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1. 8. 2006 

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लेखकों से

 

पिछले सप्ताह

हास्य व्यंग्य में
गुरमीत बेदी ने पाए विश्वकप फुटबॉल में
इटली के लड्डू

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संस्कृति में
अर्बुदा ओहरी लेकर आई हैं
कॉफ़ी का प्याला

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विज्ञान वार्ता में
गुरूदयाल प्रदीप खोज लाए हैं
ऊर्जा का वैकल्पिक स्रोतः जैव ईंधन यानि बायोडीज़ल

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प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव सिखा रहे हैं
इनस्क्रिप्ट की–बोर्ड

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कहानियों में
कैनेडा से डॉ शैलजा सक्सेना की कहानी
चाह

वह झटके से उठ बैठी। दोनों कुछ देर पहले उस पार्क में आए थे। पार्क बड़ी झील के किनारे था। शाम धीरे–धीरे पक्षियों के झुंडों के रूप में पेड़ों पर उतर कर चहचहा रही थी। इतना शोर हो रहा था कि पहले उसे लगा कि यहां से चली जाए, पर यह सोचकर कि लोगों के शोर से तो चिड़ियों का शोर अच्छा, वे दोनों कुछ दूर टहलते से निकल गए थे। नवंबर के शुरूआत की शाम, बहुत से पेड़ों के पते झर चुके थे, जो शेष थे अपना पीलापन लिए हवा के रूख के सामने अड़ियल से खड़े थे। आज हवा में ठंडक कुछ कम थी, लोग केवल हल्के कोट से काम चला सकते थे।

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इस सप्ताह

कहानियों में
भारत से अभिरंजन कुमार की कहानी
तुम सच कहती हो गौरैया

दिल्ली की शाम अलसता की लता और कोमलता की कली–सी नहीं है। वह निराला की सांध्य सुंदरी की तरह नीरवता के कंधों पर बांह डाले हुए नहीं आती।  दिल्ली की शाम में शर्म–संकोच, आंचल–घूंघट आदि की अवधारणाएं लुप्तप्राय हैं। इसलिए यहां की शाम भी ऐसी नहीं हो सकती। वह तो आती है और भी शोर बढ़ाती हुई गली–गली, तमाम सड़कों पर। वह शांत सरोवर पर कमलिनी–दल में या सौंदर्य–गर्विता सरिता के विस्तृत वक्षस्थल में या हिमगिरि के अटल–अचल गंभीर शिखरों पर नहीं सोया करती, बल्कि वह तो बड़ी–बड़ी इमारतों और होटलों की भव्यता पर सोने
वाली है।

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हास्य व्यंग्य में
गर्मी की दोपहर में संतोष खरे लगा रहे हैं
धूप का चश्मा

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महानगर की कहानियों में
सुभाष नीरव की लघुकथा
मकड़ी

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पर्यटन में
मनीष कुमार के साथ चलें
सिक्किम के सफ़र पर

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फुलवारी में
 देश देशांतर में जानकारी की बातें
अर्जेन्टीना, ब्राज़ील और पेरू

 सप्ताह का विचार
चापलूसी का ज़हरीला प्याला
आपको तब तक नुकसान नहीं पहुंचा
सकता जब तक कि आपके कान उसे
अमृत समझ कर पी न जाएं। —
प्रेमचंद

 

इस माह के कवि में शास्त्री नित्यगोपाल कटारे के साथ दिशांतर, गीतों और कविताओं में ढेर सी नयी रचनाएं 

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
रक्तदान–नितिन उपाध्ये
ज़िंदगी जहां शुरू होती है–रवींद्र बत्रा
फुटबॉल–पद्मा सचदेव
राजधानी में हार–असग़र वजाहत
यादों के गुलमोहर–शैल अग्रवाल
गुलमोहर–डॉ शांति देवबाला
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हास्य व्यंग्य में
भगौने में चम्मच–प्रतिभा सक्सेना
भोंपू–डा नरेन्द्र कोहली
मैच के समय . . .–रविशंकर श्रीवास्तव
सपने में साक्षात्कार–गुरमीत सेठी
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आज सिरहाने में
अशोक चक्रधर के संस्मरणों का संग्रह
मंच मचान
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प्रकृति में
राजेन्द्र तिवारी का आलेख
सुकेती जीवाश्म पार्क

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संस्मरण में
अशोक चक्रधर व पूरन पंकज की यादों में श्याम ज्वालामुखी

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पर्व परिचय में
सतीश गुप्त का आलेख
पुरी की रथयात्रा
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घर परिवार में
हिंदी ब्लॉगर की कलम से
दुनिया को बदलता भारत
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रसोईघर में
सबसे जल्दी तैयार होने वाला
मटर पुलाव

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन 
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

     

 

 
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