मुखपृष्ठ

पुरालेख-तिथि-अनुसार -पुरालेख-विषयानुसार -हिंदी-लिंक -हमारे-लेखक -लेखकों से


हास्य व्यंग्य

बॉस मेहरबान तो गधा पहलवान
- प्रमोद राय


बॉस मेहरबान तो गधा पहलवान। गधे और आदमी में फ़र्क होता हैं। गधा काम करता है और आदमी नाम। वैसे गधे को नाम कमाने का कोई शौक नहीं होता। क्योंकि वह जानता है, नाम होगा तो क्या बदनाम न होंगे? मसलन फलां बहुत महान गधा है या तुम बड़े होकर बहुत बड़े गधे बनोगे। आख़िर रहेगा तो गधा ही। यानी जितनी बड़ी उपाधि उतना बड़ा अपमान। आदमी गधे की इसी मजबूरी का फ़ायदा उठाता है। विभाग कोई भी हो काम गधा करता है नाम आदमी ले जाता है। लेकिन आदमी के साथ रहकर गधों में भी जागरूकता आ रही है। उन्हें धीरे-धीरे सफलता का रहस्य समझ में आने लगा है।

एक ऐसा ही गधा जिसने वफ़ादारी, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की सारी सीमाएँ लाँघते हुए ज़िंदगी भर गदर्भ परंपरा का पालन किया, एक दिन बॉस की दुल्ली का शिकार हो गया। काफ़ी रोया, गिड़गिड़ाया तो उसकी जगह पर उसके बच्चे को नौकरी दे दी गई। गधे ने पहले ही दिन बेटे को चेताया जो गलती मैंने की वह तुम मत दोहराना। फिर उसने अपने सेवाकाल के तमाम अनुभवों को निचोड़ते हुए सफलता के कुछ टिप्स दिए -

"तुम्हारा ध्यान काम में हो या न हो, निगाहें बॉस के केबिन की तरफ़ होनी चाहिए। केबिन में कौन आता है कौन जाता है, सब पर ध्यान दो। कौन हँसता हुआ आता है और कान मुँह लटकाए। इससे यह जानने में मदद मिलेगी कि बॉस किस पर मेहरबान है। फिर तुम उन लोगों के क़रीब होते जाओगे जो बॉस के क़रीबी हैं। तुम्हारी इस आदत के दूरगामी परिणाम होंगे।
तुम्हें कभी सरवाइकल स्पांडिलाइटिस की बीमारी नहीं होगी जिसकी वजह से मुझे नौकरी से हाथ धोना पड़ा।
बार-बार गर्दन उठाते रहने से तुम्हारी गर्दन थोड़ी लंबी हो जाएगी, जिराफ़ की तरह। फिर तुम्हें कोई गधा नहीं समझेगा।
गर्दन लंबी होने से तुम दूसरे की फ़ाइलों में भी ताक-झाँक कर सकते हो, यहाँ तक कि गोपनीय फ़ाइलों में भी।
केबिन में आते जाते बॉस से अक्सर तुम्हारी निगाहें मिलेंगी। बॉस को नमस्ते करने का यह क्षणिक पर स्वर्णिम मौका मत गँवाना। वे कर्मचारी बहुत खुशनसीब होते हैं जिनसे बॉस की नज़र मिलती है। फिर एक गधे की क्या औकात। मैंने हज़ार बार नमस्कार किया होगा लेकिन उसने कभी जवाब नहीं दिया। नमस्कार-बाण हाम्योपैथिक दवाओं की तरह असर करता है, धीरे-धीरे पर अचूक। और अगर इससे कोई विशेष फ़ायदा न हो तो नुकसान का तो बिल्कुल ख़तरा नहीं।

सदा केबिनोन्मुख रहने से तुम बॉस की निगाह में रहोगे ऐसे में चपरासी की अनुपस्थिति में बॉस की सेवा का सुअवसर कब तुम्हें मिल जाए कोई नहीं जानता।
जैसे-जैसे तुम बॉस के क़रीब होते जाओगे, तुम्हारे प्रति सीनियर्स का नज़रिया बदलेगा और साथ ही बदलेगी तुम्हारी तकदीर।
अपने आगे वालों से बतियाते रहो और पीछे वालों को लतियाते रहो फिर कोई भी तुमसे आगे नहीं बढ़ पाएगा।

 
1

1
मुखपृष्ठ पुरालेख तिथि अनुसार । पुरालेख विषयानुसार । अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़े
1
1

© सर्वाधिका सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक
सोमवार को परिवर्धित होती है।