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नव–वर्ष विशेषांक


 

नए साल की बात

नए साल की बात करें
गए साल को माफ करें
अब न रहें कोई झगड़े
दूध पियें और हों तगड़े
कमरे का सारा कचरा
आओ मिल कर साफ करें
खुली धूप से मन निखरें
दोस्त बनें हम, ना बिखरें
जो कुछ अच्छा कर पाए
आओ मिल कर याद करें

 -पूर्णिमा वर्मन
१ जनवरी २००४

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