पिछले
सप्ताह
हास्य
व्यंग्य में
गोपाल चतुर्वेदी बता रहे हैं
देश
का विकास जारी है
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साहित्यिक
निबंध में
मिथिलेश श्रीवास्तव का आलेख
कला
में आज़ादी के सपने
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रचना
प्रसंग में
आर पी शर्मा 'महर्षि' के धारावाहिक 'ग़ज़ल लिखते समय' का
सत्रहवां भाग
मराठी
ग़ज़लों में छंद1
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उपहार
में
जन्मदिन की शुभकामनाएं
जन्मदिवस
मंगलमय होवे
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कहानियों में
यू एस ए से राम गुप्ता की
कहानी
शौर्यगाथा
जब उमड़घुमड़
कर कजरारे बादल छा जाते हैं, लोग चौपाल पर जमा
हो कर नगाड़े की चोट पर आल्हा अलाप उठते हैं। जैसेजैसे
बादलों का गर्जन बढ़ता है वैसेवैसे ही उनकी
तान ऊंची उठती जाती है, यहां झमझम कर बौछारें
हो रही होती हैं वहां सुनने वाले पूरे जोश में
भरे आल्हा के शौर्य में डूब उतरा रहे होते हैं। परमाल के समकालीन थे
दिल्ली के सुप्रसिद्ध नरेश महारथी पृथ्वीराज चौहान।
पृथ्वीराज चौहान का राजकवि चंदवरदायी प्रसिद्ध है
जिसने "पृथ्वीराज रासो" की रचना की।
चंदेलों का राजकवि जगनीक, चंदवरदायी की ही टक्कर का
था, जिसने आल्हा काण्ड की रचना की।
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इस
सप्ताह
कहानियों में
भारत से कमलेश भट्ट कमल की
कहानी
चिठ्ठी
आई है
प्लेटफ़ार्म
पर मैंने ही मक्खन को देखा था। यानी मेरी चिठ्ठी
मक्खन को मिल गई थी। मक्खन अपनी सरकारी गाड़ी ले
आया था
अर्दली भी साथ था। अर्दली ने लपक कर मेरा सामान
ले लिया था। मुझसे हाथ मिलातेमिलाते मक्खन
ने कुछ इस तरह से गले लगाकर बांहों में कस लिया
कि कुछ क्षण के लिए मैं कसमसाकर रह गया। दोहरी काठी
के मक्खन की इस 'परपीड़' में उसकी
आत्मीयता
रचीबसी थी। "पी .के .मैं यह नहीं पूछूंगा कि
तुम्हारी यात्रा कैसी रही।" गाड़ी की सीट पर बैठते
हुए उसने एक खास अंदाज़ में यह बात कही। "लगता है
गांव का असर अभी बाकी है। पी .के .नहीं प्रवीण कुमार
कहो।" हम
दोनों का समवेत ठहाका एक साथ
गूंजा।
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हास्य
व्यंग्य में
महेश द्विवेदी का व्यंग्य
जिसे
मुर्दा
पीटे
उसे
कौन
बचाए
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रचना
प्रसंग में
आर पी शर्मा 'महर्षि' के धारावाहिक 'ग़ज़ल लिखते समय' का
अंतिम भाग
मराठी
ग़ज़लों में छंद2
°
प्रकृति
और पर्यावरण में
आशीष गर्ग बता रहे हैं
अब
बनेंगी जूट की सड़कें
°
प्रौद्योगिकी
में
रविशंकर श्रीवास्तव की सलाह
ब्लागिंग
छोड़ें
पॉडकास्टिंग करें
सप्ताह का विचार
विचारकों
को जो चीज़ आज स्पष्ट दीखती है दुनिया उस पर कल अमल
करती है। विनोबा
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अनुभूति
में
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वर्षा महोत्सव
जारी है हर रोज नयी वर्षा कविताओं
के साथ
आपकी रचनाएं भी सादर आमंत्रित हैं
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° पिछले अंकों
से °
कहानियों में
प्रश्ननीलम
जैन
सुहागनविजय
शर्मा
चीजू
का पातालप्रमोद कुमार तिवारी
गुनहगारसुषम बेदी
फर्कसूरज
प्रकाश
मुक्तिप्रत्यक्षा
°
हास्य
व्यंग्य में
कुतुबमीनारडा नरेन्द्र कोहली
कुताअरूण राजर्षि
प्रवासी
से प्रेमडा प्रेम जनमेजय
हे निंदनीय व्यक्तित्वअशोक
स्वतंत्र
°
मंच
मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में
अंतिम
विदाई हो तो ऐसी
°
बड़ी
सड़क की तेज़ गली में
अतुल अरोरा के साथ
एन
आर आई होने का अहसास
°
रसोईघर
में
पुलावों की सूची में नया
व्यंजन
ज़ाफ़रानी
पुलाव
°
दृष्टिकोण
में
महेशचंद्र द्विवेदी का
मन्थन
आस्तिकता
या नास्तिकता
°
फुलवारी
में
आविष्कारों
की नयी कहानियां
और शिल्पकोना में बनाएं
बाघ
का नया मुखौटा
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