भारत
के किसी टिकट में उनके बचपन के चित्र नहीं मिलते हैं, लेकिन
अमेरिकी महाद्वीप में स्थित एनटेगुआ और बरबूडा नामक देश ने
गांधी पर आधारित दो टिकट जारी किए हैं। इनमें उन्हें टोपी पहने
हुए दिखाया गया है।
दाहिनी ओर के टिकट में उनके जिस
चित्र का प्रयोग किया गया है उसमें वे लगभग सात वर्ष की आयु के
हैं। इस टिकट की पृष्ठभूमि में उनकी प्राथमिक पाठशाला दिखाई गई
है। प्राथमिक शिक्षा राजकोट में १२ वर्ष की अवस्था में पूरी
करने के पश्चात आगे की शिक्षा के लिए गांधी जी ने वर्ष १८८१
में काठियावाड हाईस्कूल में प्रवेश लिया। बिलकुल दाहिनी ओर के
टिकट में गांधी जी का चित्र उसी समय का है। पृष्ठभूमि में
काठियावाड हाईस्कूल दिखाई दे रहा है जिसका नाम आजकल महात्मा
गांधी हाईस्कूल है। १८८३ में गांधी जी का विवाह कस्तूरबा
नाकनजी से सम्पन्न हुआ जो बाद में कस्तूरबा गांधी के नाम से
जानी गईं। मात्र
१५ वर्ष की आयु में गांधी जी के पिता का देहांत हो गया था। १९
वर्ष की अवस्था में वर्ष १८८८ में गांधी जी राजकोट छोड कर बंबई
पहुँचे जहाँ से विधि की शिक्षा ग्रहण करने के लिए वे समुद्री
यात्रा के द्वारा इंग्लैण्ड के लिए रवाना हो गए। इंग्लैंड में
१३ जून १८९१ को वेजिटेरियन लंदन नाम के एक पत्र में उनका
शाकाहार के विषय में एक लेख प्रकाशित हुआ। इस लेख के साथ उनका
एक चित्र भी प्रकाशित हुआ था। ऐसा समझा जाता है कि अंग्रेज़ी
वेशभूषा में अंग्रेज़ से दिखने वाले विद्यार्थी गांधी का यह
चित्र उनके इंग्लैंड प्रवास के दौरान १८८८ से १८९१ के बीच लिया
गया होगा। इस चित्र को आधार बना कर अनेक देशों ने डाकटिकट जारी
किए हैं। १९९८ में जांबिया ने भी इस चित्र पर एक टिकट जारी
किया।
मारिशस ने
१९६९ में गांधी जी की स्वर्ण जयंती के अवसर पर छे टिकटों की एक
सुन्दर सामूहिका जारी की। इसका पहला टिकट भी इसी चित्र को आधार
बना कर प्रकाशित किया गया था। बाकी के पाँच टिकटों में गांधी
जी की अन्य मुद्राए शामिल की गई हैं। मारिशस में समूह के रूप
में जारी किया जाने वाला यह पहला टिकट था।
छे टिकटों के इस सामूहिक टिकट के हाशिये पर पेंसिल से भारत
के ग्रामीण परिवेश के अनेक सुंदर दृष्य अंकित किए गए थे। (अगले
पृष्ठ पर)
डेढ़ वर्षों में मैट्रिकुलेशन
की परीक्षा पास करने के उपरांत ११ जून १८९१ को गांधी जी ने
उच्च न्यायालय के बार की सदस्यता ग्रहण की और अगले ही दिन वे
भारत के लिए वापस चल पड़े। बंबई आने के बाद गांधी जी को अपने
अनुपस्थिति में अपने माँ के निधन की खबर पता चली। भारत वापसी
के कुछ माह पश्चात २६ नवंबर १८९१ को उन्होंने बंबई उच्च
न्यायालय में वकालत के लिए अपनी प्रवेश याचिका दाखिल की।
प्राप्त प्रमाणों के अनुसार १४ मई १८९२ को उन्हें काठियावाड
न्यायालय में वकालत का अभ्यास प्रारंभ करने की अनुमति मिल गई। लेकिन राजकोट में
वकालत जारी रखना गांधी जी को ज़्यादा नहीं सुहाया अप्रैल १८९३
में गांधी जी कस्तूरबा और अपने पुत्रों को भारत में ही छोड़
दक्षिण अफ्रीका के डरबन नामक स्थान पर स्थित एक भारतीय व्यवसाई
की कंपनी दादा अबदुल्ला एंड कंपनी के लिए कार्य करना स्वीकार
कर लिया।
इस तरह से वे पुनः भारत छोड
कर एक नए देश दक्षिण अफ्रीका पहुँचे जहाँ पर पहले से ही
अंग्रेजों का शासन चल रहा था। डरबन में कार्य के पहले सप्ताह
में ही गांधी जी को व्यापक प्रमुखता मिली जब उन्होंने न्यायालय
में अपने सिर पर बँधी पगडी उतारने के बजाय न्यायालय छोडना ही
उचित समझा। १८९६ में उनके जोहानसबर्ग के कार्यालय में खींचे गए
एक चित्र को भारत, दक्षिण अफ्रीका, गुयाना, मारशल द्वीप और
स्कॉटलैंड सहित कई देशों ने अपने डाकटिकटों का विषय बनाया है।
मार्शल दीप के इस टिकट में गांधी जी को वहाँ के मजदूरों के
हितों के लिए आंदोलन करते हुए दिखाया गया है।
इस घटना के एक सप्ताह बाद ही
प्रिटोरिया की ट्रेन यात्रा संबंधी वह बहुचर्चित घटना घटी जिसे
गांधी जी के राजनैतिक जीवन
की शुरुआत माना जाता है। पिटरमारिटजबर्ग नामक रेलवे स्टेशन पर
गांधी जी के पास प्रथम श्रेणी का टिकट होने के बावजूद उन्हें
धक्के दे कर बाहर कर दिया गया। क्यों कि उन दिनों दक्षिण
अफ्रीका की ट्रेनों की प्रथम श्रेणी में सिर्फ़ अंग्रेज़ ही
यात्रा कर सकते थे। इस घटना से क्षुब्ध महात्मा गांधी ने भारत
को अंग्रेज़ों से मुक्त कराने का प्रण लिया। और अंततः बिना
युद्ध लडे सिर्फ़ सत्याग्रह शांति और असहयोग के द्वारा
अंग्रेज़ों के चंगुल से भारत को मुक्त कराने का गांधी जी का
संकल्प १५ अगस्त १९४७ को पूरा हुआ।
इसी घटना को दर्शाते हुए
दक्षिण अफ्रीका में १९९५ में एक टिकट और प्रथमदिवस आवरण जारी
किया गया। इस टिकट में भी गांधी जी के उपरोक्त फोटो का ही
प्रयोग किया गया है। १९९५ में दक्षिण अफ्रीका ने भारत के साथ
संयुक्त रूप से दो टिकटों का एक समूह जारी किया। इसमें भी युवा
गांधी को प्रदर्शित करने के लिए उनकी इसी फ़ोटो को चुना गया।
इस समूहिका के हाशिए पर गांधी जी के काम में आने वाली दैनिक
वस्तुओं का चित्रांकन है।
|