जन्म लेते ही मनुष्य रो कर विश्व को अपनी यह
अभिव्यक्ति प्रस्तुत करने का प्रयास करता है कि अब, आज से, जगत में उसका भी कोई
अस्तित्व है, अभिव्यक्ति का यह प्रयास उसके महा प्रयाण तक जारी रहता है। इस बीच वह
अपने पल-पल के विचारों, संवेदनाओं को विविध तरीक़े से लोगों के बीच पहुँचाने का
कार्य करता है। इंटरनेट पर उपलब्ध तमाम तरह की तकनालॉजी के बीच ब्लॉग भी अपनी
अभिव्यक्ति को प्रदर्शित करने का एक नया सशक्त माध्यम है जो तेज़ी से लोकप्रियता के
नए आयामों को तोड़ता प्रगति पथ पर अग्रसर है।
ब्लॉग क्या है?
'ब्लॉग' वेब-लॉग का संक्षिप्त रूप है, जो अमरीका में '१९९७' के दौरान इंटरनेट में
प्रचलन में आया। प्रारंभ में कुछ ऑनलाइन जर्नल्स के लॉग प्रकाशित किए गए थे, जिसमें
जालघर के भिन्न क्षेत्रों में प्रकाशित समाचार, जानकारी इत्यादि लिंक होते थे, तथा
लॉग लिखने वालों की संक्षिप्त टिप्पणियाँ भी उनमें होती थीं। इन्हें ही ब्लॉग कहा
जाने लगा। ब्लॉग लिखने वाले, ज़ाहिर है, ब्लॉगर कहलाने लगे। प्राय: एक ही विषय से
संबंधित आँकड़ों और सूचनाओं का यह संकलन ब्लॉग तेज़ी से लोकप्रिय होता गया। ब्लॉग
लिखने वालों के लिए प्रारंभिक दिनों में कंप्यूटर तकनॉलाजी के कुछ विषय मसलन
एचटीएमएल भाषा का जानकार होना आवश्यक था। परंतु इसमें संभावनाओं को देखते हुए ब्लॉग
लिखने और उसको प्रकाशित करने के लिए कुछ जालघरों ने मुफ़्त और अत्यंत आसान औज़ार
उपलब्ध किए जिसमें ब्लॉग लिखने के लिए आपको कंप्यूटर प्रोग्रामिंग भाषाओं का ज्ञान
आवश्यक नहीं होता है। इस कारण, देखते ही देखते '१९९७-९८' के महज़ दर्जन भर ब्लॉग को
बढ़कर दस लाख से अधिक का आँकड़ा पार करने में महज़ चार साल लगे। फिर ब्लॉग, विश्व
की हर भाषा में, हर कल्पनीय विषय मैं लिखे जाने लगे। ब्लॉग को विश्व के आम लोगों
में भारी लोकप्रियता तब मिली जब अफ़गानिस्तान पर अमरीकी हमले के दौरान एक अमरीकी
सैनिक ने अपने नित्यप्रति के युद्ध अनुभव को ब्लॉग पर नियमित प्रकाशित किया। उसी
दौरान एंड्रयू सुलिवान के ब्लॉग पृष्ठ पर
आठ लाख से अधिक लोगों की उपस्थिति दर्ज की गई, जो संबंधित विषयों के कई तत्कालीन
प्रतिष्ठित प्रकाशनों से कहीं ज़्यादा थी। एंड्रयू अपने ब्लॉग के मुख पृष्ठ पर
लिखते भी हैं - क्रांति ब्लॉग में दर्ज होगी, अब तो कुछ ऐसे ब्लॉग भी है जो इतने
ज़्यादा लोकप्रिय है कि इनका सिंडिकेशन किया जाता है।
ब्लॉग जालघर के साथ क्यों है?
ब्लॉग जैसी परिकल्पना जालघर में ही आकार ले सकती
थी, चूँकि जालघर सूचनाओं का संसार है। ऊपर से ब्लॉग लिखने और उन्हें प्रकाशित करने
के लिए किसी प्रकार के अलग से इन्फ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता नहीं थी। जो तकनॉलाजी
मौजूद थी उसी का उपयोग कर ब्लॉग परिकल्पना को साकार किया गया। मगर बाद में इसकी
अपार संभावना और लोकप्रियता को देखते हुए कई वेब सेवाओं ने नए और तरह-तरह के मुफ़्त
औज़ार तथा वेब पृष्ठ उपलब्ध किए जिससे इसके फैलाव में मदद मिली। शीघ्र ही, सिर्फ़
ब्लॉग के लिए विशिष्ट जालघरों का निर्माण हो गया जिसमें
ब्लॉगर,
पिटास,
मूवेबल टाइप तथा
रेडियो यूज़र लैंड सहित तमाम अन्य जालघर भी
है। यहाँ तक कि बहुत-सी मौजूदा जालघरों नें, जैसे कि न्यूयार्क टाइम्स और द
गॉर्जियन जैसे प्रकाशनों ने भी अपने उपयोगकर्ताओं तथा स्तंभ लेखकों हेतु अपने
जालघरों में ब्लॉग के लिए विशेष व्यवस्थाएँ की हैं।
ब्लॉग के फ़ायदे
राजेंद्र यादव ने हंस, 'जुलाई
२००४' के संपादकीय
में बड़े ही मज़ेदार तरीक़े से, चुटकियाँ लेते हुए, हिंदी साहित्य संसार के प्राय:
सभी नए-पुराने समकालीन लेखकों/कवियों के बारे में टिप्पणियाँ की है कि किस प्रकार
लोग अपनी छपास की पीड़ा को तमाम तरह के हथकंडों से कम करने की नाकाम कोशिशों में
लगे रहते हैं। वे आगे कहते हैं कि दिल्ली जैसी जगह से ही हंस जैसी कम से कम '१०
पत्रिकाएँ' निकलनी चाहिए। ज़ाहिर है, लेखकों-लेखिकाओं की लंबी कतारें हैं और उन्हें
अपनी अभिव्यक्ति को व्यक्त करने का कोई माध्यम ही नहीं मिल रहा है। ऐसे में जालघर
के व्यक्तिगत वेब पृष्ठ और ब्लॉग के अलावा दूसरा बढ़िया रास्ता और कोई नहीं हैं।
ब्लॉग के फ़ायदों की सूची यों तो लंबी है, पर कुछ मुख्य बातें ये हैं -
- ब्लॉग प्राय: व्यक्तिगत उपयोग हेतु हर एक को
मुफ़्त में उपलब्ध है।
- ब्लॉग के द्वारा आप किसी भी विषय में, विश्व की किसी भी (समर्थित) भाषा में अपने
विचार प्रकट कर सकते हैं, जो जालघर में लोगों के पढ़ने हेतु हमेशा उपलब्ध रहेगा।
उदाहरण के लिए, यदि आप कहानियाँ लिखते हैं, तो एक ब्लॉग कहानियों का प्रारंभ करिए,
उसमें अपनी कहानियाँ नियमित प्रकाशित करिए, बिना किसी झंझट के, बिना किसी संपादकीय
सहमति या उसकी कैंची के और अगर लोगों को आपकी कहानियों में कुछ तत्व और पठनीयता
नज़र आएगी, तो वे आपकी ब्लॉग साइट के मुरीद हो जाएँगे और हो सकता है कि आपके ब्लॉग
को एंड्रयू सुलिवान के ब्लॉग से भी ज़्यादा पाठक मिल जाएँ।
- आपके ब्लॉग पर पाठकों की त्वरित टिप्पणियाँ भी मिलती है जो आपके ब्लॉग की धार को
और भी पैना करने में सहायक हो सकती है।
- ब्लॉग का उपयोग कंपनियाँ अपनी उत्पादकता बढ़ाने, नए विचारों तथा नए आइड़ियाज़
प्राप्त करने में भी कर रही हैं, जहाँ कर्मचारी अपने विचारों का आदान-प्रदान बिना
किसी झिझक के साथ कर सकते हैं।
हिंदी के ख़ास ब्लॉग
हिंदी भाषा में ब्लॉग की संभावना तब तक क्षीण थी,
जब तक कि यूनिकोड फ़ॉन्ट आधारित कोई ब्लॉग साइट उपलब्ध न हो जाती। दरअसल, यूनिकोड
के अलावा हिंदी के किसी भी अन्य फ़ॉन्ट में किए गए कार्य एक प्रकार से अंग्रेज़ी
फ़ॉन्ट के विस्तार मात्र होते हैं, अत: वेब पर, जहाँ कि इंडेक्सिंग और सॉर्टिंग
(अनुक्रम और छँटाई) के बग़ैर काम ही नहीं चलता, हिंदी के अन्य फ़ॉन्ट्स में बनाए गए
ब्लॉग्स का दायरा सीमित ही होता। उदाहरण के लिए, गूगल खोज साइट पर जालघर में
यूनिकोड हिंदी में ढूँढ़ना अत्यंत आसान है, परंतु हिंदी के अन्य फ़ॉन्ट्स पर आप कुछ
ख़ास ढूँढ़ पाने में असमर्थ होते हैं, क्यों कि आपको अक्सर यह भान नहीं होता कि वे
हिंदी के किस फ़ॉन्ट का उपयोग कर लिखे गए हैं। हालाँकि, शुषा जैसे फ़ॉन्ट्स के
उपयोग हिंदी साहित्य भारत की अन्य भाषाओं में यदा कदा कुछ ब्लॉग साइटें मिल जाएँगी,
परंतु वे भी गिनती के हैं। ऊपर से, हिंदी यूनिकोड समर्थन सिर्फ़ नए ऑपरेटिंग सिस्टम
यथा 'विंड़ोज़ २०००/एक्सपी' तथा उसके बाद के संस्करणों में तथा लिनक्स के 'सन
२००३'
के बाद के संस्करणों में ही उपलब्ध हो पाया है, अत: हिंदी ब्लॉग अभी भी शैशवावस्था
में ही है, फिर भी, इस माध्यम की संभावनाओं को देखते हुए यह माना जा सकता है कि
हिंदी ब्लॉग भी अपने अंग्रेज़ी अवतरण की तरह तेज़ी से लोकप्रिय होगा।
हिंदी के प्रथम ब्लॉग साइट का श्रेय बैंगलोर
निवासी के ब्लॉग नौ दो ग्यारह
(वे अपने ब्लॉग को चिठ्ठा कहते हैं) को है, जिसमें वे पिछले कुछ वर्षों से अपने
कंप्यूटर जगत के तकनीकी तथा अन्य व्यक्तिगत अनुभवों को नियमित लिखते हैं। इंदौर के
देबाशीश के ब्लॉग नुक्ता चीनी भी
मिश्रित ब्लॉग है जिसमें फ़िल्मी पैरोड़ी से लेकर तकनीकी ज्ञान का समावेश है। रवि
रतलामी का हिंदी ब्लॉग इसी नाम से है जिसमें वे सामयिक समस्याओं पर उँगली उठाते हुए
अपनी ग़ज़लों को भी प्रकाशित करते हैं। हिंदी के प्रमुख ब्लॉग और उनकी ताज़ा
पोस्टिंग के बारे में देबाशीश ने माइजावासर्वर पर हिंदी का पृष्ठ
चिठ्ठा विश्व बनाया है, जहाँ हिंदी ब्लॉगर्स के परिचयों के साथ ही ताज़ा
ब्लॉग्स के सारांश (पूरे ब्लॉग के लिंक सहित) पढ़ने को मिलते हैं। इसी प्रकार
वेबरिंग पर भी
हिंदी चिठ्ठाकारों की
जालमुद्रिका है। वेबरिंग जालघर पर ऐसा प्रकल्प है जहाँ एक ही प्रकार के ब्लॉग्स
आपस में लिंक किए हुए होते हैं, जिससे जालघर के महा जाल में एक जैसी चीज़ों को
आसानी से ढूँढ़ने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, इसमें जहाँ आप इंडियन ब्लॉगर्स
का वेबरिंग भी पाएँगे, तो आने वाले समय में हो सकता है कि आपको सिर्फ़ हिंदी
गीतकारों का वेबरिंग भी मिल जाए।
हिंदी में ब्लॉग कैसे लिखें?
अब ब्लॉग लिखना उतना ही सरल है जितना किसी वेब
आधारित ई-मेल के द्वारा लिखना और उसे भेजना। यहाँ फ़र्क सिर्फ़ यह होता है कि आप
अपने ब्लॉग को किसी ई-मेल पते पर भेजने के बजाय प्रकाशित करते हैं। समस्या सिर्फ़
हिंदी यूनिकोड फ़ॉन्ट और हिंदी कुंजीपटल को लेकर आती हैं। हिंदी में ब्लॉग लिखने के
लिए आपको किसी ऐसे जालघर पर पंजीकृत होना होगा जो यूनिकोड ब्लॉग स्वीकारते हैं,
उदाहरण के लिए,
ब्लॉगर.कॉम जो कि ब्लॉग के लिए
लोकप्रिय साइटों में से एक है, में पूर्ण हिंदी समर्थन उपलब्ध है। यही नहीं, इसके
द्वारा आप ई-मेल के ज़रिए भी अपने ब्लॉग्स प्रकाशित कर सकते हैं। जैसे आप याहू ईमेल
हेतु पंजीकृत होते हैं उसी प्रकार ब्लॉगर.कॉम में भी अपने बारे में कुछ विवरणों को
दर्ज़ कर पंजीकृत होना होगा। आपको एक उपयोगकर्ता नाम तथा पासवर्ड दिया जाएगा जिसकी
सहायता से इस साइट पर आप लॉगइन होकर अपने लॉग का संपादन प्रकाशन कर सकेंगे। यह साइट
आपको पूर्वनिर्धारित टैम्लेट्स के उपयोग की अनुमति तो देता ही है, अगर आप उन्नत
उपयोगकर्ता है, तो अपने खुद के डिज़ाइन किए पृष्ठ पर भी ब्लॉग प्रकाशित कर सकते
हैं। जहाँ ब्लॉग लिख कर उसे प्रकाशित के लिए कुछ औज़ार भी उपलब्ध है जैसे कि
ब्लॉगएक्स्प्रेस और ब्लॉगविज़ार्ड तो ब्लॉग पढ़ने के लिए भी कुछ औज़ार है जैसे कि
ब्लॉगरीडर। हालाँकि सामान्य ब्लॉग उपयोग में इनकी आवश्यकता नहीं ही पड़ती है।
हिंदी में ब्लॉग लिखने के लिए,
अगर आप पहले से ही यूनिकोड हिंदी उपयोग करते हैं, तब तो कोई समस्या ही नहीं है।
परंतु अगर आपके कंप्यूटर पर यूनिकोड पढ़ने लिखने का समर्थन उपलब्ध नहीं है जिसे कि
विंड़ोज़ ९८/
लिनक्स २००३ तथा इसके पूर्व के संस्करणों में, तब यह समस्या हल करने में थोड़ीसी
मुश्किलें आएँगी। अच्छा यह होगा कि आप विंडोज़ एक्सपी का नया संस्करण या लिनक्स में
गनोम २.६ या केडीई ३.२ का प्रयोग करें जिसमें हिंदी यूनिकोड उपयोग करने की
अंतनिर्मित सुविधा है। अगर आप पहले से ही हिंदी भाषा का कोई अन्य कुंजीपटल उपयोग कर
रहे हैं, तो भी आपको कोई समस्या नहीं है। माइक्रोसोफ्ट का हिंदी ऑफ़िस आपको आपके
अपने ही हिंदी कुंजीपटल चाहे कृति देव हो, शुषा हो, फ़ोनेटिक हो या हिंदी
पारंपारिक, किसी भी कुंजीपटल के उपयोग से यूनिकोड हिंदी में लिखने की सुविधा प्रदान
करता है। अब आप अपने हिंदी में लिखे हुए पाठ को काटिए या प्रतिलिपि करिए तथा ब्लॉग
साइट पर चिपका कर उसे प्रकाशित कर दीजिए। बस! और फिर इंतज़ार कीजिए आपकी प्रकाशित
अभिव्यक्ति पर जालघर के पाठकों की प्रतिक्रियाओं का। आपकी जानकारी के लिए आपको यह
भी बता दें कि अब अच्छे ब्लॉग्स के लिए पुरस्कार भी प्रदान किए जाते हैं। पिछले
दिनों चेन्नई में भारतीय ब्लॉगर्स की भेंट आयोजित की गई जिसमें कुछ अच्छे ब्लॉग्स
को पुरस्कृत किया गया। जाल पर भी ब्लॉग को उसकी प्रसिद्धि और पठन के हिसाब से
रैंकिंग दिए जाने लगे हैं।
हिंदी ब्लॉग से संबंधित आपकी प्रतिक्रियाओं का
इंतज़ार तो रहेगा ही, इससे ज़्यादा इस बात की अपेक्षा रहेगी कि आप भी यथा शीघ्र
अपना ब्लॉग हिंदी में प्रारंभ करें जिससे यह माध्यम भी हिंदी-संपन्न बन सके। आपको
ढेऱों ब्लॉग शुभकामनाएँ!
२४ जुलाई २००४
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