पिछले
सप्ताह
फ़ोन
बजता रहा
कृष्णा सोबती के धारावाहिक संस्मरण का
दूसरा भाग
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मंच
मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में
बच्चन
जी ने क्या खूब रचा
°
बड़ी
सड़क की तेज़ गली में
अतुल अरोरा के साथ
ज़ीरो
मतलब शून्य
°
रसोईघर
में
तैयार करते हैं माइक्रोवेव पर
आलू
मेथी का सूप
°
साहित्य
संगम में
मोतीलाल जोतवाणी की सिंधी
कहानी
का हिंदी रूपांतर
लालटेन,
ट्यूबलाइट और
शैंडेलियर
फाटक
से पोर्टिको तक जातेजाते मनोहर के मन के आइने
में कुछ यादें प्रतिबिंबित हो उठीं। उन बिंबों में
लालटेन, टयूबलाइट और शेंडेलियर के तीन बिंब
आपस में टकराकर एक अदभुत माहौल पैदा कर रहे थे। सन 1953
में दिल्ली के पुराने किले के शरणार्थी कैंप में रहते
हुए दो दोस्त गोपाल और मनोहर लोधी रोड के
सिंधी स्कूल में साथ पढ़ते थे। रात को एक ही बैरक
में लालटेन की रोशनी में वे दोनों मास्टर
साहबों द्वारा दिया गया 'होमवर्क' करते थे। दोनों
दोस्तों के पिता लोग भी पीछे सिंध के एक ही गांव
में साथसाथ बिताई ज़िंदगी के दिनों से आपस
में दोस्त थे, और उनके बूढ़े चेहरों पर लालटेन
की मंदमंद रोशनी फैली थी।
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इस
सप्ताह
कहानियों में
भारत से जयनंदन की कहानी
अठतल्ले
से
गिर
गए
रेवत
बाबू
रतन ने कहा था,
"बाउजी, अब हमलोग
इस जनता नगर में नहीं रह सकते। यहां जीने की
कोई क्वालिटी नहीं है। आसपास के लोग गंदे हैं,
असभ्य हैं, जाहिल हैं, अशिक्षित हैं, झगड़ते रहते
हैं, सफ़ाई पर ध्यान नहीं देते। हमारा पड़ोसी नाई,
धोबी, बढ़ई, लुहार, फलवाला, दूधवाला हो,
यह अच्छा नहीं लगता।"
रेवत बाबू रतन का मुंह देखते रह गए थे, जैसे उसकी
घृणा पड़ोसियों के प्रति नहीं अपने बाप के प्रति उभर
आई हो। वे भी तो इन्हीं की श्रेणी के आदमी रहे।
कारखाने में एक मामूली मज़दूर। मुख्य शहर से तीस
किलोमीटर दूर इस नयी बस रही बस्ती में जब
उन्होंने ज़मीन लेनी चाही थी तो इन्हीं फलवाला
और दूधवाला ने उनके लिए दौड़धूप की।
°ं
फ़ोन
बजता रहा
कृष्णा सोबती के धारावाहिक संस्मरण का
तीसरा
और अंतिम भाग
°
हिंदी
दिवस विशेषांक में
तीन
विशेष रचनाएं
महेशचंद्र द्विवेदी का चुटीला व्यंग्य
न
रहेगा
बांस
न
बजेगी
बांसुरी
°
इंद्र
अवस्थी का
करारा हिंगलिश चिट्ठा
आइए
नेशनल लैंगुएज को रिच बनाएं
°
और
जितेन्द्र चौधरी की संवेदनात्मक स्वीकृति
मेरा
हिंदी प्रेम
सप्ताह का विचारं
जबतक
भारत का राजकाज अपनी
भाषा में नहीं चलेगा तबतक हम यह नहीं कह सकते कि देश
में स्वराज है।
मोरारजी देसाई
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अनुभूति
में
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नयी कविताएं
हाइकु
संकलन वर्षा मंगल
और
हिंदी को समर्पित कुछ विशेष रचनाएं
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° पिछले अंकों
से °
कहानियों में
अपराधबोध
का प्रेततेजेन्द्र शर्मा
चिठ्ठी
आई हैकमलेश भट्ट कमल
शौर्यगाथाराम गुप्ता
प्रश्ननीलम
जैन
सुहागनविजय
शर्मा
चीजू
का पातालप्रमोद कुमार तिवारी
°
हास्य
व्यंग्य में
आज्ञा
न मानने वालेनरेन्द्र कोहली
जिसे
मुर्दा पीटे . . .महेशचंद्र
द्विवेदी
देश
का विकास जारी हैगोपाल चतुर्वेदी
कुताअरूण राजर्षि
°
दृष्टिकोण
में
अनूप शुक्ला का आलेख
हैरी
बनाम हामिद
°
फुलवारी
में
जानकारी के अंतर्गत
आविष्कारों
की नयी कहानियां
और शिल्पकोना में बनाएं
काग़ज़
का याक
°
रचना
प्रसंग में
आर पी शर्मा 'महर्षि' के धारावाहिक 'ग़ज़ल लिखते समय' का
अंतिम भाग
मराठी
ग़ज़लों में छंद2
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प्रकृति
और पर्यावरण में
आशीष गर्ग बता रहे हैं बेहतर पर्यावरण्
के लिए अब बनेंगी बेहतर व सस्ती
जूट की सड़कें
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प्रौद्योगिकी
में
रविशंकर श्रीवास्तव की सलाह
ब्लागिंग
छोड़ें
पॉडकास्टिंग करें
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