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पिछले
सप्ताह
विज्ञान वार्ता में
मोबाइल और माइक्रोेवेव
अॅवन के बारे में
डा गुरूदयाल प्रदीप की चेतावनी
सावधान! खतरों की भी है संभावना
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प्रौद्योगिकी में
विश्वजाल पर हिंदी चिठ्ठों के
विषय में रविशंकर श्रीवास्तव का आलेख
अभिव्यक्ति का नया
माध्यम : ब्लॉग
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महानगर की
कहानियों में
डा सुरेशचंद्र शुक्ल
'शरद आलोक' की लघुकथा
दोहरा दान
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परिक्रमा
में
लंदन पाती के अंतर्गत
यूके की साहित्यिक गतिविधियों पर शैल अग्रवाल
सुर
सावन
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कहानियों में
सऊदी अरब से विद्याभूषण धर की कहानी
अनोखी
रात
कोई कमी नही थी उसके संसार मे, न प्यार की न सौहार्द्र की, न
संसाधनो की। गांव मे सब समान थे, एक सूत्र मे बंधे गांव
मे कश्मीर के बाकी इलाको की तरह मुसलमान बहुसंख्या मे थे पर
सदियो से हिन्दू मुसलमान शीर शक्कर की तरह प्यार व सुकून से रह
रहे थे। सुबह जहां गांव के छोटे से मंदिर से शंख व घंटियों की
आवाज आती, वही पास की मस्जिद से अज़ान का स्वर उसमे समाहित
होकर एक अलौकिक ध्वनि का एहसास कराता था। सब अपने थे, रमज़ान
चाचा, हमीदा मामी, शादीलाल, हलींमा आपा, कृषण जू, राहत
मौसी . . .और जैसे भूषण गहरी नींद से जागा हो। यह सब याद आते
ही भूषण की आंखे भर आई और जो चहरा उसकी आंखो के सामने
आया उसकी याद आते ही जैसे किसी ने उसका दिल अपनी मुठ्ठी ंमे
भींच लिया।
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!इस
सप्ताह
गौरव
गाथा में
शेखर जोशी की बहुचर्चित कहानी
कोसी
का घटवार
सर पर क्रास
खुखरी के क्रेस्ट वाली, काली, किश्तीनुमा टोपी को तिरछा रखकर, फौजी वर्दी
वह पहली बार एनुअललीव पर घर आया, तो चीड़ वन की आग की तरह खबर
इधरउधर फैल गई थी। बच्चेबूढ़े, सभी उससे मिलने आए थे।
चाचा का गोठ एकदम भर गया था, ठसाठस्स। बिस्तर की नई, एकदम साफ,
जगमग, लालनीली धारियोंवाली दरी आंगन में बिछानी पड़ी थी
लोगों को बिठाने के लिए। खूब याद है, आंगन का गोबर दरी में लग
गया था। बच्चेबूढ़े, सभी आए थे। सिर्फ चनागुड़ या हल्द्वानी के
तंबाकू का लोभ ही नहीं था, कल के शर्मीले गुसांईं को इस नए रूप में
देखने का कौतूहल भी था। पर गुसांईं की आंखें उस भीड़ में जिसे खोज
रही थीं, वह वहां नहीं थी।
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नगरनामा
में
त्रिवेन्द्रम से रति सक्सेना का नगर वृतांत
डायरी अंदाज़ में आसमान
की ओर
बाहें
उठाए
सागरी झीलों का शहर
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स्वास्थ्य संदर्भ में
स्वाद और स्वास्थ्य के
अंतर्गत, देखने में सुंदर और स्वास्थ्य से भरपूर
सुगंधित
पत्तियों का संसार
दीपिका जोशी की कलम से
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मंच
मचान में
अशोक चक्रधर के
मंच संस्मरण
धूमिल
ने पूछा भूख क्या होती है
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फुलवारी में
जंगल के पशु श्रृखला के अंतर्गत
भेड़िये के विषय में जानकारी
कविता भेड़िया
और
रंगने लिए
चित्र
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1
!सप्ताह का विचार!
सांप
के दांत में विष रहता है, मक्खी
के सिर में और बिच्छू की पूंछ में किन्तु
दुर्जन के पूरे शरीर में विष रहता है।
कबीर |
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अनुभूति
में
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दिविक
रमेश,
शरण,
निर्मला सिंह और
पीयूष पाचक की
11
नई रचनाएं
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पिछले अंकों से°
कहानियों में
एक
और कुआनोसंतोष गोयल
सलाखों
वाली खिड़कीविनीता अग्रवाल
कनुप्रियाशैल अग्रवाल
दफ्तर(उपन्यास
अंश)विभूति नारायण राय
राजा निरबंसियाकमलेश्वर
ग़लतफ़हमीसुरेश कुमार
गोयल
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साक्षात्कार
में
वरिष्ठ पत्रकार व
लेखक पुष्पा भारती से
मधुलता अरोरा की बातचीत
मुझे मुंबई में सारे रिश्ते
मिल गए
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प्रकृति और पर्यावरण में
डॉ कृपाशंकर तिवारी का
आलेख
मुसीबत
बनता प्लास्टिक कचरा
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आज
सिरहाने में
मनोज भावुक के भोजपुरी
ग़ज़ल संग्रह
तस्वीर
जिन्दगी के पर
माहेश्वर तिवारी
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हास्य व्यंग्य में
महेशचंद्र द्विवेदी का चुवावी व्यंग्य
वोटर
लिस्ट में नाम न
होने का सुख
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ललित
निबंध में
केदारनाथ राय का आलेख
कुब्जा
सुंदरी
° वैदिक
कहानियों में
डा रति सक्सेना प्रस्तुत कर रही हैं
सोम
और सूर्या के विवाह
की कथा
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साहित्य समाचार में
अंतर्राष्ट्रीय
इंदु शर्मा
कथा सम्मान
तथा पद्मानंद साहित्य सम्मान समारोहों
पर रपट
लंदन में
सम्मान समारोह
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रसोईघर
में
पुलावों के स्वादिष्ट संग्रह में
तैयार है
दक्षिण भारत के रसोईघर से
नीबू
पुलाव
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