अनुभूति

 1. 12. 2004

आज सिरहानेआभारउपन्यासउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा
घर–परिवारदो पलपरिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
विशेषांकशिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंदर्भसंपर्कहास्य व्यंग्य

 

पिछले सप्ताह

प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव का आलेख
विश्वजाल पर शब्दकोश

°

विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप से जानकारी
सूंघने में छुपे रहस्य और नोबेल पुरस्कार

°

रचना प्रसंग में
प्राण शर्मा के धारावाहिक साहित्य
विवेचन की अगली किस्त
उर्दू ग़जल बनाम हिन्दी ग़जल (भाग–2)

°

ललित निबंध में
मेहरून्निसा परवेज़ की रम्य रचना
चिठ्ठी में बंद यादें

°

कहानियों में
भारत से प्रत्यक्षा की कहानी
कैक्टस

कंपार्टमेंट में सन्नाटा छा गया है। नाइट लाइट की नीली रौशनी फैल गई है। पर्दे‚ खींच कर बराबर कर दिए गए हैं। सब सो रहे हैं पर मेरी आंखों से नींद मीलों दूर है। बार बार विनी भाभी का चेहरा तैर रहा है। कैसा अजब संयोग था। इस बार मैं आई थी अकेले‚ पापा के पुराने घर का हिसाब किताब करने। घर में रूकी भी थी। पापा के अभिन्न मित्र और पड़ोसी शर्मा जी ने ही सब सरंजाम कर दिया था। जोर डालते रहे अपने घर रूकने के लिए‚ पर मन नहीं माना था।

1°

1नये अंकों की सूचना के लिये1
अपना ई मेल यहां लिख भेजें


 

इस सप्ताह

कहानियों में
भारत से उत्कर्ष राय की कहानी
काहे को ब्याही विदेश

एक हैं जनार्दन मिश्र। शुद्ध शाकाहारी, बिना सुबह नहाए अन्न, जल तक नहीं ग्रहण करते। इनके बाबा बनारस में पंडिताई करते थे। पिता को यह पसंद नहीं था, मगर मजबूरीवश रामायण बांचनी पड़ती थी। 
उन्होंने ठान लिया था कि जनार्दन पंडिताई नहीं करेगा। जनार्दन को उन्होंने खूब पढ़ाया लिखाया एवं डॉक्टर बनाया। उन्हें क्या पता था कि एक कॉन्फ्रेन्स में जनार्दन अमरीका क्या आएंगे कि जैसे उन्हें अमरीका में बसने का चस्का ही लग जाएगा। पिता–पुत्र में काफी बहस हुई . . .

°

रचना प्रसंग में
प्राण शर्मा के धारावाहिक साहित्य
विवेचन की अगली किस्त
उर्दू ग़जल बनाम हिन्दी ग़जल (भाग–3)

°

मंच मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में 
इस वास्ते अनुरोध है

°

फुलवारी में
माइक्रोवेव अवन, साबुन और वाशिंग मशीन के
आविष्कारों की कहानी
और शिल्पकोना में बनाएं
सूंड़ हिलाता हाथी

°

घर परिवार में
वास्तु विवेक के अंतर्गत सुरेश श्रीमाली
बता रहे हैं
फेंगशुई के स्वर्णिम सूत्र
1°

1सप्ताह का विचार1
पका कोई भी काम महत्वहीन हो सकता है पर महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें। —महात्मा गांधी

 

अनुभूति में

112 दीपावली कविताओं का सुसज्जित संकलन
दिये जलाओ
और
सभी स्थायी स्तंभ

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
काला सागर तेजेन्द्र शर्मा
रामलीला–प्रेमचंद
पिटी हुई गोट–शिवानी
कल्याण का अंत–जयनंदन
फिर कभी सही–दिव्या माथुर
धूल की एक परत–तरूण भटनागर

°

हास्य व्यंग्य में
यू एस ए से अगस्त्य कोहली का व्यंग्य
नाटक की नौटंकी

°

आज सिरहाने में संजय ग्रोवर के नवीनतम
व्यंग्य संग्रह
मरा हुआ लेखक से
परिचय प्रमोद राय द्वारा

°

रसोईघर में
शाकाहारी मुगलई भोजन के अंतर्गत
मेथी मलाई खुंभ

°

रचना प्रसंग में
प्राण शर्मा का साहित्य विवेचन
उर्दू ग़जल बनाम हिन्दी ग़जल (भाग–1)

°

उपहार में विजयेन्द्र विज की फ्लैश मूवी
के साथ शुभकामनाओं का नया
उपहार 
पूजा में दीप जलें

°

घर परिवार में
अनुराधा बता रही हैं हमारी संस्कृति में
स्वस्तिक की महिमा

°

प्रकृति और पर्यावरण में
श्री बालकृष्ण जी कुमावत का आलेख
रामराज्य में प्रकृति और पर्यावरण

 

अपनी प्रतिक्रिया    लिखें / पढ़ें 

आज सिरहानेआभारउपन्यासउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा
घर–परिवारदो पलपरिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
विशेषांकशिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंदर्भसंपर्कहास्य व्यंग्य

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन   
       सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिया साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला