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पिछले सप्ताह

हास्य व्यंग्य में
अनूप कुमार शुक्ल की डायरी से
पहली अप्रैल का दिन

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पर्यटन में
गुरमीत खुराना के साथ सैर को चलें
चंबा की घाटी

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संस्कृति में
रोहिणी कुमार बोथरा का आलेख
सा से सारंगी

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फुलवारी में
ललित कुमार से जानकारी की बातें
डेन्मार्क, चीन और रूस

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कहानियों में
भारत से जयनंदन की कहानी
टेढ़ी उंगली और घी

बिल्टूराम बोबोंगा पर पूरे शहर की निगाहें टिक गई थीं। एक दबा, कुचला, बदसूरत और जंगली आदमी देश का कर्णधार बनने का ख्वाब देख रहा था। झारखंड मुक्ति संघ नामक एक ऐसी पार्टी का लोकसभा टिकट उसने प्राप्त कर लिया था जिसका तीन–तीन राष्ट्रीय पार्टियों, राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और सीपीआई से चुनावी तालमेल था। मतलब चार पार्टियों का वह संयुक्त उम्मीदवार बन गया और इस आधार पर ऐसा माना जाने लगा कि उसका जीतना तय है। डॉ रेशमी मलिक सुनकर ठगी रह गई। बाप की जगह बेटे–पोते, बीवी–बहू या मुजरिमों– माफियाओं, फ़िल्म–खेल के चुके हुए सितारों या धन पशुओं के एकाधिकार वाले प्रजातंत्र में एक अदना आदमी को पार्टी का टिकट!
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इस सप्ताह

कहानियों में
भारत से भूपेन्द्र कुमार दवे की कहानी
जेबकतरे

वर्माजी गाड़ी में चढ़कर बैठने की एकदम कोशिश कभी नहीं करते। पहले इधर उधर देखते। पी .डब्लू .डी .के सुपरवाइज़र के पद पर होने के कारण इस तरह से मुआयना करने की उनकी आदत पड़ गई थी। उन्होंने मुझे छुआ और कहा, 'उधर बैठा जाए'। इस सीट के सामने तीन लोग बैठे थे . . .अच्छी तरह पसरकर, ताकि कोई चौथा आदमी वहीं आकर न बैठ जावे। उन दिनों देश की आज़ादी का ज्यादा असर लोगों पर नहीं पड़ा था। गांव के लोगों में सभ्यता बाकी थी। वे शहरी लोगों को धक्का–मुक्की देकर जगह हथियाने की कोशिश नहीं करते थे। अपनी मैली– कुचैली पोटली से आपको धक्का देकर आपको परेशानी महसूस नहीं होने देते थे। 

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हास्य व्यंग्य में
महेशचंद्र द्विवेदी की कलम से
ऑपरेशन मंजनू
और मुसीबत लैला की

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संस्मरण में
रवींद्र स्वप्निल प्रजापति का आलेख
मनोहर श्याम जोशी

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महावीरजयंती के अवसर पर हनुमान सरावगी का लेख
लोक–उद्धारक महावीर

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चिठ्ठापत्री में
चिठ्ठापंडित की पैनी नज़र
मार्च महीने के चिठ्ठों पर

 सप्ताह का विचार
तम पुरूषों की संपति का मुख्य प्रयोजन यही है कि औरों की विपति का नाश हो।
रहीम

 

डा प्रदीप शर्मा,
डॉ ऋषिपाल धीमान, संगीता मनराल
और 
ई गोष्ठी
के आठ कवियों की रचनाएं

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
एक दो तीन– मथुरा कलौनी
हिजड़ा–
कादंबरी मेहरा
राजा हरदौल–प्रेमचंद
एक बार फिर होली–तेजेन्द्र शर्मा
नकेल–डॉ फ़कीरचंद शुक्ला
गरमाहट–गुरूदीप खुराना
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हास्य व्यंग्य में
अकादमी अनुदान और लेखक–संजय ग्रोवर
सपनों का होमरूम . . .–अशोक चक्रधर

निरख सखी . . .– टी आर चमोली
चुटकी गुलाल की–शैल अग्रवाल
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प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव की चेतावनी
सावधान! फिर आया वायरस

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प्रेरक प्रसंग में
सीमा खुराना की लघुकथा
अपना अपना स्वभाव

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साहित्य समाचार में
ओस्लो से माया भारती की रपट
नार्वे ने मनाया हिंदी दिवस

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विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप की पड़ताल
बर्डफ्लूःक्या वाकई ख़तरा है
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आज सिरहाने
संतोष दीक्षित का उपन्यास
शहर में लछमिनिया
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चिठ्ठापत्री में
पंडित जी की दूर दृष्टि
फरवरी माह के चिठ्ठों पर

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन 
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

     

 

 
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