतीय
हाकी ने आस्टे्रलिया को उसके घर सिडनी के मैदान में
पराजित कर, चतुष्कोणीय स्पर्धा में विजय प्राप्त करते
हुए, भारतीय हाकी शैली को नया आयाम दिया है। पूर्ण
आत्मविश्वास से भरे हुए भारतीय हाकी दल ने हैम्बर्ग
में विश्व चैम्पियन जमर्नी की मौजूदगी में,
पैनासोनिक कप पर अपना नाम दर्ज करा भारतीय हाकी
को बुलंदी पर पहुँचा दिया। भारतीय हाकी के सुनहरे
दिनों की याद दिलाती हुयी भारत की इस विजय ने हर
भारतीय के मन को उत्साह और खुशी की चमक से भर दिया
है।
पेरिस
के फुटपाथो पर एफिल टावर बेचने वाले पंजाबी नवयुवक
पंजाब में शानदार बंगले और फार्म हाउस के मालिक है।
पैसा कमाने की अदम्य लालसा के साथ पंजाब से पेरिस
पहुँचे नवयुवको ने फुटपाथो पर एफिल टावर तथा अन्य
स्मृति चिन्ह आने वाले पर्यटको को बेचने का व्यवसाय
करते है। गौरतलब है कि पेरिस में फुटपाथ पर ऐसा
व्यवसाय प्रतिबन्धित है हर दो घंटे मे वहाँ
पुलिस की रेड पडती है इन सब अवरोधो को बावजूद भी ये
नवयुवक लगभग ५ ० से ६ ० हजार रूपये प्रतिमाह अपने
घरो को भेजते है।
म्यांमार
में फौजी शासन के दमघोंटू माहौल के बीच
लोकतन्त्र की बयार बहाने की कोशिश में तल्लीन नेत्री
और नोबुल पुरस्कार विजेता आन सान सू ने अपने जन्म की ५८ वीं साल गिरह जेल की सलाखो के बीच मनायी। ज्ञात हो
कि देश में लोकतन्त्र की बहाली की पुरजोर मांग करने
वाली आन्दोलनरत सू को सैनिक शासको द्वारा सलाखो के
पीछे ढकेल दिया गया है।
सौ
करोड की आबादी वाले प्रत्येक भारतवासी के सिर पर ५०००
रूपये के विदेशी कर्ज का भार लदा हुआ है । सरकारी
आंकडो के अनुसार मार्च २००२ के अन्त तक देश पर ९८.२० अरब डालर का विदेशी कर्ज था जो दिसम्बर २०० २के
अन्त तक बढता हुआ १०५ अरब डालर तक पहुँच गया । देश
के निर्यात कारोबार में पिछले कुछ वर्षो में हुयी
वृद्धि और विदेशी मुद्रा भंडारण के तेजी से बढकर ८०
अरब डालर तक पहुँच जाने के बाद भी विदेशी कर्ज के
ग्राफ में वृद्धि का रूख बना हुआ है।
नवी
मुंबई, स्वीमिंग पूल के पानी के अन्दर सात फेरे लेकर
शादी रचाने वाले एक जोडे ने लोगो को दांतो तले अंगुली
दबाने पर मजबूर कर दिया। २८ वर्षीय चन्दन ठाकुर और २५
वर्षीय दीप्ति ने जीवन साथी बनने के लिये ३०
मिनट तक पानी के नीचे रहकर कुछ वर्ष पूर्व थाइलैंड के
एक जोड़े द्वारा कायम किया गया रिकार्ड भी ध्वस्त कर
दिया। थाई जोडे ने विवाह की रस्म को अंजाम देने के
लिये मात्र १० मिनट पानी के नीचे गुजारे थे। यह अनोखी
शादी मैरिन सेंटर के एक पूल में हुयी। दुल्हन गुलाबी
रंग की चानिया चोली में सज संवर कर पानी में उतरी।
विवाह पूरी तरह मराठी रीति रिवाजों से सम्पन्न हुआ।
इसमें आस्था पूजा, कलश पूजा, सात फेरे, यहाँ तक कि
कन्यादान की रस्मे भी निभायी गयीं। पंडित की
भूमिका मैरीन कमांडो रविन्द्र कुलकर्णी ने निभाई़।
चन्दन और दीप्ति ने सगाई के लिये भी अनोखा रास्ता चुना
था। उस समय दोनो ने रस्सों के सहारे बहुमंजली इमारत से
लटक कर एक दूसरे को अंगूठी पहनायी थी।
— बृजेश कुमार शुक्ल |