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पिछले सप्ताह

हास्य व्यंग्य में
विजय ठाकुर का आलेख
हमारी साहित्य गोष्ठियां
 
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मंच मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में 
ममता से भयभीत बलबीर सिंह 'रंग'

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पर्व परिचय में
कैलाश जैन का आलेख
पहली अप्रैल की कहानी

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फुलवारी में
आविष्कारों की कहानीः पानी के जहाज़
और शिल्पकोना में 
व्यस्त हूं तंग मत करो

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कहानियों में
भारत से सूर्यबाला की कहानी
हीरो

उसने बाज़ी मार ली थी। क्योंकि वह हवाई जहाज से पहुंचा था। आसपास के शहरों और कस्बों से अवश्य कई रिश्तेदार ट्रेनों से, बसों से या एकाध अपनी गाड़ी से भी आ चुके थे। ट्रेनों से आने वाले, भारी, दबे, गले से बता रहे थे किस तरह बिना आरक्षण के, भीड़ भरे डिब्बों में ठुंस कर पहुंच पाए वे . . .क्योंकि पहुंचना तो था ही। दूसरों ने बताया कि ख़बर मिलते ही, बस के इंतज़ार में समय न गंवा कर शेयर्ड टैक्सी लेकर आना उन्होंने ज़्यादा ठीक समझा। लेकिन उसे कुछ भी कहने या बताने की ज़रूरत नहीं थी। वह, काफ़ी दूर होने के बावजूद हवाई जहाज से पहुंच गया था और पहुंचने के साथ ही, पूरी मुस्तैदी से अंतिम–संस्कार की तैयारियों में शामिल हो गया था।

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इस सप्ताह

कहानियों में
नार्वे से सुरेशचंद्र शुक्ल की कहानी
वापसी

रामशरण को अपने वतन से बहुत प्रेम है। चाहे संगीत हो या कपड़े वह सदा स्वदेशी वस्तुओं को पसन्द करता। पर दूसरों के लिए उसने विदेशी वस्तुएं खरीदी हैं। होली आने वाली है वह अपने देश जा रहा है। वह भारतीय ट्रवेल एजेंसी से टिकट खरीदता है। उसका कहना है कि विदेश में यदि आदमी के पास काम हो और वह अनपढ़ भी हो तो उसका काम चल जायेगा। मन्दिर–गुरूद्वारे में अपनी भाषा। दूतावास में अपनी भाषा। भारतीयों की अपनी ट्रवेल एजेंसियाँ हैं, उनके अपने रेस्टोरेन्ट हैं। भारतीय सामान अनेक प्रवासी दुकानों पर मिलता है। रही बात विदेशी भाषा की वह तो जहाँ आदमी रहता है सीख जाता है।

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बड़ी सड़क की तेज़ गली में
अतुल अरोरा के साथ
गड्डी जांदी है छलांगा मारती

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रसोईघर में
शाकाहारी मुगलई के अंतर्गत नया व्यंजन
शामी कवाब

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चित्र लेख में
आकाश की छवियों पर आधारित लेख
दिन की अगवानी

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साक्षात्कार में
साहित्यिक यात्रा व लोखन प्रक्रिया :
कथाकार तेजेन्द्र शर्मा
की मधुलता अरोरा से बातचीत
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!सप्ताह का विचार!
बसे अधिक ज्ञानी वही है जो
अपनी कमियों को समझकर उनका
सुधार कर सकता हो। 

—अज्ञात

 

अनुभूति में

'हिंदी की सौ सर्वश्रेष्ठ प्रेम कविताएं'
 तथा
'नयी हवा' में
17 नयी कविताएं

  होली विशेषांक समग्र 

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
यादों की अनुभूतियां–कमला सरूप
हो लीस्वदेश राणा
एक पढ़ी–लिखी स्त्री– क्रांति त्रिवेदी
मंजूर अली–उषा वर्मा
थपेड़ा–संजय विद्रोही
उपहार–श्रीनाथ
°

हास्य व्यंग्य में
कानूनन–प्रमोद राय
कट्टरता–डा नरेन्द्र कोहली
दौरा–डा निशांत कुमार
(उ)ई मेल–रविशंकर श्रीवास्तव
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साहित्यिक निबंध में
बृजेशकुमार शुक्ला की कलम से
होली खेलें रघुवीरा
°

पर्व परिचय में
सत्यवान शर्मा बता रहे हैं
होली के विविध आयाम

°

होली के हुड़दंग में
डा रति सक्सेना की चेतावनी
सावधान ब्लॉगिए आ रहे हैं

°

संस्कृति में
प्रभा पंवार का जानकारी भरा लेख
अल्पना क्या है

°
उपहार में
होली की शुभकामनाएं जावा आलेख में
रंगों की बौछार

°

संस्मरण में
सुरेन्द्रनाथ तिवारी की सरस स्मृतियां
बहुत दिनों बाद देस में

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन 
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

 

 

 
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