पर्यटन |
अनोखा आकर्षण
आम्बेर |
|
वृहदाकार के लिए चित्र को क्लिक करें |
|
गणेश पोल आंबेर, आम्बेर क़िले का प्रवेशद्वार |
|
राजस्थान का नाम वहाँ के
रेगिस्तान और रेत के कारण ही नहीं जाना जाता, वहाँ की
संस्कृति और धार्मिक परम्पराएं देश भर में अनोखा स्थान
रखती है। वहां के स्थापत्य और किले अपने सौंदर्य और
उत्कृष्ट कारीगरी के लिये विश्वभर में जाने जाते हैं।
जयपुर राजस्थान की राजधानी है, जयपुर नगर से लगभग १२
किलोमीटर दूर एक छोटी सी नगरी है "आमेर", जो अपने
प्रसिद्ध किले और मंदिर के प्रसंग में विश्वभर में
जानी-पहचानी जाती है। जयपुर से दिल्ली मार्ग पर अरावली की एक छोटी और सुन्दर टेकड़ी पर बसी यह नगरी "आमेर" अपने दो संदर्भों में वहाँ के लोगों की किंवदंतियों और चर्चाओं में जीवित है। कुछ लोगों को कहना है कि अम्बकेश्वर भगवान शिव के नाम पर यह नगर "आमेर" बना, परन्तु अधिकांश लोग और तार्किक अर्थ अयोध्या के राजा भक्त अम्बरीश के नाम से जोड़ते हैं। कहते हैं भक्त अम्बरीश ने दीन-दुखियों के लिए राज्य के भरे हुए कोठार और गोदाम खोल रखे थे। सब तरफ़ सुख और शांति थी परन्तु राज्य के कोठार दीन-दुखियों के लिए खाली होते रहे। भक्त अम्बरीश से जब उनके पिता ने पूछताछ की तो अम्बरीश ने सिर झुकाकर उत्तर दिया कि ये गोदाम भगवान के भक्तों के गोदाम है और उनके लिए सदैव खुले रहने चाहिए। भक्त अम्बरीश को राज्य के हितों के विरुद्ध कार्य करने के लिए आरोपी ठहराया गया और जब गोदामों में आई माल की कमी का ब्यौरा अंकित किया जाने लगा तो लोग और कर्मचारी यह देखकर दंग रह गए कि कल तक जो गोदाम और कोठार खाली पड़े थे, वहाँ अचानक रात भर में माल कैसे भर गया। कहानी चाहे कुछ भी हो, आम्बेर देवी के मंदिर के कारण देश भर में विख्यात है। शीतला-माता का प्रसिद्ध यह देव-स्थल भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने, देवी चमत्कारों के कारण श्रद्धा का केन्द्र है। शीतला-माता की मूर्ति अत्यंत मनोहारी है और शाम को यहाँ धूपबत्तियों की सुगंध में जब आरती होती है तो भक्तजन किसी अलौकिक शक्ति से भक्त-गण प्रभावित हुए बिना नहीं रहते। देवी की आरती और आह्वान से जैसे मंदिर का वातावरण एकदम शक्ति से भर जाता है। रोमांच हो आता है, रोंगटे खड़े हो जाते हैं और एक अजीब सी सिहरन सारे शरीर में दौड़ जाती है। पूरा माहौल चमत्कारी हो जाता है। निकट में ही वहाँ जगत शिरोमणि का वैष्णव मंदिर है, जिसका तोरण सफ़ेद संगमरमर का बना है और उसके दोनों ओर हाथी की विशाल प्रतिमाएँ हैं। |
|