प्रिय
दोस्तों,
आशा है तुम सब ठीक होंगे। आज मै तुम्हें पृथ्वी के बारे
में कुछ जानकारी दूँगी। पिछले अंकों में मैंने तुम्हें
बताया था कि सौर मंडल के ग्रहों का जन्म कैसे हुआ था।
उन्हीं नौ ग्रहों मे से एक ग्रह है पृथ्वी।
पृथ्वी
उपर से कैसी दिखती है ये तो हम सभी जानते हैं। लेकिन क्या
तुम्हें पता है कि हमारी पृथ्वी कितने हज़ारों किलोमीटर
लंबी और चौड़ी है? कभी तुमने सोचा है कि आखिर पृथ्वी के
अंदर है क्या?
आओ आज
मैं तुम्हें इन सभी सवालों का जवाब देती हूँ।
पृथ्वी
की चौड़ाई बारह हज़ार सात सौ छप्पन किलोमीटर (१२,७५६
कि.मी.) है और लंबाई बारह हज़ार सात सौ तेरह किलोमीटर
(१२,७१३ कि.मी.) है। पृथ्वी अपना एक चक्कर चौबीस घंटों में
लगाती है इसलिए पृथ्वी पर एक दिन चौबीस घंटे का होता है।
पृथ्वी सूरज से १५०,०००,००० किलोमीटर की दूरी पर है। यह
सूरज का एक चक्कर तीन सौ पैंसठ दिन में पूरा करती है,
इसीलिए पृथ्वी के एक साल में तीन सौ पैंसठ दिन होते हैं।
ये तो
थीं पृथ्वी के बारे में कुछ दिलचस्प बातें। आओ अब यह जानें
कि पृथ्वी के भीतर क्या है? पृथ्वी को चार परतों में बाँटा
गया है: भूपृष्ठ, मैन्टल, ऊपरी कोर और भीतरी कोर। सबसे
ऊपरी सतह को भूपृष्ठ कहते हैं। इसकी गहराई दस से चालीस
किलोमीटर होती है। यह वही सतह है जिस पर हम रहते हैं, जिस
पर पहाड़ और विशाल सागर हैं। इसके नीचे की सतह को मैन्टल
कहते हैं। ऊपरी मैन्टल की मोटाई छ: सौ पचास किलोमीटर है और
भीतरी मैन्टल की दो हज़ार तीन सौ किलोमीटर है।
ऐसा माना
जाता है कि मैन्टल सिलिकेट पत्थरों से बना है जिन में लोहा
और मैग्निशियम होता है। धरती की सबसे भीतरी सतह को कोर
कहते हैं। बाहरी कोर की मोटाई एक हज़ार आठ सौ किलोमीटर है।
भीतरी कोर का घेरा एक हज़ार छ: सौ किलोमीटर का है। बाहरी
एवं भीतरी कोर मुख्यत: लोहे और निकल के बने होते हैं।
भीतरी कोर ठोस होता है और बाहरी कोर द्रव्य होता है।
आजकल
हमारी पृथ्वी प्रदूषित होती जा रही है। पृथ्वी का जल
प्रदूषित होता जा रहा है। हम सबको पृथ्वी की स्वच्छता का
ध्यान रखना चाहिए।
अगले अंक में एक और ग्रह की कहानी के साथ फिर मिलेंगे। इस
बीच अगर पृथ्वी के बारे में तुम्हें कुछ भी पूछना हो तो
मुझे ई-मेल कर सकते हो, पता ऊपर है ही।
ठीक से
पढ़ाई करना और अपना ख़याल रखना।
ढेर से प्यार के साथ,
तुम्हारी,
गुल्लू दीदी
१ जुलाई
२००३
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