जस्ट अभी ब्रेकफास्ट फिनिश करके उठे थे। थोड़ा
हेडेक था, प्राबेबली ओवरस्लीपिंग इसका रीज़न था। एक फ्रेंड का फ़ोन आ गया, काफ़ी
इंटिमेट हैं लेकिन अपने को टोटल अमेरिकन समझते हैं। पूरे टाइम इंगलिश में कनवरसेशन!
अरे अपनी भी तो कांस्टिटयूशन में रिकग्नाइज़ड एक नेशनल लैंगुएज है। लेकिन एजुकेटेड
होने का यही प्राब्लम है, स्टेटस सिंबल की बात हो जाती है। ब्रिटिश लोग तो चले गए
बैग एंड बैगेज़ स्लेव मेंटालिटी यहीं छोड़ गए।
इन मैटर्स में हम भी बहुत स्ट्रेटफारवर्ड है।
हम कांटीन्युअसली अपनी मदर टंग में बोलते रहे। भई हम तो इरिटेट हो जाते हैं इस
काइंड के लोगों से। अभी एक कमर्शियल वाच कर रहे थे बासमती राइस के बारे में जिसमें
किट्टू गिडवानी अपनी डाटर से कहती है – 'होल्ड इट सीधा। इफ यू वांट टू डू इट
प्रापरली, योर प्रेपरेशन हैज टू बी बिलकुल पक्का।' कैसी लंगड़ी लैंगुएज है ये! लोग
प्राउडली इसे हिंगलिश बताते हैं। कितना रिडिक्युलस फील होता है जब कोई अपना फ़ैमिली
मेंबर ही ऐसे बोलता है।
अरे ऐड को ऐसे भी प्रेजेंट कर सकते थे – 'इसको स्ट्रेट होल्ड करो, प्रापरली करने के
लिए प्रेपरेशन बिलकुल सालिड होनी चाहिए।'
इसे कहते हैं 'मैकूलाल चले माइकल बनने।'
अब देखिए न! जैसे पंकज बहुत ही करेक्ट लिखते हैं कि अपनी लैंगुएज में टाक करना
आलमोस्ट अपनी मदर से टाक करने के जैसा है। कितना अच्छा थाट है! यही होता है कल्चर
या क्या कहते हैं उसको– संस्कार (अब इसके लिए कोई प्रापर इंगलिश वर्ड ही नहीं है,
यही तो प्रूव करती है अपने कल्चर की रिचनेस)
सिटीज़ की तो बात ही छोड़ दो, विलेजेज़ में भी
बड़ा क्रेज़ हो गया है। बिहार से रीसेंटली अभी एक मेरे फ्रेंड के फादर–इन–ला आए हुए
थे, बताने लगे – 'एजुकेसन का कंडीसन भर्स से एकदम भर्स्ट हो गया है। पटना इनुभस्टी
में सेसनै बिहाइंड चल रहा है टू टु थ्री इयर्स। कंप्लीट सिस्टमें आउट–आफ–आर्डर है।
मिनिस्टर लोग का फेमिली तो आउट–आफ–स्टेटै स्टडी करता है। लेकिन पब्लिक रन कर रहा है
इंगलिश स्कूल के पीछे। रूरल एरिया में भी ट्रैभेल कीजिए, देखिएगा इंगलिस स्कूल का
इनाउगुरेसन कोई पोलिटिकल लीडर कर रहा है सीज़र से रिबन कट करके। किसी को स्टेट का
इंफ्रास्ट्रक्चरवा का भरी नहीं, आलमोस्ट निल।' (अपने ग्रैंडसन से भी आर्ग्युमेंट हो
गया, सीज़र–सीज़र्स के चक्कर में उनका। मुंगेरीलाल जी डामिनेट कर गए इस लाजिक के साथ
– 'हमको सिंगुलर–पलूरल लर्न कराने का ब्लंडर मिस्टेक तो मत ट्राई करिएगा, हम ई सब
टोटल स्टडी करके माइंड में फिल कर लिया हूँ और हम नाट इभेन अ सिंगल टाइम कोई लीडर
का राइट हैंड में सीज़र देखा हूँ मोर दैन भन। सो हमसे तो ई इंगलिस बतियाएगा मत, नहीं
तो अपना इंगलिस फारगेट कर जाइएगा।' लास्ट सेंटेंस में हिडेन थ्रेट को देखकर
ग्रैंडसन साइलेंट हो गए)
कभी लेजर में बैठ के सोचो कितना ऐनसिएंट कल्चर
है इंडिया का। लैंगुएज़ कल्चर, रिलीजन डेवेलप होने में, इवाल्व होने में कितने
थाउजेंड इयर्स लगते हैं। हमारे वेदाज़, पुरानाज़, रामायना, महाभारता जैसे
स्क्रिप्चर्स देखिए, क्रिश्ना, रामा जैसे माइथालोजिकल हीरोज़ को देखिए, बुद्धिज़्म,
जैनिज़्म, सिखिज़्म जैसे रिलीजन्स के
प्रपोनेंटस कहाँ हुए? आफ कोर्स इंडिया में।
होली, दीवाली जैसे कितने कलरफुल फेस्टिवल्स हम सेलिब्रेट
करते हैं। क्विज़ीन देखिए, नार्थ इंडिया से स्टार्ट कीजिए, डेकन होते हुए साउथ तक
पहुँचिए, काउंटलेस वेरायटीज़। फाइन आटर्स ही देखिए क्लासिकल डांसेज। म्यूज़िक
इंस्ट्रूमेंटस – माइंड ब्लोइंग!
अरे हम इंडियंस को तो तो ग्रेटफुल होना चाहिए
कि हेरिटेज में हमको यह सब मिला, फिर भी एक रैट–रेस मची हुई है कि कौन मैक्सिमम
एक्सटेंट तक फारेनर बन सकता है। नेशनल प्राइड भी कोई चीज़ है या नहीं?
हम तो एक सिंसियर अपील इशू कर सकते है कि सारे ब्लागर लोग तो एजुकेटेड क्लास से है।
अच्छी जेन्ट्री यहाँ आती है, डेली ब्लागिंग के लिए आप हिंदी स्क्रिप्ट यूज करते
हैं, आप लोग ऐट लीस्ट केयर करें, रेगुलर कनवरसेशन में हिंदी बोलें, किड को मिनिमम
रीड और राइट करना तो टीच कर ही सकते हैं। अब मिडिल–क्लास ही तो नेशन के फोरफ्रंट पर
होता है, यह चेंज एलीट–क्लास की कैपेसिटी के बाहर का मैटर है। इस मिशन के लिए
नेसेसरी है डेडिकेशन, डिवोशन, कोआपरेशन, कनविक्शन, ऐंबीशन। और इन केस आपके कुछ
सजेशन हों तो मेल करें, हेज़िटेट न करें।
हमारे हार्ट में जो काफ़ी टाइम से कलेक्ट हो
रहा था, उसको तो पोर कर दिया और ट्रू इंडियन की तरह जेनुइनली इवेन होप भी कर रहे
हैं कि रिज़ल्ट अच्छा होगा।
बट क्या ये एनफ़ होगा?
16 सितंबर 2005
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