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पिछले
सप्ताह
नगरनामा
में
लंदन का नगर वृत्तांत सुधेश की
यात्रा डायरी से
लंदन
की चकाचौंध
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ब्रिटेन
में हिन्दी
के अंतर्गत उषाराजे सक्सेना के आलेख
का तीसरा भाग
भारतीयों
के बीच हिन्दी
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मंच
मचान में
डा अशोक चक्रधर का अगला संस्मरण
टोटके
और उनके घोटके
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फुलवारी में
आविष्कारों की कहानी के अंतर्गत
इत्र,
काग़ज़स्याही, मेकअप
और शिल्प कोना में बनाया जाए
पुस्तक
चिह्न
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कहानियों में
भारत से सुकेश साहनी की कहानी
पेन
उसके अभ्यस्त हाथों ने
ईटों के नीचे किसी गुप्त खाने में छिपाकर रखा सामान बहुत जल्दी
ढूंढ़ निकाला। डॉक्टर ने पेन और डायरी उससे ले ली। अब वे
गंभीर थे। पहले उनका अनुमान था कि हो सकता है बीमार उन्हें
मूर्ख बना रहा हो पेन के नाम पर लकड़ी की डंडीपकडा दे,
डायरी के नाम पर कोई फटापुराना कागज। पागलखाने में इस तरह
की हरकतें रोगी अक्सर करते रहते हैं, पर उनका अनुमान गलत निकला।
उन्होंने बहुत सावधानी से दोनों चीजें अपनी जेब में रख
लीं। पांच नम्बर सेल में बंद
पागल बहुत आशा भरी नजरों से उनकी ओर देख रहा था। डॉक्टर चलने को हुआ तो पागल ने
उनकी कमीज पकड़ ली।
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इस
सप्ताह
कहानियों में
भारत से तरूण भटनागर की कहानी
धूल
की एक परत
एक सपना जो अब कुंवरजी
की आंखों में नहीं है, जो अब रानी के भीतर खदबदाता
है। पूरे हक के साथ देखा गया सपना, 'हमारी चंदई'
वाला सपना, जिस पर अब घास उग आई है, दरारें पड़
गई हैं। सपना जो अचानक फिसलकर गटर में गिर गया।
हक जो छिन गया, समय के दोष ने छीन लिया। रानी
किसी से कह भी नहीं पाई कि वह छिन गया। आज भी
उन्होंने मुझसे हक छिनने जैसी कोई बात नहीं की।
किसी पर दोष मढ़ना उन्हें नहीं सूझता। बस कहती रहीं,
हमारा चंदई, हमारा चंदई . . .और उन्हें पता भी नहीं
चला कि
उनकी जुबान से यह शब्द बेतुका सा लगता है।
शायद इसे सुनकर लोग हंसते हों।
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दृष्टिकोण
में
डा
रति सक्सेना का विचारोत्तेजक लेख
काम
करने की संस्कृति
°
साक्षात्कार
में
श्री
विभूति नारायण राय के साथ
गौतम सचदेव की बात चीत
व्यंग्य
में करूणा की धार
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°ब्रिटेन
में हिन्दी
के अंतर्गत उषाराजे सक्सेना के आलेख
का चौथा भाग
विदेशी
परिवेश में पनपता हिन्दी लेखन
°
रसोईघर में
पुलावों की श्रृंखला में नया
व्यंजन
आम का मीठा पुलाव
°°
1सप्ताह का विचार1
उदार मन वाले विभिन्न
धर्मों में सत्य देखते हैं। संकीर्ण मन वाले केवल
अंतर
देखते हैं।
चीनी कहावत |
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अनुभूति
में
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अजंता
शर्मा,
सौरभ
आर्य, विवेक ठाकुर,
सत्यवान शर्मा
और
विजयेन्द्र विज की
17 नई कविताएं
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° पिछले अंकों से°
कहानियों में
अंतरालअनामिका रिछारिया
बूढ़ा
शेरसीमा खुराना
पानी
का रंगकुसुम अंसल
मातमपुरसीसूरज प्रकाश
चिड़ियाअमरेन्द्र कुमार
झूमरभीष्म
साहनी
°
हास्य
व्यंग्य में
एस आर हरनोट का व्यंग्य
रोबो
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प्रकृति
और पर्यावरण में
प्रभात कुमार की कलम से
पर्यावरण,
प्रदूषण
एवं
आकस्मिक संकट
°
विज्ञान
वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप के शब्दों में
कथा डी
एन ए की खोज की
(भाग2)
°
ब्रिटेन
में हिन्दी
के अंतर्गत उषाराजे सक्सेना के आलेख
का दूसरा भाग विकास
में लगी संस्थाएं
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सामयिकी में
हिन्दी दिवस के अवसर पर उषा राजे
सक्सेना का आलेख
यू के में हिन्दी भाग1
और
कोलंबो
से श्री शरणगुप्त वीरसिंहे
का आलेख श्रीलंका हिंदी निकेतन की हिंदीयात्रा
साथ
ही
विजय कुमार
मल्होत्रा का आलेख
ऑफ़िस हिंदी
माइक्रोसॉफ्ट की नई
सौगात
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आज सिरहाने में
डा सतीश दुबे परिचय करवा रहे
हैं
'वाकिंग पार्टनर' से
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