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पिछले
सप्ताह
हास्य
व्यंग्य में
गुरमीत बेदी की जांच पड़ताल
इतने पदक
कैसे?
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विज्ञान
वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप की पड़ताल
डी
एन ए फिंगर प्रिंटिंग:
पहचान की सबसे विश्वसनीय विधा
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आज
सिरहाने
अलका प्रमोद का कहानी संग्रह
सच
क्या था
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मंच
मचान में
अशोक चक्रधर बता रहे हैं
कवि
अनंत कविकष्ट अनंता
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कहानियों में
भारत से ए असफल की कहानी
अब
कहां जाओगे
इस
बार सब्ज़ी मंडी में बम फटा था। काशी की रूह कांप गई। कोई दस मिनट पहले वह ऐन उसी
ट्रक से पीठ टिकाए खड़ा बोली बोल रहा था। तब उसने
कल्पना भी न की थी कि इसी तिरपाल से ढंके मिनी ट्रक
में बम रखा है! मौत की वह छुअन याद आते
ही वह बारबार कांप जाता है। उसकी आंखों से वह
दृश्य हटाए नहीं हटता। वह कितनी चौकस आंखों से दूसरे
कुंजड़ों को ताकता हुआ बोली बोल
रहा था। बोली टमाटर की पेटियों की लग रही थी। उसके
कानों में अब तक गूंज रही थी वह गिनती, 'साठ!
साठएक! साऽठदो साऽऽठतीन! और वह जैसे ही
एक हाथ में रूपए निकाल दूसरे से पेटी सरकाने लगा तो
अकस्मात एक धचकासा लगा और वो चूतड़ के बल पीछे को गिर पड़ा।
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इस
सप्ताह
कहानियों में
यू एस ए से इला प्रसाद की कहानी
सेल
सुमि
ग़ौर से अख़बार के पन्ने पलट रही है। इस सबडिविजन
में सिर्फ़ वे ही हैं जो अख़बार ख़रीदते हैं वरना
अख़बार ख़रीदने में यहां लोग पैसे खर्च नहीं करते। जब कोई बड़ी सेल आती है तो अलस्सुबह गैस स्टेशन
पर जाकर कूपन उठा लाते हैं। आख़िर कूपन ही तो चाहिए न।
सेल के कूपन। नहीं तो फिर अख़बार की ज़रूरत क्या है?
सुमि को भी लगता है लोग ठीक ही करते हैं। किसे वक्त
है अख़बार पढ़ने का! रवीश को वह बारबार टोकती भी
है, "सारा समय तो ऑफ़िस में बीत जाता है,
कभी तो पढ़ते नहीं। इंटरनेट पर ख़बरें देख लेते हो। टी
.वी .है ही तो फिर घर में कचरा जमा करने की क्या
ज़रूरत है?" लेकिन दो कूपन भी उपयोग में आए तो अख़बार की कीमत अदा हो
गई न।
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हास्य
व्यंग्य में
नीरज त्रिपाठी का मज़ेदार किस्सा
हमारे पतलू
भाई
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प्रौद्योगिकी
में
रविशंकर श्रीवास्तव से जानकारी
कंप्यूटर पर गीतसंगीत :
सहगल
से सावंत तक
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साहित्यिक
निबंध में
निर्मला जोशी याद कर रही
हैं मंच के हंस
बलबीर
सिंह रंग को
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साहित्य
समाचार में
अभिनव शुक्ल और अलका प्रमोद के
दो
नये संग्रहों का विमोचन
सप्ताह का
विचार
मनस्वी
पुरूष पर्वत के समान ऊंचे और समुद्र के समान गंभीर
होते हैं। उनका पार पाना कठिन है। माघ
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गौरवग्राम
में
बलबीर सिंह रंग
अन्य स्तंभों में
नचिकेता के गीत,
और कुमकुम व दीपिका ओझल की नयी कविताएं
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° पिछले अंकों
से °
कहानियों में
जेबकतरेभूपेन्द्र कुमार
दवे
टेढ़ी उंगली और
घीजयनंदन
एक दो तीन मथुरा कलौनी
हिजड़ाकादंबरी मेहरा
राजा
हरदौलप्रेमचंद
एक
बार फिर होलीतेजेन्द्र
शर्मा
°
हास्य
व्यंग्य में
ऑपरेशन
मंजनू . . .महेशचंद्र द्विवेदी
पहली
अप्रैल का दिनअनूप कुमार शुक्ल
अकादमीअनुदानऔर लेखकसंजय
ग्रोवर
सपनों का होमरूम . . .अशोक चक्रधर
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संस्मरण
में
रवींद्र स्वप्निल प्रजापति का आलेख
मनोहर
श्याम जोशी
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महावीरजयंती
के अवसर पर
हनुमान सरावगी का लेख
लोकउद्धारक
महावीर
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चिठ्ठापत्री
में
चिठ्ठापंडित की पैनी नज़र
मार्च
महीने के चिठ्ठों पर
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पर्यटन में
गुरमीत खुराना के साथ सैर को चलें
चंबा
की घाटी
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संस्कृति
में
रोहिणी
कुमार बोथरा का आलेख
सा से सारंगी
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फुलवारी
में
ललित
कुमार से जानकारी की बातें
डेन्मार्क,
चीन और रूस
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