पिछले
सप्ताह
फ़ोन
बजता रहा
कृष्णा सोबती के धारावाहिक संस्मरण का
तीसरा
और अंतिम भाग
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हिंदी
दिवस के अवसर पर
तीन
विशेष रचनाएं
महेशचंद्र द्विवेदी का चुटीला व्यंग्य
न
रहेगा
बांस
न
बजेगी
बांसुरी
°
इंद्र
अवस्थी का
करारा हिंगलिश चिट्ठा
आइए
नेशनल लैंगुएज को रिच बनाएं
और
जितेन्द्र चौधरी की संवेदनात्मक स्वीकृति
मेरा
हिंदी प्रेम
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कहानियों
में
भारत से जयनंदन की कहानी
अठतल्ले
से
गिर
गए
रेवत
बाबू
रतन ने कहा था,
"बाउजी, अब हमलोग
इस जनता नगर में नहीं रह सकते। यहां जीने की
कोई क्वालिटी नहीं है। आसपास के लोग गंदे हैं,
असभ्य हैं, जाहिल हैं, अशिक्षित हैं, झगड़ते रहते
हैं, सफ़ाई पर ध्यान नहीं देते। हमारा पड़ोसी नाई,
धोबी, बढ़ई, लुहार, फलवाला, दूधवाला हो,
यह अच्छा नहीं लगता।"
रेवत बाबू रतन का मुंह देखते रह गए थे, जैसे उसकी
घृणा पड़ोसियों के प्रति नहीं अपने बाप के प्रति उभर
आई हो। वे भी तो इन्हीं की श्रेणी के आदमी रहे।
कारखाने में एक मामूली मज़दूर। मुख्य शहर से तीस
किलोमीटर दूर इस नयी बस रही बस्ती में जब
उन्होंने ज़मीन लेनी चाही थी तो इन्हीं फलवाला
और दूधवाला ने उनके लिए दौड़धूप की।
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इस
सप्ताह
कहानियों में
यू एस ए से इला प्रसाद की कहानी
रोड
टेस्ट
"तो मैम रोड टेस्ट पास
कर लिया आपने?" कार्ला पूछ रही थी। अचानक सुनीता उसे पहचान नहीं पाई।
उसे रोड टेस्ट पास किए हुए
लगभग छह महीने बीत चुके थे। बहुत झिझकझिझक कर,
डरते हुए वह अकेले घर से कार लेकर निकलती। पहली बार
तो डॉलर स्टोर तक जाकर ही लौट आई। डॉलर स्टोर उसके
घर से बस इतनी ही दूरी पर था कि एक सिगनल पार करना
पड़े। फिर धीरेधीरे पोस्ट आफ़िस, वॉलमार्ट . .
.दूरियां बढ़ती
गईं। अब तो वह फीडर रोड पर भी आराम
से ड्राइव करती है। बस अकेले हाइवे पर जाने का साहस
नहीं बटोर पाती। वहां पर राजीव का साथ चाहिए, भले
ही स्टीयरिंग व्हील उसके हाथ में हो।
°ं
हास्य
व्यंग्य में
रविशंकर श्रीवास्तव का
व्यंग्य
कैसे
कैसे शब्दजाल
°
संस्कृति
में
डा रमेशकुमार भूत्या की
रचना
पंचकर्म
और उसका औचित्य
°
प्रौद्योगिकी
में
आशीष गर्ग द्वारा जानकारी
कंप्यूटर
की मेमोरी
°
पर्यटन
में
गुरमीत बेदी की दृष्टि से देखें
भंगाहल
का तिलिस्मी संसार
°
सप्ताह का विचार
मुठ्ठी
भर संकल्पवान लोग जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है,
इतिहास की धारा को बदल सकते हैं।
महात्मा गांधी
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अनुभूति
में
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यू एस ए से
राकेश खण्डेलवाल
तथा
भारत से
अमित कुमार सिंह की नयी कविताएं
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° पिछले अंकों
से °
कहानियों में
लालटेन,
ट्यूबलाइटमोतीलाल जोतवाणी
अपराधबोध
का प्रेततेजेन्द्र शर्मा
चिठ्ठी
आई हैकमलेश भट्ट कमल
शौर्यगाथाराम गुप्ता
प्रश्ननीलम
जैन
सुहागनविजय
शर्मा
°
हास्य
व्यंग्य में
आज्ञा
न मानने वालेनरेन्द्र कोहली
जिसे
मुर्दा पीटे . . .महेशचंद्र
द्विवेदी
देश
का विकास जारी हैगोपाल चतुर्वेदी
कुताअरूण राजर्षि
°
फ़ोन
बजता रहा
कृष्णा सोबती के धारावाहिक संस्मरण का
दूसरा भाग
°
मंच
मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में
बच्चन
जी ने क्या खूब रचा
°
बड़ी
सड़क की तेज़ गली में
अतुल अरोरा के साथ
ज़ीरो
मतलब शून्य
°
रसोईघर
में
तैयार करते हैं माइक्रोवेव पर
आलू
मेथी का सूप
°
दृष्टिकोण
में
अनूप शुक्ला का आलेख
हैरी
बनाम हामिद
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फुलवारी
में
जानकारी के अंतर्गत
आविष्कारों
की नयी कहानियां
और शिल्पकोना में बनाएं
काग़ज़
का याक
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