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रवीन्द्र
कालिया का
नवीनतम व अप्रकाशित
लघु उपन्यास
ए बी सी डी
धारावाहिक (तीसरी
किस्त)
शील ने आंखें खोलीं
और यह जान कर राहत की सांस ली कि वह यथार्थ नहीं था, एक दु:स्वप्न
था। उसे अपने संसार में लौटने में देर न लगी। एक टीस की तरह
उसे याद आया कि शीनी डेट पर गयी हुई है। वह पलंग पर उकडूं बैठ
कर फिर बिसूरने लगी। नेहा भाग कर पानी का गिलास ले आयी,
"अब क्या हुआ मॉम। शीनी डेट पर गयी है, हमेशा के लिए
ससुराल नहीं चली गयी।''
"यह लडकी मेरी मौत
बन कर पैदा हुई है।'' नेहा ने तुरंत मां के मुंह पर पानी का गिलास
लगा कर उसकी जुबान बंद कर दी।
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कथा
महोत्सव 2003
भारतवासी
हिन्दी लेखकों की कहानियों
का संकलन
'माटी
की गंध'
चुनाव
चौखाना
पाठकों से
निवेदन है वे 'माटी की गंध'
की दस कहानियों को ध्यान से
पढ़ें और
अपनी पसंद की कहानी का चुनाव करें।
चुनाव करने से पहले ठीक तरह से
निश्चित कर लें कि
किस कहानी को
अपना मत देना है क्यों कि आप केवल
एक ही मत दे
पाएंगे।
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कहानियों में
भारत से ग़ज़ाल ज़ैग़म की कहानी
खुशबू
"मुझे पत्तियों से
हरीहरी खुशबू आती है,
धान के खेत से धानीधानी खुशबू
. . .।
मुझे खुद हैरत है कि मुझे खुशबू का
रंग
कैसे महसूस हो जाता है? हल्कीहल्की
शुरू की सर्दियों
में मुझे गुलाबीगुलाबी
खुशबू आती है और यह मौसम मुझे
बेहद
पसंद है। जब मैं अपनी बहन के हाथ का
बुना हुआ पुलोवर
पहनकर साफ लम्बी
चौड़ी सड़कों पर यूकेलिप्टस के सायेदार
दरख्तों
के बीच से गुजरता हूं और
गुलाबीगुलाबी जाड़े की खुशबू
महसूस
करता हूं।
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देश
विदेश
में
नेपाल से धीरेन्द्र प्रेमर्षि का आलेख
भारतीय
सहयोगसिंचन से
उर्वर नेपाल
°
° कलादीर्घा
में
कला और कलाकार के
अंतर्गत
जहांगीर
सबावाला
का परिचय
उनके चित्रों के साथ ° फुलवारी में
चांद तारों की दुनिया के
अंतर्गत
इला प्रवीन से जानकारी
हमारी
पृथ्वी
और कहानियों के अंतर्गत नीलम जैन
की पद्य कथा
चिड़िया रानी
!°!
!सप्ताह का विचार!
जय उसी की होती है जो
अपने को संकट में डालकर कार्य सम्पन्न करते हैं। जय
कायरों की कभी नहीं होती।
जवाहरलाल नेहरू |
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अनुभूति
में
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यू एस ऐ,
यूके
तथा
दक्षिण कोरिया से नये पुराने हिन्दी कवियों की
सोलह
नयी कविताएं
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पिछले अंकों से°
कहानियों
में
डेड एण्ड
पद्मेश गुप्त
यह तो कोई खेल न हुआनवनीत मिश्र
°
विज्ञान
वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप से
नये विज्ञान समाचार
°
पर्यटन
में
महेश कटरपंच की कलम से
अनोखा
आकर्षण आम्बेर
°
आज सिरहाने में
कृष्ण बिहारी द्वारा शैलेश मटियानी के
कहानी संग्रह
शैलेश
मटियानी की
इक्यावन कहानियां
का
परिचय
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यू के
में हिन्दी मीडिया
के अंतर्गत तेजेन्द्र शर्मा का लेख
ब्रिटन
में हिन्दी रेडियो के पहले महानायक रवि शर्मा
°
रसोई
घर में
शाकाहारी मुगलई का मस्त
ज़ायका
मशरूम
मसाला
°
नार्वे से सुरेश चंद्र
शुक्ल 'शरद
आलोक' का लेख हिन्दी
संयुक्त
राष्ट्रसंघ की भाषा बन कर रहेगी
°
हास्यव्यंग्य
में
शैल
अग्रवाल का
परीपुराण
हिन्दीमैया
(शुद्ध विलायती हिन्दी में)
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संस्मरण
में कोरिया
से कौंतेय देशपांडे का लेख ओ!
पिलसंग इंदीऽऽया!
°
कृष्ण बिहारी की
आत्मकथा
का
अगला भाग
किसे
आवाज़ दूं मैं
!°!
परिक्रमा
में
लंदन पाती के अंतर्गत शैल
अग्रवाल
का आलेख
बर्मिंघम
में
°
दिल्ली दरबार के अंतर्गत बृजेश कुमार
शुक्ला
का आलेख
सौहार्दपूर्ण सम्बन्धों
का पुनः प्रारंभ
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नार्वे निवेदन के अंतर्गत ओस्लो से
सुरेश चंद्र शुक्ला 'शरद आलोक' का
आलेख
वसंत
आगमन से पहले
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