आज दुनिया में हैरी पॉटर का हल्ला है। नित नए तथ्य सामने लाए जा रहे हैं। सारी हैरी
पॉटर की किताबें साथ-साथ रखी जाएँ तो दुनिया को इतनी बार घेर लेंगी। एक के ऊपर एक
रखी जाएँ तो चाँद तक इतनी बार आने-जाने लायक सीढ़ी बन जाएगी। सारी किताबें मिलाकर
पढ़ी जाएँ तो एक आदमी को सारी किताबों के बराबर शब्द पढ़ने में इतने हज़ार साल
लगेंगे। आदि-इत्यादि। वगैरह-वगैरह।
हैरी पाटर की लेखिका जोएला कैथलिन रालिंग के बारे में भी दिन-प्रतिदिन नए-नए तथ्य
या पुराने तथ्य नए रूप में सामने आते रहते हैं। हैरी पाटर लिखने के पहले की उनकी
आर्थिक हालत ऐसी भी नहीं थी कि क़िताब लिखने के लिए काग़ज़ ख़रीद सकें। आज छह किताबें
लिखने के बाद उनके पास इतना पैसा है कि ये ख़रीद सकतीं हैं वो ख़रीद सकती हैं।
हैरी पाटर एक चमत्कारी बालक है। जो अपने जादू के ज़ोर से बुराई की प्रतीक शक्तियों
पर कब्ज़ा करता है। ख़तरे में पढ़ता है लेकिन विजयी होता है, अपनी जादुई ताकतों से।
यह फंतासी चरित्र दुनिया में इतना लोकप्रिय है कि बच्चे घंटों लाइन में लगकर क़िताब
ख़रीद कर रातों-रात जगकर पढ़ रहे हैं।
मुझे न हैरी पाटर से कोई चिढ़ है न कोई लगाव। लेकिन जब दुनिया में इतना हल्ला मचा
देखता हूँ तो उसकी खूबी ज़रा नज़दीक से देखने का मन करता है। पाता हूँ कि हैरी पाटर
का पूरा कथानक शक्ति तथा गोपनीय ज्ञान प्राप्त करने के प्रयास से गुंथा हुआ है।
बच्चे जादूगरी की तालीम पाते हुए सिर्फ़ अपना भला करना सीख रहे हैं। बच्चे सीख रहे
हैं कि पर्यावरण को सुविधानुसार बदल डालो। लोगों को उनकी मर्ज़ी के खिलाफ़ काम
कराने के लिए दवाएँ पिलाने की मंशा पर ज़ोर है। हर मुश्किल से निजात पाने के लिए
जादुई ताकतों पर कब्ज़ा करने पर ज़ोर है। ऐन-केन-प्रकारेण अपने लक्ष्य पाने की यानी
कि साधनों की चिंता बिना काम को अंजाम देने का संदेश है।
हैरी पाटर के लक्ष्य प्राप्ति का अंदाज़ मुझे उस डायनासोर का अंदाज़ लगता है जो
किसी मंज़िल को पाने के लिए दौड़ रहा है तथा उसके रास्ते में जो कोई भी आ रहा है वह
भूलुंठित होता जा रहा हैं। जाने-अनजाने मैं जब भी इस मासूम चेहरे वाले बच्चे को
देखता हूँ तो लगता है कि ऐन-केन-प्रकारेण अकेले दम मंज़िल हासिल करने की सीख घुट्टी
में पीने वाला यह बच्चा धीरे-धीरे उस मानसिकता में पहुँच जाएगा जब जो यह सोचेगा वही
सच मानेगा। जिसे ग़लत देखेगा, रौंद डालेगा।
हैरी पाटर को जब याद करता हूँ तो अनायास होरी याद आता है।
होरी प्रेमचंद के उपन्यास गोदान का नायक है जो कर्ज़ में डूब के मरा। हैरी और होरी दोनों के लेखक संयोग से
''31
जुलाई'' को पैदा हुए थे। हाँ दोनों की नियति में अंतर था। प्रेमचंद ने समाज की
स्थितियों से प्रभावित होकर अपनी लगी-लगाई नौकरी छोड़ी तथा जब ''1936'' में लखनऊ में
प्रगतिशील आंदोलन की स्थापना करने आए तो उनके जूते फटे थे। उनका मानना था कि
साहित्य समाज तथा राजनीति के आगे चलने वाली मशाल है। जो समय की माँग थी उसे अपने
साहित्य के माध्यम से दुनिया के सामने रखा। तमाम सवालों के हल सोचे। दबे-कुचलों की
स्थितियाँ बयान की तथा उनके बदलाव के लिए ज़मीन बनाने का रास्ता सुझाया।
साम्राज्यवादियों तथा प्रतिगामी राजनीति की पोल खोलने का प्रयास किया। सभी जगह
समानता तथा सामूहिकता की वकालत की।
उसके वरक्स, अपनी हर किताब से दिन पर दिन संपन्न होती जा रही हैरी पाटर की लेखिका
अपने पाठक वर्ग को तिलिस्मी संसार में ले जाती हैं। जहाँ - नहिं कोउ अबुध न लक्षन
हीना। हैरी पाटर में प्रेम तथा साहस तो है लेकिन सही ग़लत में घालमेल है। बाल मन को
भूलभुलैया में ले जाकर छोड़ दिया जाता है। जहाँ वह देखता कि नायक हैरी का जादू
अलादीन का वह चिराग है जिसके बाद फिर कुछ करने को नहीं रह जाता। यह हैरी का हल्ला
बिकाऊ तो है लेकिन टिकाऊ नहीं है। इसके पाँव हवा में हैं। कुछ साल में इसकी हवा
निकल जाएगी।
हैरी पाटर की तुलना प्रेमचंद के ही आसपास रहे देवकीनंदन खत्री की
'चंद्रकांता' सीरीज़
की किताबों से की जा सकती है। अपने ज़माने खत्री जी का लिखा पढ़ने के लिए लोगों ने
हिंदी सीखी। आज वे 'ऐयारी' के किस्से इतिहास में दफ़न हैं। हालत यह है कि पचास
रुपए में ''1000'' से अधिक पन्नों की 'देवकीनंदनसमग्र' की बिक्री ठप्प है। ऐयारी का
नशा उतर गया, हर नशे का समय होता है।
होरी का नाम तो ऊपर लिया गया नाम साम्य के लिए। हैरी का
मुकाबला करा लीजिए हामिद से। तीस के दशक का हामिद का चिमटा आज भी हैरी के सैकड़ों
डिज़ाइनर जादुओं तथा
ताम-झाम पर भारी पड़ेगा। ईदगाह में उस ज़माने के महँगे खिलौनों की हवा निकालते हुए
हामिद अपने चिमटे के बारे में बताता है :
उसके पास न्याय का बल है और नीति की शक्ति। एक ओर मिट्टी है, दूसरी ओर लोहा, जो इस
वक्त अपने को फौलाद कह रहा है। वह अजेय है, घातक है। अगर कोई शेर आ जाए मियाँ
भिश्ती के छक्के छूट जाएँ, जो मियाँ सिपाही मिट्टी की बंदूक छोड़कर भागे, वकील साहब
की नानी मर जाए, चोगे में मुँह छिपाकर ज़मीन पर लेट जाएँ। मगर यह चिमटा, यह बहादुर,
यह रुस्तमे-हिंद लपककर शेर की गरदन पर सवार हो जाएगा और उसकी आँखे निकाल लेगा।
हामिद के पास अभाव की पूंजी है। वह तमाम दुनियावी ताम-झाम में भी अपनी दादी को नहीं
भूलता। बाज़ार की चीज़ों के प्रति ललक है लेकिन अंधा लालच नहीं कि ''0'' डाउनपेमेंट
की किस्तों पर लुभावनी चीज़ें ख़रीद लें।
हैरी पाटर की नकारात्मकता यह है कि ख़ास लोगों की सोच का प्रतिनिधित्व करती है।
ग़रीब अश्वेत बच्चे कहीं नहीं हैं यहाँ। अपने साधनों पर खुशी हासिल करने के बजाय
ताकत, किसी भी कीमत पर, हासिल करने की सीख साम्राज्यवादी अंदाज़ है। हैरी पाटर को
हर हाल में जीतना है क्यों कि वह साम्राज्यवादी प्रभुता का प्रतीक है।
आज हैरी के दिन हैं। समय से बड़ा कोई नहीं होता। पर मुझे न जाने क्यों 'ईदगाह'
कहानी के कुछ पन्ने हैरी पाटर के हज़ारों पन्नों पर भारी लगते हैं तथा हामिद का
चिमटा हैरी के किसी भी जादू से ज़्यादा आत्मविश्वास से भरा लगता है। कारण शायद यह
भी है कि हामिद का सच मुझे अपना सच लगता है जबकि हैरी पाटर का सच किसी का सच नहीं
है सिवाय चंद लोगों की फंतासी के।
आपको क्या लगता है?
1 सितंबर 2005
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