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पिछले
सप्ताह
साक्षात्कार
में
मधुलता अरोरा की बातचीत
असग़र
वजाहत के साथ
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आज
सिरहाने
अभिनव शुक्ल का कविता संग्रह
अभिनव
अनुभूतियां
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साहित्य
समाचार में
रवीन्द्रनाथ त्यागी स्मृति
व्याख्यान माला
मीडिया के
बदलते सरोकार
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हास्य व्यंग्य में
गुरमीत सेठी का व्यंग्य
सपने
में साक्षात्कार
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उपन्यास
अंश में
भारत से असग़र वजाहत के
उपन्यास
'कैसी आग लगाई' का अंश
राजधानी
में हार
दफ्तर के
चपरासियों से लेकर हर राह चलता आदमी बस दूसरे
का अपमान करना चाहता है। वह आपके कपड़े देखता है और
आपकी दो टके की इज्ज़त को पहचान लेता है, और
अपमान कर देता है। बात 'तू' से शुरू होती है और
मारपीट तक आ जाती है। कोई किसी के पचड़े में नहीं
पड़ना चाहता और ताकतवर हमेशा कमज़ोर पर झपटता है।
कमज़ोरों का नरक है यह शहर . . .लानत है इस पर . .
.यार यहां कौन लोग बसते हैं, समझ में नहीं
आता। किसी को किसी से, अपने अलावा, न लेना है
न देना है। न किसी को शहर से लगाव है न मोहल्ले
से प्यार है। मैं यहां क्यों हूं? और क्या कर रहा
हूं? लानत है इस सब पर।
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फुटबॉल
विशेषांक
साहित्य
संगम में
पद्मा सचदेव की डोगरी कहानी का
हिंदी रूपांतर
फुटबॉल
सामान पैक करके
वह बोला, "आप ज़रा रूकिए, मैं अभी
आया।" यह कह कर वो भीतर चला गया। बाहर आया
तो
उसके हाथ में एक फुटबॉल था। उसने उसमें हवा भरी
और फिर फ़र्श पर टप्प से उछाल कर जांचने लगा एकदोतीन।
मुझे लगा वह हमें भूल कर खुद फुटबॉल
खेलने लगा है। फिर उसने फुटबॉल को ऊपर उछाल कर कैच किया
और हाथ में पकड़ लिया फिर हंस कर बोला, "यह
बिलकुल ठीक है।" अब वो फुटबॉल को हाथ में लेकर साफ़
कर रहा था, फिर भी तसल्ली न हुई तो वह अपनी कमीज़ के
अगले हिस्से के कोने के साथ बड़े प्यार से फुटबॉल
रगड़ने लगा जैसे पॉलिश कर रहा हो।
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हास्य व्यंग्य में
पत्नियों को रविशंकर श्रीवास्तव
की टीप
मैच
के समय ध्यान रखें
°
दृष्टिकोण
में
फुटबॉल पर ओशो के विचार
सभ्य
समाज की हिंसा का निकास
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सामयिकी
में
अर्बुदा ओहरी से रोचक जानकारी
फुटबॉल
की दुनिया
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फुलवारी
में
फुटबॉल से संबंधित जानकारी,
रंग भरने के लिए
चित्र,
शिशुगीत
और शिल्पकोना
खिलाड़ी फुटबॉल का
सप्ताह का
विचार
मनुष्य
अपना स्वामी नहीं, परिस्थितियों का दास है।
भगवतीचरण वर्मा
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नीलम श्रीवास्तव
के गीत, माह के कवि ओम प्रकाश चतुर्वेदी 'पराग', धर्मेंद्र
पारे की कविता व ग़ज़लों में ढेर सी रचनाएं
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° पिछले अंकों
से °
कहानियों में
यादों
के गुलमोहरशैल अग्रवाल
गुलमोहरडॉ शांति देवबाला
शहादतसुषमा जगमोहन
भाई
साहबगिरीश पंकज
ठूंठऋषि कुमार शर्मा
मां
आकाश हैगिरिराज किशोर
°
हास्य
व्यंग्य में
है
किसी का नाम गुलमोहरअनूप शुक्ल
राम! पढ़ मत, मत पढ़डा प्रेम जनमेजय
आरक्षित
भारत रविशंकर
श्रीवास्तव
जब मैने आदमीअभिरंजन कुमार
°
प्रकृति
में
अर्बुदा ओहरी का तथ्यों से भरपूर आलेख
लाल
फूलों वाला गुलमोहर
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ललित
निबंध में
पूर्णिमा वर्मन के साथ साहित्य की गली में
गुलमोहर दर गुलमोहर
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नाटक
में
मथुरा कलौनी की संवेदनशील
प्रस्तुति
संदेश
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मंच
मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में
प्रभो
उनको काले नाग से बचाए
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चिठ्ठापत्री में
चिठ्ठापंडित की पैनी नज़र
मई महीने के चिठ्ठों पर
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संस्मरण में
रामप्रकाश सक्सेना का आलेख
पुण्य का काम
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