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पिछले
सप्ताह
हास्य
व्यंग्य में
अशोक चक्रधर के साथ देखें
सपनों का होमरूम थिएटर
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विज्ञान
वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप की पड़ताल
बर्डफ्लूःक्या
वाकई ख़तरा है
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आज
सिरहाने
संतोष दीक्षित का उपन्यास
शहर
में लछमिनिया
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चिठ्ठापत्री
में
पंडित जी की दूर दृष्टि
फरवरी
माह के चिठ्ठों पर
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कहानियों में
यू के से कादंबरी मेहरा की कहानी
हिजड़ा
मेहमान नाश्ते पर जुटे
थे। स्त्रियां सजीसंवरी, रसोई से आंगन, आंगन
से रसोई नाप रही थीं। बेड़मी, कचौरी, हलवा,
मलाईपान, एकएक का नाम लेकर मनुहार करतीं,
"और लीजिए ना प्लीज़, आपने तो कुछ खाया ही
नहीं।"
लखनवी ख़ातिरदारी की मिसाल नहीं और फिर लड़के की
शादी। हफ़्ते से
पूरा घर मेहमानों की चहलपहल से भरा था। आज ही
रात को रिसेप्शन होगा। घर में बहू की अगवानी, कंगना खेलने
आदि की रस्में अभी बाकी हैं, कि तभी ढोलक की तालबद्ध आवाज़ से
सब चौंक उठे। जो खापी चुके थे, बाहर
बरामदे में जा बैठे। राहुल की दादी जी, उर्फ़ 'बीबी'
का हुक्म हुआ, "दुल्हादुल्हन को बैठाकर हिजड़े से
नज़र उतरवा लो।"
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इस
सप्ताह
कहानियों में
भारत से मथुरा कलौनी की कहानी
एक दो तीन
शहर की एक संस्था ने उसे
कंप्यूटर के बारे में बोलने के लिए आमंत्रित किया
था। मंच से बोलते समय हाल में बैठी एक कन्या
ने उसका ध्यान आकर्षित किया। कन्या पांचवीं या छठी
पंक्ति में बैठी थी। एकदम उज्वल चेहरा, कंधों तक
गोलाई में कटे बाल, आसमानी रंग का कुर्ता तथा
गहरे रंग की चुनरीउसे रोमांच हो गया। उसके दिल में कुछकुछ
होने लगा। अपना बाकी लेक्चर उसने किसी तरह
अटकतेअटकते ही पूरा किया उसका लेक्चर पूरा होते ही
लोगों में हॉल से बाहर निकलने के लिए भगदड़ मच
गई। यह सीन उसका जानापहचाना था। सभी जगह ऐसा ही
होता है। जब क्लब के महासचिव
उसे धन्यवाद दे रहे थे तो उसने उस कन्या को भी
बाहर निकलते देखा।
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हास्य
व्यंग्य में
संजय ग्रोवर का धारदार प्रहार
अकादमी,
अनुदान
और
लेखक
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प्रौद्योगिकी
में
रविशंकर श्रीवास्तव की
चेतावनी
सावधान! फिर
आया वायरस
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प्रेरक
प्रसंग में
सीमा खुराना की लघुकथा
अपना
अपना स्वभाव
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साहित्य
समाचार में
ओस्लो से माया भारती की रपट
नार्वे
ने मनाया हिंदी दिवस
सप्ताह का
विचार
जीवन
में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं एक वे जो सोचते हैं
पर करते नहीं, दूसरे जो करते हैं पर सोचते नहीं।
आचार्य श्रीराम शर्मा
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अशोक
वाजपेयी, डॉ सुरेन्द्र भूटानी, सुभाष चौधरी, पवन कुमार
शाक्य, माया
भारती
और
डा
इसाक अश्क की
नयी रचनाएं
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° पिछले अंकों
से °
कहानियों में
राजा
हरदौलप्रेमचंद
एक
बार फिर होलीतेजेन्द्र
शमा
नकेलडॉ फ़कीरचंद शुक्ला
गरमाहटगुरूदीप
खुराना
पिकनिकप्रत्यक्षा
बचपनउषा
महाजन
°
हास्य
व्यंग्य में
निरख
सखी
फिर
फागुन
आयातोराचमोली
चुटकी गुलाल कीशैल अग्रवाल
कुछ कुछ होता हैअनूप कुमार शुक्ल
देवलोक से दिव्यलोकतेजेन्द्र
शर्मा
°
घर
परिवार में
दीपिका जोशी बता रही हैं कि
कैसे
रंगों से
बदलें दुनिया
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संस्मरण
में
नीरजा द्विवेदी के साथ
परदेस में
अटलांटा की
होली और वसंत
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रसोइघर
में
इस बार घर पर बनाएं
होली के पकवान
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पर्व
परिचय में
दीपक नौगाईं बता रहे हैं
शिवरात्रिपर्व
की महिमा
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प्रौद्योगिकी
में
रविशंकर श्रीवास्तव का आलेख
2005
के सर्वश्रेष्ठ
जालअनुप्रयोग
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संस्मरण में
शारदा पाठक की यादों में तलत महमूद
ऐ
मेरे दिल कहीं और चल
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