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पिछले सप्ताह
साहित्यिक निबंध
में
डा रति सक्सेना की कलम से वैदिक
देवताओं की कहानियां इस अंक में
अग्नि °
महानगर की कहानियां
में
तरूण भटनागर की लघुकथा
चेहरे के जंगल में
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परिक्रमा में
मेलबोर्न की महक के अंतर्गत हरिहर झा
का आलेख
आस्ट्रेलिया की आवाज़
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रसोईघर में
सफल व्यंजन के अंतर्गत
इंद्रधनुष
°
कहानियों
में
भारत से डा रजनी गुप्त की कहानी
सुबह
होती है शाम होती है
ट्रेन के गति पकड़ते ही शिवली का मन
भी किसी अनजान सी दिशा में उड़ता जा रहा है। बचपन में पापा के
साथ के मनोरम पल कितने अल्पजीवी रहे। पापा उसे डाक्टर बनाना चाह
रहे थे, किन्तु बेटे की असामायिक मौत ने उन्हें तोड़कर रख दिया था।
दिनोंदिन कमजोर होते पापा एक दिन हमेशा के लिए चले गए और
फिर यहीं से सिलसिला शुरू होता है मां का नौकरी करना और
शिवली का छोटी दो बहनों को संभालना, पढ़ाना और एक तरह से
पूरी देखरेख। असमय ही समझदार होती चली गई वह। पढ़ने में
तेज तो वह पहले से ही थी, इसलिए ग्रेजुएशन के बाद कम्पटीशन
में लगातार बैठती गई। शायद अच्छी किस्मत का कमाल था कि उसे वक्त
पर पीआरओ की ठीकठाक नौकरी मिल गई।
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इस
सप्ताह
कहानियों
में
भारत से सूरज प्रकाश की कहानी
यह
जादू नहीं टूटना चाहिये
अगले तीन दिन उस आवाज ने दस्तक
नहीं दी। हो सकता है, दी भी हो और मैं मीटिंग वगैरह में बाहर
गया होऊं। बहरहाल इस ओर ज्यादा सोचने की फुर्सत भी नहीं
मिली। खुद से ही पूछता हूं क्यों इन्तज़ार कर रहा हूं उसके फोन
का। मुझे उसकी आवाज़ ने बांध लिया है, जरूरी थोड़े ही है उसे
भी मेरी आवाज, बातचीत अच्छी लगी हो। जैसे उसे और कोई काम
ही न हो, एक अनजान आदमी से बात करने के सिवा। हमारा परिचय ही
कहां है? एक दूसरे का नाम भी नहीं जानते, देखा तक नहीं है, सिर्फ
आवाज का पुल! कई तरह के तर्क देकर उसके ख्याल को भुलाने की
कोशिश करता हूं, फिर भी हल्कीसी उम्मीद जगाए रहता हूं। वह फिर
फोन करेगी।
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सामयिकी
में
नयी दिल्ली में प्रवासी दिवस के अवसर पर हिन्दी आयोजनों की एक
रिपोर्ट
गोष्ठियां और
सम्मेलन
रामविलास के शब्दों में
° हास्य
व्यंग्य में
रवि रतलामी के आज़माए हुए
नुस्खे
नया साल नये संकल्प
° समीक्षा
में
प्रदीप मिश्रा का आलेख
2003 में कविता की दस्तक
° आज
सिरहाने में
चित्रा मुद्गल का बहुचर्चित
उपन्यास
आवां
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!सप्ताह का विचार!
कष्ट
और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं।
जो साहस के साथ उनका सामना करते हैं, वे विजयी
होते हैं। लोकमान्य तिलक |
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पिछले अंकों से°
कहानियों
में
हिरासत
के बादसुरेश कुमार गोयल
युगावतार वीना विज 'उदित'
फ़र्क़विनोद विप्लव
खिड़की वाला संसारतरूण भटनागर
अढ़ाई
घंटेहरिकृष्ण कौल
°
सामयिकी
में
दीपिका जोशी का लेख
देश देश में
नववर्ष
°
उपहार
में
नव वर्ष के उपलक्ष्य में नया
शुभकामना संदेश जावा आलेख के साथ
नये
साल का शुभ दुलार
°
धारावाहिक में
मंच कविता के महत्व के बारे में
प्रसिद्ध व्यंग्यकार अशोक चक्रधर के विचार मंच मचान शीर्षक के
अंतर्गत
उनके विशेष अंदाज़ में
एक होता है
शब्द, एक
होती है परंपरा
°
फुलवारी
में
'जंगलकेपशु' लेखमाला के
अंतर्गत
हाथी
के विषय में जानकारी,हाथी का चित्र
रंगने
के लिए और कविता
नये
साल की बात
°
विज्ञान
वार्ता में गुरूदयाल प्रदीप की
खोजपूर्ण
जानकारी
हमारी
नींद हमारे सपने
° प्रौद्योगिकी
में भास्कर जुयाल की पड़ताल
इंटरनेट
की दुनिया में
हिंदी का भविष्य
°
घर परिवार में
फायर प्लेस की सजावट
का आनंद
अलाव के अनोखे अंदाज़
!°!
परिक्रमा
में
लंदन
पाती के अंतर्गत
शैल अग्रवाल की कलम से
पंचतंत्र
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