पिछले
सप्ताह
हास्य
व्यंग्य में
गोपाल
प्रसाद व्यास का व्यंग्य
शूर्पनखा की नाक
° पर्व
परिचय में
मानोशी चैटर्जी का सजीव विवरण
बंगाल
की दुर्गा पूजा
° संस्मरण
में
डा अरूण अवस्थी से अनूप शुक्ला की
बातचीत मौरावां की रामलीला
जहां
रावण कभी नहीं मरता
° उपन्यास
अंश में
यू एस ए से सुषम बेदी के
धारावाहिक
उपन्यास अंश लौटना
का भाग3
°
दशहरा
विशेषांक में
यू
के से शैल अग्रवाल की कहानी
विसर्जन
कभी वे भी गौरी
के साथ सुबह शाम चारों दिन पूजा के पंडाल पर जाते थे।
नौ दिन बस पूजा पाठ, खाना पीना और सांस्कृतिक कार्यक्रम।
वह धनुचि नृत्य ढोल मृदंग पखवाज़, शंखनाद में
मिलकर बहती धूप, गूगल, कपूर और चंदन की महक, जो
कपड़ों और बालों में ही नहीं आत्मा तक में रची बसी है
आज भी याद है उन्हें सबकुछ। मां दुर्गा के बीसों रूपों
की भव्य पूजा होती हैं इन नौ दिनों में। तीन दिन दुर्गा
के अंदर के विकार नष्ट करने के लिए। फिर अगले तीन दिन लक्ष्मी
के, उनकी कृपा और समृद्धि के लिए। और अंतिम तीन दिन मां
सरस्वती के, ज्ञान अर्जन के लिए। और फिर मां की विदाई।
साल में बस इन्हीं नौ दिन के लिए ही तो आ पाती है मां
अपने मायके।
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इस
सप्ताह
कहानियों में
भारत से सुधा अरोड़ा की कहानी
समुद्र में रेगिस्तान
तीस
साल पहले समुद्र ऐसा मटमैला नहीं था। चढ़ती
दुपहरी में वह आसमान के हल्के नीले रंग से कुछ
ज्यादा नीलापन लिए दिखता आसमानी नीले रंग से
तीन शेड गहरा। लगता, जैसे चित्रकार ने समुद्र को
आंकने के बाद उसी नीले रंग में सफ़ेद मिलाकर ऊपर
के आसमान पर रंगों की कूची फेर दी हो। आसमान
और समुद्र को अलग करती बस एक गहरी नीली लकीर।
डूबता सूरज जब उस नीली लकीर को छूने के लिए
धीरेधीरे नीचे
उतरता तो लाल गुलाबी रंगों का
तूफ़ान सा
उमड़ता, वे सारे काम छोड़कर उठतीं और
कूची लेकर उस उड़ते अबीर को कैनवास पर उतारने बैठ
जातीं तस्वीर पूरी
होने पर खिड़की के बाहर की तस्वीर का अपनी तस्वीर से
मिलान करतीं और खीझ जातीं।
°
उपहार
में
दीपावली के लिए शुभकामना
संदेश
नभ
पर तारे
°
फुलवारी
में
शिल्पकोना में दीपावली के लिए
बनाएं
बंदनवार
साथ ही देश देशांतर में जाने
इज़राइल,
सऊदी अरब व इमारात
के बारे में
°
रसोईघर
में
दीपावली के लिए अभी से तैयार करें
मिठाइयां
और नमकीन
°
उपन्यास
अंश में
यू एस ए से सुषम बेदी के
धारावाहिक
उपन्यास अंश लौटना
का
भाग4
सप्ताह का विचार
मनुष्य
जितना ज्ञान में घुल गया हो उतना ही वह कर्म के रंग
में रंग जाता है।
विनोबा
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अनुभूति
में
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कुछ और
शुभकामना संदेश
आस्टे्रलियाई कविताएं, पाठकनामा
नयी हवा, व्यंग्य और
खबरदार कविता
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° पिछले अंकों
से °
कहानियों में
विश्वासनवनीत मिश्र
रोड
टेस्टइला प्रसाद
अठतल्ले
से गिर गए रेवत बाबूजयनंदन
लालटेन,
ट्यूबलाइटमोतीलाल जोतवाणी
अपराधबोध
का प्रेततेजेन्द्र शर्मा
चिठ्ठी
आई हैकमलेश भट्ट कमल
शौर्यगाथाराम गुप्ता
°
हास्य
व्यंग्य में
कैसे
कैसे शब्दजालरविशंकर श्रीवास्तव
वह
कहां हैनरेन्द्र कोहली
जिसे
मुर्दा पीटे . . .महेशचंद्र
द्विवेदी
देश
का विकास जारी हैगोपाल चतुर्वेदी
°
बड़ी
सड़क की तेज़ गली में
अतुल अरोरा के साथ
भाग
चलें पूरब की ओर
° मंच
मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में
भवानीदादा बोले मज़ा आ गया
°
कला
दीर्घा में
नवरात्र के अवसर पर विशेष दीर्घा
दुर्गा
°ं
गांधी
जयंती के अवसर पर
राजेश कुमार सिंह का विशेष
लेख
डाक
टिकटों में गांधी
साथ में
अनूप शुक्ला के कुछ प्रश्न 'पहला गिरमिटिया' के लेखक गिरिराज
किशोर से
और उनकी डायरी के चुने हुए अंश
गांधी
की तलाश
के अंतर्गत
°
फुलवारी
में
ललित
कुमार के सहयोग से
भारत,
श्री लंका और ईरान
विषयक
जानकारी देशदेशांतर के अंतर्गत
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