पिछले
सप्ताह
चित्र
लेख में
आकाश
की छवियों पर आधारित लेख
दिन की अगवानी
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साक्षात्कार
में
साहित्यिक यात्रा व लोखन प्रक्रिया
:
कथाकार
तेजेन्द्र शर्मा
की मधुलता अरोरा से बातचीत
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बड़ी
सड़क की तेज़ गली में
अतुल अरोरा के साथ
गड्डी
जांदी है छलांगा मारती
°
रसोईघर
में
शाकाहारी मुगलई के अंतर्गत नया
व्यंजन
शामी
कवाब
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कहानियों
में
नार्वे से सुरेशचंद्र शुक्ल की कहानी
वापसी
रामशरण को अपने वतन से बहुत प्रेम है। चाहे संगीत हो या कपड़े वह सदा स्वदेशी वस्तुओं को पसन्द करता। पर दूसरों के लिए उसने विदेशी वस्तुएं खरीदी हैं। होली आने वाली है वह अपने देश जा रहा है। वह भारतीय ट्रवेल एजेंसी से टिकट खरीदता है। उसका कहना है कि विदेश में यदि आदमी के पास काम हो और वह अनपढ़ भी हो तो उसका काम चल जायेगा। मन्दिरगुरूद्वारे में अपनी भाषा। दूतावास में अपनी भाषा। भारतीयों की अपनी ट्रवेल एजेंसियाँ हैं, उनके अपने रेस्टोरेन्ट हैं। भारतीय सामान अनेक प्रवासी दुकानों पर मिलता है। रही बात विदेशी भाषा की वह तो जहाँ आदमी रहता है सीख जाता है।
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इस
सप्ताह
कहानियों
में
भारत से मालती जोशी की कहानी
बहुरि
अकेला
मैंने
बहुत मुश्किल से दरवाज़ा बंद किया। इतने से श्रम
से भी मैं हांफ गई थी। देर तक बंद दरवाज़े के
सामने वहीं खड़ी रही जहां से मैंने उन्हें जाते हुए
देखा था। मुझे लगा, वे मेरे घर से ही नहीं
जीवन से भी चले गए हैं। "अलविदा मि
.कश्यप" मैंने कहा, "आज से मेरे घर और
मेरे मन के, दरवाज़े आपके लिए बंद हो चुके हैं।
घर का दरवाज़ा तो शायद कभी मजबूरी में खोलना
भी पड़ेगा क्योंकि इस शादी को इतना आसानी से मैं
नकार नहीं सकती। इसके लिए मेरे भाइयों ने बहुत
सारा श्रम और पैसा खर्च किया है, इसलिए इस शादी
को तो मुझे ढोना ही पड़ेगा। पर मेरे मन का
दरवाज़ा अब आपके लिए कभी नहीं खुलेगा, कभी
नहीं।"
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हास्य
व्यंग्य में
रामेश्वर दयाल काम्बोज
'हिमांशु' का ट्यूशन
पुराण
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रचना
प्रसंग में
आर पी शर्मा 'महर्षि' के धारावाहिक 'ग़ज़ल लिखते समय' का पहला भाग
ज़मीने
शे'र
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नगरनामा
में
वाराणसी का नगर वृतांत
प्रो .य .गो .जोगलेकर की कलम से
कुल्हड़,
कसोरा और पुरवा
°
आज
सिरहाने
गिरिराज किशोर का उपन्यास
पहला
गिरमिटिया
सप्ताह का विचार
अनुभवप्राप्ति
के लिए काफी मूल्य चुकाना पड़ सकता है पर उससे जो शिक्षा
मिलती है वह और कहीं नहीं मिलती।
अज्ञात
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अनुभूति
में
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अनूप अशेष और
मधु प्रसाद के गीत
डा शैल रस्तोगी के
हाइकु,
सतीशचंद्र
उपाध्याय
के मुक्तक और
नयी प्रेम कविताएं
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° पिछले अंकों
से °
कहानियों में
हीरोसूर्यबाला
यादों
की अनुभूतियांकमला
सरूप
हो
लीस्वदेश राणा
एक
पढ़ीलिखी स्त्री क्रांति त्रिवेदी
मंजूर
अलीउषा वर्मा
थपेड़ासंजय विद्रोही
°
हास्य
व्यंग्य में
हमारी
साहित्य गोष्ठियांविजय ठाकुर
कानूननप्रमोद
राय
कट्टरताडा नरेन्द्र कोहली
दौराडा निशांत कुमार
°
मंच
मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में
ममता
से भयभीत बलबीर सिंह 'रंग'
°
पर्व
परिचय में
कैलाश जैन का आलेख
पहली अप्रैल की कहानी
° फुलवारी
में
आविष्कारों
की कहानीपानी के जहाज़
और शिल्पकोना में
व्यस्त
हूं तंग मत करो
°
साहित्यिक
निबंध में
बृजेशकुमार
शुक्ला की कलम से
होली
खेलें रघुवीरा
°
पर्व
परिचय में
सत्यवान शर्मा बता रहे हैं
होली
के विविध आयाम
°
होली
के हुड़दंग में
डा रति सक्सेना की चेतावनी
सावधान
ब्लॉगिए आ रहे हैं
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