शुषा लिपि
सहायता

अनुभूति

9. 4. 2003

आज सिरहानेआभारउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथाघर–परिवार
दो पल
परिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
विशेषांक
शिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंदर्भसंपर्क
हास्य व्यंग्य

कथा महोत्सव
2003

भारतवासी हिन्दी लेखकों की कहानियों
के संकलन 
माटी की गंध 
में प्रस्तुत है अहमदाबाद से
आस्था की कहानी
मोहभंग

अक्षय आरती अमेरिका गये और अर्जुन माधवी यहां सुमित्रा के पास रहे। दोनों परिवार अपनी अपनी तरह से सुखी थे‚ दुख बस इस एक बात का था कि वह
सब एक साथ नहीं रह पाये थे। साल
बीतते गये… अक्षय और आरती की
चिठ्ठियां आती रहतीं थी‚ सो मन बहल
जाया करता था। हर साल सुमित्रा
छुट्टियों की आस में बैठी रहती कि कब
छुट्टियां आये और कब सब मिलकर
साथ रहें। यह एक महीना साथ रहने
की क्रिया बाकी के ग्यारह महीनों को
यादों का एक खज़ाना दे जाती थी।
जिनके सहारे सुमित्रा अगली छुट्टियों तक
का समय बिता लेती थी…
°°°
चंडीगढ़ से डा नरेश की कहानी
ममता



दीवार से लगी बैठी ताई को अनुभव
हुआ कि उसकी देह इस भयंकर शीत
को सहन न कर सकेगी। वह उठी।
क्षोभ और वितृष्णा के उसी अहसास में
उसने संस्कारवश थोड़ा–सा आटा
कटोरी में डालकर गीला किया और
उसका दिया बनाया। रूई का एक
फाहा उंगलियों से धुनकर उसने बत्ती
बनाई और अलमारी में रखे घी के डिब्बे
में भिगो ली। दिया जलाकर उसने
कृष्ण कन्हैया की मूर्ति के सामने रखा
और वहीं मूर्ति के निकट ज़मीन पर 
बैठ गई। 
(अगली कहानी :
राजेन्द्र यादव की अक्षय धन)

 

इस सप्ताह

परिक्रमा में
दिल्ली दरबार के अंतर्गत भारत से
बृजेश कुमार शुक्ला का लेख
प्रस्तुत हुआ नया बजट

°

सामयिकी में
लंदन में अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन
की समाप्ति पर गौतम सचदेव का
आलेख
तृतीय अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन यूरोप

°

विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप का आलेख
जैविक घड़ी:
जीवन की नियामक

°
1

अनुभूति में

रामनवमी के अवसर पर तुलसीदास की कवितावली और
अशोक चक्रधर की
आठ ज़बरदस्त
कविताएं

°

धारावाहिक में
कृष्ण बिहारी की आत्मकथा इस पार से उस पार से का अगला भाग
दुविधाओं में गिन–गिनकर गुज़रे दिन

°

रसोईघर में
शाकाहारी मुगलई के मस्त ज़ायके में
इस बार प्रस्तुत है
करारी कमाल भिन्डी

°

सप्ताह का विचार
ध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर
माली होते हैं। वे संस्कारों की जड़ों 
में खाद देते हैं और अपने श्रम से 
उन्हें सींच–सींच कर महाप्राण
शक्तियां बनाते हैं
महर्षि अरविन्द

 

° पिछले अंकों से°

संस्मरण में पहली अप्रैल के अवसर 
पर महेश कटरपंच का आलेख
सावधान! आज पहली अप्रैल है
°

फुलवारी में दिविक रमेश का बाल नाटक बल्लू हाथी का बालघर
और कविता ध्यान रखेंगे
°

पर्व परिचय में गणगौर पर्व का
परिचय प्रमिला कटरपंच की कलम
से म्हाने खेलण दो गणगौर
°
शिवानी से संबंधित विशेष पृष्ठः

°

कहानियों में
गंदगी का बक्सा–तेजेन्द्र शर्मा
हीरोजयनंदन
औरतःदो चेहरेसुधा अरोड़ा
टोबा टेक सिंह–सआदत हसन मंटो
°

लंदन में अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन के
अवसर पर अनिल शर्मा का विस्तृत आलेख
ब्रिटेन में हिंदीःअस्तित्व से
अस्मिता तक
°

हास्य–व्यंग्य में बसंत आर्य का 
व्यंग्य
विश्व कप का बुखार
°

साक्षात्कार में कमलेश्वर से बातचीत
कर रहे हैं कृष्ण बिहारी
°

परिक्रमा में
लंदन पाती में यूरोप इराक और
दुनिया भर की परख शैल अग्रवाल
द्वारा दिल और दिमाग़ से

नार्वे से डा सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' का लेख विश्व में उथल पुथल

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