ओस्लो
में पार्लियामेन्ट ट्राम स्टेशन के बाहर एक युवती नशे में
धुत एक मुँडेर पर कॉफी का एक खाली कागजी कप लिए बैठी थी।
उसने माँगने के भाव से पूछा, 'हार दू स्मो पेंगेर'?
(तुम्हारे पास छोटे सिक्के हैं?)
'या बारे स्मो पेंगेर।' (हाँ केवल छोटे सिक्के।) कहकर मैने
अपनी जेब से बटुआ निकाला और एक क्रोन का सिक्का उसके पास
रखे खाली काफी–कप में डाल दिया। उसने अजीब से कॉफी कप में
टटोलकर सिक्का निकालते हुए, ‘बारे एन क्रोन’ (केवल एक
क्रोन) कहकर उसने सिक्का कप से बाहर निकाला और बाहर लुढ़का
दिया। सिक्का लुड़कता हुआ पास खड़े बात कर रहे दो आदमियों
में से एक आदमी के जूते से टकराया जो अपने दोनो
हाथ पैन्ट की जेब में डाले हुए था।
उस आदमी ने सोचा कि यह सिक्का उसकी जेब से गिरा है अत:
उसने सिक्का उठाकर अपनी जेब में रख लिया और वह आदमी पुनः
अपने साथी के साथ बात करने में मग्न हो गया।
उस युवती नें बड़े आश्चर्य से उसे देखा और कहा, ‘फान’
(धत्तेरे की)। उसे देखकर मेरे मुख में मुस्कान भर आयी। एक
और युवती पास खड़ी यह नज़ारा देख रही थी। वह भी मुस्करा रही
थी। मैं उसे देखकर कुछ कहता कि उसने मुझसे कहा कि मैने एक
को नहीं दो को दान दिया है।
मैं मुस्कराता हुआ आगे बढ़ गया।
२४ जुलाई २००४ |