अनुभूति

 1. 1. 2004

आज सिरहानेउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथाघर–परिवार
दो पल
परिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
विशेषांक
शिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंदर्भसंपर्कहास्य व्यंग्य 

 

पिछले सप्ताह

परिक्रमा में
शैल अग्रवाल की कलम से
पंचतंत्र

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विज्ञान वार्ता में
गुरूदयाल प्रदीप की खोजपूर्ण जानकारी
हमारी नींद हमारे सपने

°

प्रौद्योगिकी में
भास्कर जुयाल की पड़ताल
इंटरनेट की दुनिया में
हिंदी का भविष्य

°

घर परिवार में
फायर प्लेस की सजावट का आनंद
अलाव के अनोखे अंदाज़

!°!

कहानियों में
कैनेडा से सुरेश कुमार गोयल की कहानी
हिरासत के बाद

रात को फोन की घंटी ने सोते हुए जगा दिया। पुलिस स्टेशन से फोन था। रात के तीन बजे क्या परेशानी आ पड़ी, जो मुझे याद किया। उनकी हिरासत में एक भारतीय लड़की थी। वह हिंदी के अलावा अन्य कोई भाषा नहीं जानती थी और पुलिसवाले हिंदी नहीं जानते थे। दो घंटे पहले एक पुलिस कार उसे पकड़कर पुलिस स्टेशन से आयी थी। वह लगातार रोये जा रही थी। पुलिस सार्जेंट ने मुझसे दरख्वास्त की कि आधी रात का ख्याल न करते हुए मैं पुलिस स्टेशन आ जाऊं। उस लड़की से बात करके उसे चुप कराने और उसका बयान लेने में पुलिस की मदद करूं।

°

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इस सप्ताह

कहानियों में
यू एस ए से सुषम बेदी की कहानी
वे दोनों

छत से फर्श तक के लंबे शीशों से जड़ी उस बड़ी सी बैठक में खूब सारी दिन की रौशनी भरी हुई थी। फर्श पर बिछी सफेद चादरों पर सफेद वस्त्र पहने ढेर सारे लोग उस रौशनी का ही हिस्सा लग रहे थे। कमरे में घुसते ही तारक को लगा जैसे उस श्वेतता में घुले मौत के सर्दपन और जड़ता ने अचानक उसके भीतर को जकड़ लिया है। बीचोंबीच फूलों की माला चढ़ी एक बड़ी सी रति की तस्वीर थी जिसका धूप, दीप और गीता के श्लोकों से अभिषेक किया जा रहा था। रति अब तस्वीर भर थी! तारक की स्तब्ध पनियायी आंखें निस्सहाय सी रजत को खोजने लगी।

°

सामयिकी में
दीपिका जोशी का लेख
देश देश में नव–वर्ष
°

उपहार में
नव वर्ष के उपलक्ष्य में नया
शुभकामना संदेश जावा आलेख के साथ
नये साल का शुभ दुलार
°

धारावाहिक में
मंच कविता के महत्व के बारे में
प्रसिद्ध व्यंग्यकार अशोक चक्रधर के विचार मंच मचान शीर्षक के अंतर्गत
उनके विशेष अंदाज़ में
एक होता है शब्द, एक
होती है परंपरा

°

फुलवारी में
'
जंगल–के–पशु' लेखमाला के अंतर्गत
हाथी के विषय में जानकारी, हाथी का चित्र रंगने के लिए और कविता
नये साल की बात
°

!सप्ताह का विचार!
ल के आने से वृक्ष झुक जाते हैं, वर्षा के समय बादल झुक जाते हैं, सम्पत्ति के समय सज्जन भी नम्र होते हैं। परोपकारियों का  स्वभाव ही ऐसा है। — तुलसीदास

 

अनुभूति में

अनुभूति का जन्मदिन,
नव वर्ष महोत्सव
और
समस्यापूर्ति की
पहली किस्त

नववर्ष विशेषांक समग्र
(8 जनवरी को)

° पिछले अंकों से°

  कहानियों में
युगावतार वीना विज 'उदित'
फ़र्क़विनोद विप्लव
खिड़की वाला संसार–तरूण भटनागर
अढ़ाई घंटेहरिकृष्ण कौल
दंशअलका प्रमोद

°

साहित्यिक निबंध में मारिशस में 
हिन्दी कविता के विकास की कहानी
सुनील विक्रम सिंह की ज़बानी
मारिशस में
हिन्दी की सौ साल पुरानी परंपरा
°

हास्य व्यंग्य में
प्रमोद राय का व्यंग्य
बॉस मेहरबान तो गधा पहलवान
°

आज सिरहाने में
रजनी गुप्त के उपन्यास से एक परिचय
कहीं कुछ और
°

पर्यटन में
दीपिका जोशी का यात्रा–विवरण
पतझड़ के बदलते रंगों में डूबा अमेरिका
°

धारावाहिक में 
सागर के इस पार से उस पार से का अगला भाग कृष्ण बिहारी की कलम से
शील सा’ब भी क्या आदमी थे
°
रसोईघर में
स्वास्थ्यवर्धक स–फल व्यंजन
फलराज
°
प्रेरक प्रसंग में
रजनीकांत शुक्ल की कलम से
नागरी की शक्ति
°

परिक्रमा में
दिल्ली दरबार के अंतर्गत
बृजेशकुमार शुक्ला का आलेख
नये चुनाव नये परिणाम

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन     
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