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                      चिड़िया रानी 
                      
                      नीलम जैन
 
                         बच्चों एक कहानी सुन लो
 बात पते की हो तो गुन लो
 मम्मी डैडी के प्यारे तुम
 सब जग के उजियारे तुम
 
                      एक थी सुन्दर चिड़िया रानीजिद करने की उसने ठानी
 बोली अब मैं नहीं उड़ूँगी
 नहीं हवा पर पैर धरूँगी
 
                      मैं तो तैरूँगी मछली संगरंग लूँ खुद को उनके ही रंग
 मटमैला यह रंग जमे ना
 ना मैं मानूँ ना ना ना ना
 
                      मां बोली तुम देखो उड़ करकहां है मछली के ऐसे पर
 उसकी साँसे पानी में हैं
 तुम्हें है उड़ना दूर गगन पर
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                      उसकी साँसे पानी में हैंतुम्हें है उड़ना दूर गगन पर
 
                      ना मानी और चली तैरनेडैने भीगे तैर ना पाई
 फूली साँस और घबराई
 सुबकी मां की गोद समाई
 
                      हंस कर मां ने गले लगायाखूब संवारा पंख सुखाया
 फिर इतराकर ऊँचे बैठे
 उड़ने का वह सबक सिखाया
 
                      ऊपर आसमान पर उड़तेवह मछली से अबके बोली
 साथ साथ नहीं चलते पर
 तुम भी हो मेरी हमजोली
 
                      कह कर उसने पंख पसारेऔर हवा से किये इशारे
 दिन भर दौड़ धूप और मस्ती
 साँझ डाल और नीड़ पे बस्ती
 
                      चिड़िया मछली और सब प्राणीसबकी अपनी अपनी वाणी
 प्रेम-भाव से संग संग रहते
 सभी एक से एक हैं ज्ञानी
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