अमेरिका में पहली
कथा गोष्ठी
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चित्र
में :
बायें
से श्री जौहर, मिनी पीछे आशा सीकरी, किरण नन्दा, पीछे
ललित अहलूवालिया, सुषम वेदी, सुरेशचन्द्र शुक्ल
शरद आलोक, राम डी .सेठी, राहुल वेदी, सामने
सीमा
खुराना और अनिल प्रभा कुमार
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14
जून को कोलम्बिया विश्वविद्यालय न्यूयार्क में प्रथम कथा
गोष्ठी सम्पन्न हुई कार्यक्रम की शुरूआत हिन्दी के सुपरिचित लेखक
सुरेशचन्द्र शुक्ल शरद आलोक ने अपनी कहानी सरहदों
के पीछे पढ़कर की।
अमेरिका
में बसी सुप्रसिद्ध उपन्यासकार और कोलम्बिया विश्वविद्यालय
की प्राध्यापक सुषम बेदी ने हिन्दी कहानी पर अपने विचार प्रगट
करते हुए कहा कि अमेरिका में कथा गोष्ठी शुभारम्भ करने का श्रेय
मैं
सुरेशचन्द्र
शुक्ल को देती हूं जिनकी प्रेरणा से इसकी शुरूआत हुई।
कथा
गोष्ठी के पहले हिस्से में हिन्दी साहित्य के बाजार पर प्रकाश
डाला गया और सुषम बेदी ने हिन्दी
पुस्तकों की क्रयशक्ति और विक्रेता की समस्याओं पर प्रकाश डालते
हुए कहा कि अंग्रेजी पुस्तकों का बाजार हिन्दी पुस्तकों के बाजार
की अपेक्षाकृत बड़ा है। सुरेशचन्द्र शुक्ल शरद आलोक ने
चर्चा को गति देते हुए कहा कि हिन्दी पाठकों का फलक बहुत बड़ा है
और पुस्तकों की बिक्री के लिए असीमित संभावनायें हैं।
कहानीकार ललित अहलूवालिया ने कहा कि स्तरीय लेखन का
कैनवास सदा बड़ा होता है। येल विश्वविद्यालय की सीमा
खुराना ने अनेक प्रश्नों द्वारा गोष्ठी की परिचर्चा को गरम रखा।
गोष्ठी
के दूसरे हिस्से में पांच कहानीकारों ने अपनी अपनी कहानियां
पढ़ीं। कहानियां पढ़ने वालों में सुरेशचन्द्र शुक्ल शरद
आलोक, सीमा खुराना, ललित अहलूवालिया, राम डी सेठी
और सुषम बेदी थे। कहानी पढ़ने के बाद कहानियों पर
परिचर्चा हुई।शरद आलोक की कहानी की नाटकीयता, सीमा खुराना
की कहानी के प्रस्तुतिकारण, ललित की कहानी में उठाये सवालों
राम डी सेठी की कहानी में लोकभाषा और सुषम वेदी की
कहानी में लयात्मकता की प्रशंसा की गयी। सभी की
कहानियों में सजग श्रोताओं ने कुछ न कुछ ऐसे प्रश्न उठाये
जिनके उत्तर लेखक ने सजगता से दिये।
गोष्ठी
में जिन्होंने सक्रिय हिस्सा लिया उनमें प्रमुख लोग थे
करोड़ीमल कालेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) की किरण नन्दा,
आशा और निकी सीकरी, अनिल प्रभा कुमार, श्री जौहरी और राहुल
बेदी।
कथा
गोष्ठी का उद्देश्य स्तरीय कहानी लेखन और नये लेखकों को
प्रोत्साहन देना है। कथा गोष्ठी का यह सिलसिला त्रैमासिक
गोष्ठी के आयोजन के रूप में चलता रहेगा। कथा गोष्ठी की
आयोजक सुषम बेदी ने कहा कि समयसमय पर कथा
कर्मशाला का आयोजन किया जायेगा तथा कथा गोष्ठी में पढ़ी
गयी कहानियों को पुस्तक के रूप में भी प्रकाशित किया
जायेगा।
किरण
नन्दा ने कथा गोष्ठी के
स्तर की तारीफ की तो सुरेशचन्द्र शुक्ल शरद आलोक ने कहा
कि भारत से बाहर किए जा रहे हिन्दी कथा लेखन में अमेरिका
सबसे आगे है जबकि इस ओर प्रचार कम हुआ है। अमेरिका में
काफी समय से कथा गोष्ठी की कमी महसूस की जा रही थी।
शरद आलोक ने प्रवास की हिन्दी कहानियों के दो
संकलनों का संपादन किया है जो प्रकाशाधीन है जिसमें
अमेरिका के अनेक कथाकारो की कहानियां सम्मिलित हैं।
माया भारती
दिविक रमेश की रचनाओं पर
पीएचडी के लिए शोध ग्रंथ पर उपाधि
6 जून 2003 को समकालीन हिन्दी
काव्य प्रवृतियों के परिप्रेक्ष में दिविक रमेश की
रचनाओं का अध्ययन विषय पर
बंगलौर विश्वविद्यालय की ओर से श्री प्रभु उपासे को
पीएचडी के
लिए लिखे शोध प्रबन्ध पर उपाधि
प्रदान की गयी। दिविक रमेश अभिव्यक्ति के लोकप्रिय लेखकों
में से एक हैं उन्हें वर्ष 2003
2004 के लिए 'हिन्दी अकादमी, दिल्ली' अपना
प्रतिष्ठित साहित्यकार सम्मान प्रदान करेगी ।
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