पुदीना :
पुदीने के ताज़गीवाले स्वाद से कौन परिचित नहीं।
चाहें चटनी में इस्तेमाल करें या आम के पने में इसके
ताज़े हरे पत्ते शरीर को तरावट देने के सर्वोत्तम
साधन हैं। रायते में पुदीने को पीस कर मिलाया जा
सकता है और ठंडे सूप में खीरे का जवाब नहीं। गरम
भोजन हो और पका कर खाना हो तो पुलाव और कवाब में
पुदीने की पत्तियाँ अनोखा स्वाद देती हैं। सुखा कर
भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। चाट मसाले, रायते
और फलों की चाट में पुदीने की सूखी पत्तियों का मोटा
चूरा अनोखा स्वाद देता है।
तेजपात :
तेजपात गरम मसाले
का प्रमुख अंग है। इसे सुखा कर प्रयोग में लाया जाता
है। छौंक के समय खड़े गरम मसाले की तरह जीरे और बड़ी
इलायची के साथ इसको तेल या घी में डालना चाहिए। हर
तरह के शोरबेदार शाकाहारी या मांसाहारी व्यंजन में,
प्याज़ अदरख लहसुन के मसाले वाली करी में और सूप व
दाल के छौंक में तेजपात का स्वाद करारा अहसास देता
है। पुलाव के छौंक में भी इसका प्रयोग भोजन में
सुगंध व स्वाद बढ़ाता है।
मेथी :
मेथी की सुगंध और
स्वाद भारतीय भोजन का विशेष अंग है। इन पत्तों को
कच्चा खाने की परंपरा नहीं है। आलू के साथ महीन महीन
काट कर सूखी सब्ज़ी या मेथी के पराठे आम तौर पर हर
घर में खाए जाते हैं। लेकिन गाढ़े सागों के मिश्रण
में इसका प्रयोग लाजवाब सुगंध देता है, उदाहरण के
लिए सरसों के साग, मक्का मलाई या पालक पनीर के पालक
में। गुजराती थेपलों में मेथी के निराले स्वाद से सब
परिचित हैं और मठरियों में मेथी का मज़ा भी अनजाना
नहीं। मेथी के पत्तों को सुखा कर भी प्रयोग में लाया
जा सकता है। मसाले के शोरबे में एक चुटकी सूखी
पत्तियों का चूरा स्वाद का कमाल दिखाता है। सूखी
सब्ज़ियों में यह चूरा गरम मसाले के साथ मिला कर बाद
में डालना चाहिए।
थाइम :
ऑलिव, लहसुन, प्याज
और टमाटर के साथ मटन में इसका प्रयोग स्वाद और सुगंध
के लिए किया जाता है। इसे सूप में भी मिलाया जा सकता
है। मटन के कीमे में बरीक कटी हरी मिर्च और नींबू के
छिलके के साथ इसकी पत्तियाँ मिला कर कबाब बनाए जा
सकते हैं। गोभी और मिश्रित सब्ज़ियों के पकौड़ों में
भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। तुलसी की पत्तियों
की तरह इसकी चाय सर्दी से बचाव करती है।
पार्सले :
मेथी की तरह पार्सले का प्रयोग आलू के साथ सब्ज़ी
बनाने में किया जा सकता है। महीन काट कर हर तरह के
सलाद में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है, सूखी
सब्ज़ियों में मिलाया जा सकता है और सूप में भी डाला
जा सकता है। भोजन की सजावट में धनिये की तरह इसका
इस्तेमाल होता है। उबले हुए आलू में ऑलिव आयल, चीज़
या मेयोनीज़ के साथ इसकी पत्तियों की महीन कतरन
बढ़िया सलाद बना सकती है। लहसुन के साथ भी इसकी
सुगंध मनभावन लगती है।
|
|
धनिया :
हरी सुगंधित पत्तियों की बात हो तो धनिये का नंबर
सबसे पहले आता है। हर तरह की सूखी और रसेदार
सब्ज़ी में परोसते समय मिलाने और सजावट करने में
धनिये की पत्तियों का इस्तेमाल होता है। धनिये की
चटनी हर भारतीय भोजन का मुख्य अंग है। आलू की चाट
और दूसरी चटपटी चीज़ों में इसको टमाटर या नीबू के
साथ मिलाया जा सकता है। सूप और दाल में बहुत महीन
काट कर मिलाने पर रंगत और स्वाद की ताज़गी़ अनुभव
की जा सकती है। हर तरह के कोफ्ते और कवाब में भी
यह खूब जमता है। इसकी पत्तियों को पका कर या सुखा
कर नहीं खाया जाता क्यों कि ऐसा करने पर वे अपना
स्वाद और सुगंध खो देती हैं।
मीठी नीम :
मीठी नीम की हरी
पत्तियाँ हर दक्षिण भारतीय भोजन की जान हैं। आमतौर
पर इनको छौंक के समय साबुत प्रयोग में लाया जाता
है। पोहे, उपमा, सांभर या मांसाहारी शोरबे में
इनका प्रयोग काफी लोकप्रिय है। इन्हें पीस कर दही
के साथ मिला कर स्वादिष्ट छाछ भी बनाया जाता है।
नारियल के दूध का शोरबा बनाते समय इन्हें पीस कर
मिलाया जा सकता है। फ्रिज में पोलीथीन के बैग में
इन्हें लंबे समय तक रखा जा सकता है। इन्हें सुखा
कर बोतल में बंद कर के भी रखा जा सकता है। बाद में
साबुत या चूरे के रूप में इनका प्रयोग किया जा
सकता है।
सेज :
मांसाहारी भोजन
में सेज की सुगंध स्वाद को भी बढ़ा देती है।
व्यंजन पूरा पक जाने के बाद इसको महीन महीन काट कर
मिलाना चाहिए। टमाटर के साथ सलाद में और चीज़ के
साथ इसका स्वाद निराला होता है। इसलिए भारतीय भोजन
में पनीर के भरवा टमाटरों में सेज की सुगंध बड़ी
अच्छी लगती है। इसको सलाद में महीन काट कर मिलाया
जा सकता है और पराठों में भी इसका प्रयोग हो सकता
है। उबले हुए आलू के भुर्ते में ढेर से सेज की
महीन कतरी हुई पत्तियाँ भी स्वादिष्ट लगती हैं और
कद्दू की सूखी या रसेदार सब्ज़ी के साथ भी इसकी
जोड़ी जमती है।
बासिल :
अपनी सुगंध और
कोमलता के कारण सलाद में इसका काफी प्रयोग होता
है। हर तरह के पास्ता और सलाद में इनका प्रयोग
प्रमुखता से होता है। सफ़ेद रंग के हर्बल सॉस में
चीज़ के साथ इसका प्रयोग होता है। मशरूम, टमाटर और
अंडे के व्यंजनों में भी इसकी सुगंध अच्छी लगती
है। भारतीय भोजन में मक्के के दानों की सब्ज़ी,
उबले हुए आलू के भुर्ते और मिश्रित सागों में इसका
प्रयोग अच्छा लगता है।
ओरेगॅनो :
तेज़ और कड़क स्वाद वाला यह पत्ता ताज़ा या सूखा,
दोनों तरह का बराबरी से उपयोग में लाया जाता है।
पिज़ा और गार्लिक ब्रेड में इसका स्वाद सारी
दुनिया में पहचाना जाता है। पास्ता के हर प्रकार
के सॉस और सूखी सब्ज़ियों में इसका प्रयोग किया जा
सकता है। पराठों और पूरियों में भी
ऑरगेनो की सुगंध
अच्छी लगती है।
दीपिका जोशी
१ अगस्त २००४ |