अनुभूति

 24. 4. 2004

आज सिरहानेआभारउपन्यासउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथापुराने अंक
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पिछले सप्ताह

गौरव गाथा में
मन्नू भंडारी की लोकप्रिय कहानी
यही सच है

खट–खट–खट . . .वही परिचित पद–ध्वनि! तो आ गया संजय। मैं बरबस ही अपना सारा ध्यान पुस्तक में केन्द्रित कर लेती हूं। रजनीगन्धा के ढेर–सारे फूल लिए संजय मुस्कुराता–सा दरवाज़े पर खड़ा है। मैं देखती हूं, पर मुस्कुराकर स्वागत नहीं करती। हंसता हुआ वह आगे बढ़ता है और फूलों को मेज पर पटककर, पीछे से मेरे दोनों कन्धे दबाता हुआ पूछता है, "बहुत नाराज़ हो?" रजनीगन्धा की महक से जैसे सारा कमरा महकने लगता है। "मुझे क्या करना है नाराज़ होकर?" रूखाई से मैं कहती हूं। वह कुर्सी सहित मुझे घुमाकर अपने सामने कर लेता है, और बड़े दुलार के साथ ठोड़ी उठाकर कहता, "तुम्हीं बताओ क्या करता? 

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पिछले सप्ताह

हास्य व्यंग्य में
संजय ग्रोवर की कलम से
मरा हुआ लेखक सवा लाख का

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आज सिरहाने में
डा इसाक 'अश्क' द्वारा आचार्य भगवत
दुबे के कविता संग्रह

हिन्दी तुझे प्रणाम
का परिचय

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प्रकृति और पर्यावरण में
प्रभात कुमार का जानकारी पूर्ण आलेख
आपदाओं का धनजल

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नगरनामा में
सूरज प्रकाश का सजीव रेखाचित्र

!अहमदाबाद एटले अहमदाबाद
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!इस सप्ताह

कहानियों में
भारत से तरूण भटनागर की कहानी
ढंकी हुई बातें

मैं तालाब के पास वाली पुलिया पर बैठ गया और वह दौड़ता हुआ जंगल में खो गया। वहां सरई के पेड़ों की गंध आ रही थी और चारों ओर चट्टान सी चुप्पी थी। इतनी शांति कि सूखे पत्तों पर पड़ने वाली ओस की बूंदों की आवाज़ तक सुनाई दे रही थी। तालाब में से भाप के छल्ले उठा रहे थे। एक अजीब सी खुशी देने वाली हवा बह रही थी। सुबह की हल्की ठण्डी हवा जो कभी धीरे तो कभी फुरफुराती सी मुझे छू जाती थी। थोड़ी देर बाद बीजू भी आ गया। वह एक्सरसाइज करते हुए मुझसे पूछने लगा –"क्यों मेरे गांव की सुबह मजेदार होती है न . . .।"
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उपन्यास में
स्वदेश राणा के नये अप्रकाशित उपन्यास
कोठेवाली का चौथा भाग
ख़त डाक में छोड़ कर जब ताहिरा अपनी गली में मुड़ी तो किसी ने पीछे से उसके कंधे पर हाथ रख दिया। मटमैले पैंट कोट वाला एक खुरदरा सा बुजुर्ग गोरा था। ताहिरा को अपनी तरफ देखते पाया तो उसकी गिजगिजी आंखों में लार उतर आई। खीसे निपोर कर बोला, "तो तुम्हीं हो वो ख़ूबसूरत बला जो उस सुअर बिली की गंदगी के ढेर में रहती है?"
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परिक्रमा में 
शैल अग्रवाल की कलम से
वसुधैव कुटुम्बकम
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विज्ञान वार्ता में
'
आपका सूरज आपकी मेज़ पर'
डा गुरूदयाल प्रदीप का आलेख
डेस्कटॉप न्युक्लियर फ्यूज़न संयंत्र
°

प्रौद्योगिकी में
भारत में कंप्यूटर के बढ़ते कदम
नगर नगर कंप्यूटर

!सप्ताह का विचार!
क्रोध ऐसी आंधी है जो विवेक
को नष्ट कर देती है।
—अज्ञात

 

अनुभूति में

प्रभात कुमार, रंजना सोनी, और आशा मोर  की 12 नयी कविताएं व
काव्यचर्चा  में
अशोक चक्रधर

° पिछले अंकों से°

कहानियों में

आई एस आई एजेंट–महेश चंद्र द्विवेदी
टेपचूउदय प्रकाश 
आते समयडा कुसुम अंसल
सारांशशुभांगी भड़भड़े
अलग अलग तीलियांप्रभु जोशी
होली मंगलमय होओम प्रकाश अवस्थी

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वैदिक कहानियों में
डा रति सक्सेना की कलम से
इंद्र की गाथाएं
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स्वाद और स्वास्थ्य में
दीपिका जोशी बता रही हैं
फलों का फलित
°

समाचार में
यू के में
कथा सम्मान यूके घोषित
और जकार्ता में होली
°

परिक्रमा में
दिल्ली दरबार के अंतर्गत
गये माह भारत की घटनाओं
का लेखा जोखा
शांति के रंग
°

पर्व परिचय में
कैलाश जैन का आलेख
पहली अप्रैल की कहानी
°

मंच मचान में
अशोक चक्रधर की कलम से
पहले बा से पहले खा तक
°

फुलवारी में 
बच्चों के लिए जानकारी के अंतर्गत
जंगल के पशु श्रृंखला में 
गैंडा
गैंडे का एक सुंदर चित्र
रंगने के लिये
और कविता बड़ा सा गैंडा
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साहित्यिक निबंध में
सुषम बेदी का आलेख
पीढ़ियों की सीढ़ियां

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन   
       सहयोग : दीपिका जोशी
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  साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला