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                        (क) बहरे–हजज़ : का एक 
						और वर्ण वृत प्रति पंक्ति 'मफाइलुन', 'मफाइलुन', 'फऊलुन' 
						(।ऽऽऽ ।ऽऽऽ ।ऽऽ)(ख) समकक्ष हिंदी वर्ण वृत 'सुमेरू' : प्रति चरण 
						१९ मात्राएँ। पहली, दसवीं, अठवीं तथा पंद्रहवीं मात्रा लघु। 
						चरणांत में ऽऽ।, ।।।, ऽ।। अथवा ।।ऽ
 
                            
                            
                              
                                | बहरे–हजज /सुमेरू का उदाहरण | 
                               	दुष्यंत कुमाऱ की रचना
                                 |  
                                | परिंदे अब भी पर तोले हुए हैं |  
                                | ।ऽऽ ।। । ।। ऽऽ ।ऽ ऽ = १९ मात्राएँ |  
                                | उर्दू तक्ती (विभाजन) |  
                                | परिन्दे अब | भी 
								पर तोले | हुए हैं |  
                                | ।ऽऽ ऽ ऽ | .  
								। ऽ ऽ ऽ | ।ऽ ऽ |  टिप्पणीःआठवीं मात्रा लघु के स्थान पर गुरू वर्ण 'भी' लाया गया 
						है जिसको लयात्मक स्वरापात के अंतर्गत लघु गिना गया है।
 
                        
						
                         (क) बहरे रमल का एक वर्ण वृत : प्रति पंक्ति फाइलातुन ( 
						ऽ।ऽऽ) तीन बार और अंत में फाइलुन (ऽ।ऽ)(ख) समकक्ष हिंदी छंद गीतिका : प्रति चरण १४–१२ के 
						विश्राम से २६ मात्राएँ। तीसरी, दसवीं, सत्रहवीं तथा 
						चौबीसवीं मात्राएँ लघु। चरणांत में लघु गुरू (।ऽ) अथवा नगण 
						(।।।)। चरणांत में एक मात्रा बढ़ाई भी जा सकती है।
 
                            
                            
                              
                                | बहरे रमल/गीतिका का उदाहरण | 
								ज़हीर कुरैशी की रचना |  
                                | हाँ कमल के फूल पाना चाहते हैं इसलिए |  
                                | ।। । ।।ऽ । ऽ, ऽ । ।।ऽ। ऽ = २६ मात्राएँ |  
                                | रोज़ तालाबों की कीचड़ में उतर जाते हैं लोग |  
                                | ऽ। ।।ऽ । ऽ, ऽ । ऽ ऽ। ऽ = २६ मात्राएँ |  टिप्पणीःदूसरी पंक्ति में दसवीं और चौबीसवीं मात्राएँ लघु होनी 
						चाहिए थीं लेकिन उनके स्थान पर गुरू वर्ण 'की' तथा ' हैं ' 
						लाए गए हैं। अतः लयात्मक स्वरापात के अंतर्गत उनकी एक एक 
						मात्रा गिनी गई। इन दोनों समकक्ष छंदों का एक लघु रूप भी 
						है। इस छंद के शुरू में एक मात्रा कम कर सकते हैं तथा 
						चरणांत में एक मात्रा अधिक लाई जा सकती है।
 
                            
                            
                              
                                | लघु रूप का उदाहरण | 
								रामप्रसाद शर्मा महर्षि की रचना |  
                                | क्या किसी को दें तसल्ली रोटियाँ |  
                                | ऽ ।ऽ ऽ ऽ ।ऽऽ ऽ।ऽ = १९ मात्राएँ |  
                                | बांटते हैं सब ज़बानी रोटियाँ |  
                                | ऽ।ऽ ऽ ।। ।ऽऽ ऽ।ऽ = १९ मात्राएँ |  
                                | उर्दू तक्ती (विभाजन) |  
                                | क्या किसी को | दें 
								तसल्ली | रोटियाँ |  
                                | ऽ     
								।ऽ   ऽ | ऽ 
								।ऽ ऽ | ऽ । 
								ऽ |  
                        
						(क) बहरे मुतकारिब का एक 
						वर्ण वृत : प्रति पंक्ति फऊलुन (।ऽऽ) तीन बार चरणांत में 
						फअल (।ऽ) आवश्यकतानुसार एक मात्रा अधिक लाई जा सकती है।.(ख) समकक्ष संस्कृत वर्ण वृत भुजंगीः प्रति चरण तीन यगण 
						(।ऽऽ) तथा चरणांत में लघु, गुरू अथवा नगण(।।।)
 मात्रिक रूपः प्रति चरण १८ मात्राएँ, पहली छठी ग्यारहवी 
						तथा सोलहवी मात्राएँ लघु।
 
                        
                        
                          
                            | एक 
							सम्मिलित उदाहरण |  |  
                            | उठो, लो उठा तुम भी 
							परचम कोई |  
                            | .।ऽ ऽ । ऽ ।। । ।।।। ।ऽ= १८ मात्राएँ |  
                            | न बैठो यों आंचल पसारे हुए |  
                            | । ऽ ऽ । ऽ।। ।ऽऽ । ऽ = १८ मात्राएँ |  
                            | उर्दू तक्ती (विभाजन) |  
                            | उ ठो, लो  उठा तुम    भ परचम    
							कुई |  
                            | न बै ठो    युं आंचल पसारे        
							हुए |  
                            | । ऽ ऽ    । ऽ ऽ    ।ऽऽ      
							।ऽ |  टिप्पणीः  पहली पंक्ति में ग्यारहवीं तथा सोलहवीं मात्राएँ लघु होनी 
						चाहिए थीं परंतु उनके स्थान पर गुरू वर्ण 'भी' तथा 'को' 
						लाए गए हैं। अतः लयात्मक स्वरापात के नियम के अनुसार उनकी 
						एक मात्रा गिनी गयी है। इसी प्रकार दूसरी पंक्ति में छठी 
						मात्रा लघु होनी चाहिए थी पर उसके स्थान पर गुरू वर्ण ' 
						यों ' लाया गया है। अतः उसको भी नियमानुसार लघु गिना गया 
						है।
 
                        
						(क) बहरे मुतदारिक का एक 
						वर्ण वृत : प्रति पंक्ति फ़ाइलुन (।ऽ।) तीन बार † फा( ऽ)। 
						चरणांत में एक मात्रा आधिक भी लाई जा सकती है।(ख) समकक्ष संस्कृत वर्ण वृत बालाः प्रति चरण रगण (।ऽ।) 
						तीन बार तथा चरणांत में एक गुरू।
 मात्रिक रूप : प्रति चरण सत्रह मात्राएँ तीसरी, आठवीं, 
						तेरहवीं मात्राएँ लघु चरणांत में एक गुरू (ऽ) अथवा दो लघु 
						(।।)
 
                        
                        
                          
                            | बहरे मुतदारिक/बाला का उदाहरण | 
							रामप्रसाद शर्मा महर्षि की रचना |  
                            | खूब भीगा है इस बार सावन |  
                            | ऽ। ऽ ऽ । ।। ऽ। ऽ।। = १७ मात्राएँ |  
                            | हर घड़ी आंसुओं की झड़ी से |  
                            | ।। ।ऽ ऽ।ऽ ऽ ।ऽ ऽ = १७ मात्राएँ |  
                            | उर्दू तक्ती (विभाजन) |  
                            | खूब भी | गा ह   
							इस | बार सा 
							† वन |  
                            | हर घड़ी | आंसुओं | की झड़ी 
							† से |  
                            | ऽ।ऽ | ऽ।ऽ | ऽ।ऽ † ऽ |  टिप्पणीःपहली पंक्ति में आठवीं मात्रा जो लघु होनी चाहिए थी उसकी 
						जगह गुरू वर्ण ' है' लाया गया है। अतः लयात्मक स्वरापात के 
						नियमानुसार उसे लघु गिना गया है।
 
                        
						(क) बहरे मुतदारिक का एक 
						वर्ण वृतःफाइलुन मफाइलुन(ऽ।ऽ ।ऽऽ।ऽ)†।(ख) समकक्ष हिंदी छंद मदन मल्लिकाः प्रतिचरण १२ मात्राएँ, तीसरी, छठी, नवीं तथा बारहवीं 
						मात्राएँ लघु, 
						चरणांत में गुरू लघु (ऽ।)
 
                        
                        
                          
                            | बहरे मुतदारिक/मदन मल्लिका का उदाहरण | 
							रामप्रसाद शर्मा महर्षि की रचना |  
                            | हर तरफ है मार काट |  
                            | ।। ।।। । ऽ। ऽ। = १२ मात्राएँ |  
                            | त्राहि माम त्राहि माम |  
                            | ऽ। ऽ। ऽ। ऽ । = १२ मात्राएँ |  
                            | उर्दू तक्ती (विभाजन) |  
                            | हर तरफ | ह मार 
							का † ट |  |  
                            | त्राहि 
							मा | म 
							त्राहि मा † म |  |  
                            | ऽ।ऽ | ।ऽ।ऽ † 
							। |  |  टिप्पणीःपहली पंक्ति में छठी मात्रा, जो लघु होनी चाहिए थी उसकी जगह 
						गुरू वर्ण ' है' लाया गया है । अतःलयात्मक स्वरापात नियम 
						के अनुसार उसकी एक मात्रा गिनी गई है।
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