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शायद तुमको यकीन न आये कि मुझे धुयें में खुशबू महसूस होती है।
एक अजीब सी खुशबू...धुएँ में कभी–कभी एक तल्ख सी कसीली
खुशबू आती है और कभी–कभी बेहद नर्म सी खुशबू रोटियों की महक
लिए हुए। हमारे घर में खाना लकड़ी वाले चूल्हे पर पकता था, लकड़ी
जला कर मेरी बड़ी बहन चपातियां पकाती
थी और में उकडू चूल्हे के
आगे बैठकर धुएँ की खुशबू और अंगारों से बातें करता था और अक्सर
बेखुदी में हाथों को आगे फैला लेता था। मेरी बहन की रोटी फट
जाती थी और वह झुंझला कर मुझे डाटती थी 'परे हट'।
अब मेरी बहन लंदन में हैं। वहाँ बन्द डिब्बों का खाना खुद खाती
होगी, पति और बच्चों को खिलाती होगी। मैं होटल पर . . डबलरोटी
पर जी रहा हूँ लेकिन जहाँ भी धुएँ की लकीर शाम को या सुबह के
धुँधलके में उठती देखता हूँ यही महसूस करता हूँ कि यह खुशबूदार
धुआँ रोटी की सौंधी खुशबू लिये हुए है।
मुझे पत्तियों से हरी–हरी खुशबू आती है, धान के खेत से
धानी–धानी खुशबू...। मुझे खुद हैरत है कि मुझे खुशबू का रंग
कैसे महसूस हो जाता है? हल्की–हल्की शुरू की सर्दियों में मुझे
गुलाबी–गुलाबी खुशबू आती है और यह मौसम मुझे बेहद पसंद है। जब
मैं अपनी बहन के हाथ का बुना हुआ पुलोवर पहनकर साफ लम्बी चौड़ी
सड़कों पर यूकेलिप्टस के सायेदार दरख्तों के बीच से गुजरता हूँ
तब गुलाबी–गुलाबी जाड़े की खुशबू महसूस करता हूँ। |