पिछले
सप्ताह
हास्य
व्यंग्य में
अतुल चतुर्वेदी की रचना
पुलिसियाने
में क्या हर्ज़ है
°
प्रौद्योगिकी
में
रमण कौल समझा रहे हैं कि कैसे
चेन
मेल की चेन खींच दें
°
पर्यटन
में
सूरज जोशी का यात्रा
विवरण
न्यूज़ीलैंड
का
नैसर्गिक
सौंदर्य
°
परिक्रमा
में
बृजेश
कुमार शुक्ला का
आलेख
नये कीर्तिमान
°
कहानियों में
भारत से वीना विज उदित की कहानी
मोहभंग
डॉक्टरों ने कह
दिया था कि जिन्हें आप बुलाना चाहते हैं, बुला लें . .
.बचने की उम्मीद नहीं है। सो प्रवेश ने रोते हुए सब
रिश्तेदारों व अपनो को फ़ोन कर दिए थे। गिन्नी ने
ड्रॉइंगरूम का फर्नीचर उठवा दिया दरियां बिछवा दीं। सबके
बच्चे इकट्ठे होकर धमाचौकड़ी मचा रहे थे। प्रवेश व
उसके कुछ दोस्तों ने खाने का व बिस्तरों का इंतज़ाम अपने
ज़िम्मे लिया। आख़ीरकार इतने लोगों को संभालना भी तो
था। पापा, अनन्या व दोनों भाई भी वहीं थे। तीसरी रात आ
चली थी, नीता को होश नहीं आया था। और डॉक्टर सलाह
मशवरा करने पहुंच गए थे। बोले कि बौडी रिसपौंड नहीं
कर रही है।
ईश्वर का जाप चल रहा था। लोगों की भीड़ बढ़
रही थी।
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इस
सप्ताह
कहानियों में
भारत से उषा महाजन की कहानी
बचपन
उन्होंने बच्ची को
उत्साह में भरकर देखा था कि नये फ्रॉक के बाद,
साबुन की नयी टिकिया, दूसरे नये कपड़ों और
बालों के लिए बढ़िया क्लिपों के मिलने का
सुनकर लड़की की क्या प्रतिक्रिया होती है। लेकिन बच्ची
के निर्विकार, निरपेक्ष चेहरे पर वे कुछ भी मनचाहा
नहीं पढ़ पाई थीं और मन ही मन कुढ़ी थीं, 'ये
गरीब लोग भी कितने घुन्ने हो गए हैं आजकल!
अभी ज़रासी है और चालाकी का आलम यह कि भनक
भी नहीं लगने दे रही कि इतना सब मिल रहा है
उसे यहां, कब सोची थी उसने या उसकी काकी ने खासी पगार,
बढ़िया खानापीना, साबुनतेल,
कपड़ा लता, कंघा आइना सब।
°
हास्य
व्यंग्य में
डा
नरेन्द्र कोहली की रचना
लंदन का कोट
°
ललित
निबंध में
डॉ श्रीराम परिहार का आलेख
सम्मान
के चीते पर सवार
°
फुलवारी
में
स्वीडन, नीदरलैंड और नॉव से पहचान
साथ ही शिल्प कोना में
फोटो
फ्रेम में सजाएं गैंडा
°
साहित्य
समाचार में
नयी दिल्ली में धूमधाम से मनाया गया
चतुर्थ
प्रवासी
हिंदी उत्सव
सप्ताह का
विचारं
बिना
जोश के आज तक कोई भी
महान कार्य नहीं हुआ।
सुभाष चंद्र बोस
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अनुभूति
में
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इस माह के कवि
में
श्वेता गोस्वामी,
दिशांतर में फ़िजी से
जैनन प्रसाद और
नयी हवा में
स्मिता दारशेतकर
की नयी कविताएं
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° पिछले अंकों
से °
कहानियों में
बच्चाज्ञानप्रकाश विवेक
बाज़ार
बाज़ारराजनारायण
बोहरे
पासपोर्ट
के रंगतेजेन्द्र शर्मा
पापा
तुम कहां होअलका प्रमोद
गर्म
कोटराजेन्द्रसिंह बेदी
संदेसे
आते हैंसुषमा जगमोहन
°
हास्य
व्यंग्य में
गधा
विवाद में नहीं पड़तागुरमीत बेदी
शकुनी
मामारामेश्वर कांबोज 'हिमांशु'
नया साल मुबारक होडा
नरेन्द्र कोहली
काश
दिल घुटने में होताराजर्षि अरूण
°
संस्कृति
में
मीरा सिंह बता रही हैं कि कैसे उठती है
तुलसी की डोली
°
चिट्ठापत्री
में
चिठ्ठा पंडित के नए पंचांग से
दिसंबरी
चिठ्ठे
°
साहित्यिक
निबंध में
देवेन्द्रराज अंकुर का आलेख
गली गली में नुक्कड़
नाटक
°
सामयिकी
में
सन 2006 के पर्वों की
जानकारी के लिए
पर्व
पंचांग
°
मंच
मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में
रेल में चलता है
पर इतना
नहीं चलता
° रसोईघर
में
माइक्रोवेव अवन में तैयार करें
भरवां
टमाटर
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