पिछले
सप्ताह
हास्य
व्यंग्य में
अशोक स्वतंत्र का आलेख
हे
निंदनीय व्यक्तित्व
°
रचना
प्रसंग में
आर पी शर्मा 'महर्षि' के धारावाहिक 'ग़ज़ल लिखते समय' का
दसवां भाग
ग़जल
के
उपयुक्त
उर्दू
बहरें व समकक्ष हिंदी छंद1
°
प्रौद्योगिकी
में
रविशंकर श्रीवास्तव के
सहयोग से
लिनक्स आया हिंदी में
°
प्रकृति
और पर्यावरण में
आशीष गर्ग द्वारा
नवीनतम जानकारी
वर्षा के पानी का संरक्षण °
कहानियों में
भारत से प्रत्यक्षा की
कहानी
मुक्ति
भीमसेन
जोशी की आवाज़ अंदर गूंज गई। "सावन की
बूंदनिया, बरसत घनघोर . . ." कैरी ने उसका हाथ
अपने हाथ में लेते हुए कहा, "उदास हो क्या?"
विभु चुप रहा। सारी खुशियां तो मिली थी पर तब अंदर
से दुख का सागर क्यों उमड़ा आता था। अवसाद और
अपराध बोध की एक रेखा हर सुख के पीछे से झांकती नज़र
आ जाती। आंसुओ में डूबा एक मासूम चेहरा क्यों बारबार
उसका पीछा करता था। जो बीत गया उसे लेकर
अपना वर्तमान विभु क्यों खराब करें। हर ओर से मन
को समझाता है पर मुक्ति नहीं मिलती है। कैरी सब
समझती है। पर इस अपराध के बोझ से विभु को कैसे
मुक्त कराए।
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इस
सप्ताह
कहानियों में
भारत से सूरज प्रकाश की
कहानी
फर्क
कुंदन आज बहुत
खुश है। आज का दिन
उसे मनमाफ़िक तरीके से मनाने के लिए
मिला है। खूब घुमाएगा बच्चों को। पार्क सिनेमा
चिड़ियाघर। किसी अच्छे होटल में खाना खिलाएगा। आज उसे
मारूति वैन चलाते हुए अजबसा रोमांच हो रहा है। रोज
यही वैन चलाता है वह पर रोज के चलाने और आज के
चलाने में फ़र्क महसूस हो रहा है उसे। रोज वह ड्राइवर होता
है। हर वक्त सतर्क सहमा हुआसा। बैक व्यू मिरर पर एक आंख
रखे। पता नहीं सेठजी कब क्या कह दें पूछ लें। लेकिन आज
के दिन तो वह मालिक बना बैठा है। सेठ जी ने खुद उसे दिन
भर के लिए गाड़ी दी है। "जाओ कुंदन, बच्चों को
घुमाफिरा लाओ।"
°
हास्य
व्यंग्य में
डा नरेन्द्र कोहली बता रहे हैं
बहुसंख्यक
होने का अर्थ
°
दृष्टिकोण
में
डा रति सक्सेना की कलम से
भावना
को
भुनाने
की
कला
°
रचना
प्रसंग में
आर पी शर्मा 'महर्षि' के धारावाहिक 'ग़ज़ल लिखते समय' का
ग्यारहवां भाग
ग़जल
के
उपयुक्त
उर्दू
बहरें व समकक्ष हिंदी छंद2
°
फुलवारी
में
आविष्कारों
की नयी कहानियां
और शिल्पकोना में वर्ग पहेली
भेड़िया
आया भेड़िया आया
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अनुभूति
में
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इस माह के कवि
में
विनोद श्रीवास्तव
दिशांतर में
सुभाष काक
तथा
दोहों में सुमन सरीन
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° पिछले अंकों
से °
कहानियों में
शर्ली
सिंपसन शुतुर्मुर्ग हैउषा राजे सक्सेना
बदल
जाती है ज़िन्दग़ीअर्चना पेन्यूली
बस
कब चलेगीसंजय विद्रोही
लॉटरीराकेश त्यागी
संदर्भहीनसुदर्शन प्रियदर्शिनी
रोशनी
का टुकड़ाअभिनव शुक्ल
°
हास्य
व्यंग्य में
मानवाधिकारडा नरेन्द्र कोहली
सांस्कृतिक
विरासतअगस्त्य कोहली
मुक्त
मुक्त का दौरडा नवीन चंद्र लोहनी
कौन
किसका बापमहेशचंद्र द्विवेदी
°
सामयिकी
में
कबीर जयंती के अवसर पर
डा प्रेम जनमेजय का नाटक
देखौ
कर्म कबीर का
°
ललित
निबंध में
पूर्णिमा वर्मन का आलेख
ग्रीष्म
के शीतल मनोरंजन
°
आज
सिरहाने
रामेश्वर काम्बोज 'हिमांश'ु
का कविता संग्रह
अंजुरी
भर आसीस
°
मंच
मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में
पटाखतखल्लुस
यानि
उपनामोपनाम
°
बड़ी
सड़क की तेज़ गली में
अतुल अरोरा के साथ
पश्चिम
की दीवानी दुनियाः
डलास के किस्से
°
रसोईघर
में
पुलावों की सूची में नया
व्यंजन
गाजर
का पुलाव
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