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अनुभूति

16. 10. 2005

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पिछले सप्ताह

उपन्यास अंश में
यू एस ए से सुषम बेदी के धारावाहिक
 उपन्यास अंश
लौटना का भाग–2

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बड़ी सड़क की तेज़ गली में
अतुल अरोरा के साथ
भाग चलें पूरब की ओर

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मंच मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में
भवानीदादा बोले मज़ा गया

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कला दीर्घा में
नवरात्र के अवसर पर विशेष दीर्घा
दुर्गा

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कहानियों में
भारत से नवनीत मिश्र की कहानी
विश्वास

किसी गिरहर इमारत जैसी वे मेरे ठीक पीछे खड़ी थीं। सब तरफ़ से झूल गया बुढ़ापे का शरीर। सामने के दांत टूटने लगे थे जिसके कारण होंठ अपने टिके होने का आधार खो रहे थे और पूरा चेहरा डोनाल्ड डक जैसा लगने लगा था। खिचड़ी बाल कहीं–कहीं पर काफ़ी कम हो गए थे और गंजापन झलकने लगा था। मदद की गुहार करती–सी आंखें जिनकी उपेक्षा करके आगे बढ़ जाना संभव नहीं होता। दाहिने गाल पर एक काला मस्सा था जो उनके गोरे रंग पर आज भी दिठौने–सा दमकता लग सकता था लेकिन मस्से पर उगे सफ़ेद बालों के गुच्छे ने उनके चेहरे को विरूपित कर रखा था। उनके माथे पर गहरी सिलवटें थीं जिनमें पसीने की महीन लकीरें चमक रही थीं।
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इस सप्ताह

दशहरा विशेषांक में
यू के से शैल अग्रवाल की कहानी
विसर्जन

कभी वे भी गौरी के साथ सुबह शाम चारों दिन पूजा के पंडाल पर जाते थे। नौ दिन बस पूजा पाठ, खाना पीना और सांस्कृतिक कार्यक्रम। वह धनुचि नृत्य–– ढोल मृदंग पखवाज़, शंखनाद में मिलकर बहती धूप, गूगल, कपूर और चंदन की महक, जो कपड़ों और बालों में ही नहीं आत्मा तक में रची बसी है – आज भी याद है उन्हें सबकुछ। मां दुर्गा के बीसों रूपों की भव्य पूजा होती हैं इन नौ दिनों में। तीन दिन दुर्गा के अंदर के विकार नष्ट करने के लिए। फिर अगले तीन दिन लक्ष्मी के, उनकी कृपा और समृद्धि के लिए। और अंतिम तीन दिन मां सरस्वती के, ज्ञान अर्जन के लिए। और फिर मां की विदाई। साल में बस इन्हीं नौ दिन के लिए ही तो आ पाती है मां अपने मायके। 

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हास्य व्यंग्य में
गोपाल प्रसाद व्यास का व्यंग्य
शूर्पनखा की नाक

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पर्व परिचय में
मानोशी चैटर्जी का सजीव विवरण
बंगाल की दुर्गा पूजा

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संस्मरण में
डा अरूण अवस्थी से अनूप शुक्ला की बातचीत – मौरावां की रामलीला
जहां रावण कभी नहीं मरता

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उपन्यास अंश में
यू एस ए से सुषम बेदी के धारावाहिक
 उपन्यास अंश
लौटना का भाग–3

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सप्ताह का विचार
युद्ध में हार को पार कर के मिलती है जीत और मृत्यु को पार कर के मिलता है अमृत। — रवींद्रनाथ ठाकुर

  

अनुभूति में

photo: Anup Shukla

दशहरे और दीपावली के अवसर पर नयी कविताएं
इस माह के कवि में पराग मांदले और
एक कवि स्ांमेलन
धारावाहिक

         दशहरा विशेषांक

नाटक में
साकेत–डा प्रेम जनमेजय

निबंध में

  • विजयदशमी पर शस्त्रपूजा
    डा गणेशकुमार पाठक

  • विजयोत्सव
    डा विद्यानिवास मिश्र

  • रामायण की विश्व विजय–
    पूर्णिमा वर्मन

  • कुल्लू का दशहरा
    दीपिका जोशी

  • कश्मीरी काव्य में रामकथा
    डा शिबन कृष्ण रैणा

  • फुलवारी में बच्चों के लिये

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    –° पिछले अंकों से °–

    कहानियों में
    रोड टेस्ट–इला प्रसाद
    अठतल्ले से गिर गए रेवत बाबू–जयनंदन
    लालटेन, ट्यूबलाइट–मोतीलाल जोतवाणी
    अपराधबोध का प्रेत–तेजेन्द्र शर्मा 
    चिठ्ठी आई है–कमलेश भट्ट कमल
    शौर्यगाथा–राम गुप्ता
    °
    हास्य व्यंग्य में
    कैसे कैसे शब्दजाल–रविशंकर श्रीवास्तव
    वह कहां है–नरेन्द्र कोहली 
    जिसे मुर्दा पीटे  . . .–महेशचंद्र द्विवेदी
    देश का विकास जारी है–गोपाल चतुर्वेदी
    °
    गांधी जयंती के अवसर पर
    राजेश कुमार सिंह का विशेष लेख
    डाक टिकटों में गांधी
    साथ में अनूप शुक्ला के कुछ प्रश्न 'पहला गिरमिटिया' के लेखक गिरिराज किशोर से
    और उनकी डायरी के चुने हुए अंश
    गांधी की तलाश के अंतर्गत
    °
    फुलवारी में ललित कुमार के सहयोग से
    भारत, श्री लंका और ईरान विषयक
    जानकारी देश–देशांतर के अंतर्गत

     

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    "अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
    यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

    प्रकाशन : प्रवीन सक्सेन  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
    संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन 
     सहयोग : दीपिका जोशी
    फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

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